- संतान सप्तमी व्रत के लिए सोने, चांदी की दुकानें हुई गुलजार
- माताएं रखेंगी अपनी संतान के लिए व्रत
- इस व्रत को करने से नहीं आती संतान पर विपदा
मंडला महावीर न्यूज 29. संतान सप्तमी व्रत का एक और नाम मुक्ताभरण है। इसे भाद्रपद की सप्तमी तिथि को किया जाता है। यह व्रत पुत्र-प्राप्ति, पुत्र रक्षा के लिए महिलाएं करती हैं। इस व्रत को दोपहर तक किया जाता है। इस दिन महिलाएं चौक, रंगोली बनाकर, चंदन, अक्षत, धूप, दीप, सुपारी नारियल आदि से शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। इस व्रत में चांदी की चूड़ी का विशेष महत्व है। इस पर्व पर भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ये व्रत मुख्य रुप से संतान प्राप्ति, संतान रक्षा, संतान की खुशहाली और समृद्धि के लिए किया जाता है। इस पर्व को लेकर पहले से ही महिलाओं द्वारा बाजार पहुंचकर चांदी की चूड़ी खरीदने के लिए ज्वेलर्स की दुकानों में काफी भीड़ देखने को मिल रही है।
पंडित नीलू महाराज ने बताया कि यह व्रत माताओं द्वारा अपनी संतान के लिए किया जाता हैं। इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा दोपहर तक कर लेने का विधान है। संतान सप्तमी के दिन माताएं सुबह स्नानादि के पश्चात व्रत करने का संकल्प भगवान शिव और मां पार्वती के सामने लेंती हैं। पूजा के लिए चौकी सजाएं और फिर शिव-पार्वती की मूर्ति रखने के बाद नारियल के पत्तों के साथ कलश स्थापित करें। इस दिन निराहार अवस्था में शुद्धता के साथ पूजन का प्रसाद तैयार कर लें। दोपहर के समय तक इस व्रत की पूजा कर लेनी चाहिए।
सोने, चांदी की दुकानें रही गुलजार
संतान सप्तमी पर्व को लेकर ज्वेलर्स की दुकानों पर महिलाओं की खूब भीड़ दिखाई दे रही है। महिलाओं ने चांदी की चूडिय़ों की जमकर खरीदारी शुरू कर दी है। त्यौहार के चलते शहर की ज्वैलर्स की दुकानें इस समय गुलजार है। संतान सप्तमी पर्व पर महिलाएं पूजा अर्चना कर चांदी की चूड़ी पहनती हैं। जिसके लिए महिलाओं की भीड़ चांदी की चूड़ी खरीदने सुनार की दुकानों में पहुंच रही है। जिले भर में संचालित ज्वैलर्स की दुकानों में विगत दो दिनों से सुबह से ही महिलाओं की खासी भीड़ देखी जा रही है। सोने के रेट अधिक होने के कारण विगत एक पखवाड़े से ज्वैलर्स की दुकानों में ग्राहक कम ही दिखाई दे रहे थे, लेकिन अचानक संतान सप्तमी पर्व नजदीक आते ही दुकानें एक बार फिर गुलजार हो गईं। इससे ज्वैलर्स भी काफी दिन बाद भीड़ देखकर खुश नजर आए।
सूती डोरा या चांदी की चूड़ी का महत्व
पंडित विजयानंद शास्त्री ने बताया कि मान्यता के अनुसार पूजा के समय सूती का डोरा या फिर चांदी की संतान सप्तमी की चूड़ी हाथ में अवश्य पहननी चाहिए। माना जाता है कि संतान सप्तमी के पूजन के बाद धूप, दीप ने वैद्य अर्पित करने के बाद संतान सप्तमी की कथा जरूर पढऩी या सुननी चाहिए। इसके बाद कथा पुस्तक का भी पूजन करना चाहिए। पूजन के बाद भगवान को भोग लगाकर व्रत खोलना चाहिए।
ऐसा है पूजा का विधान
बताया गया कि पूजा के लिए धरती पर चौक बनाकर उस पर चौकी रखते हुए उस पर भगवान शंकर व माता पार्वती की मूर्ति स्थापित करें और कलश की स्थापना करते हुए उस पर आम के पत्तों के साथ नारियल रखें। इसके बाद आरती की थाली तैयार करते हुए उसमें हल्दी, कुमकुम, चावल, कपूर, फूल, कलावा आदि सामग्री रखी जाती है। इसके बाद भगवान के सामने दीपक जलाया जाता है और केले के पत्ते में बांधकर 7 मीठी पूडिय़ों को पूजा स्थान पर रखते है। जिसके बाद संतान की रक्षा और उन्नाति के लिए प्रार्थना करते हुए भगवान शंकर को कलावा अर्पित किया जाता है।
इनका कहना है
संतान साते का पर्व महिलाओं के लिए खासा रहता है। मैं विगत 35 सालों से यह उपवास रख रही हूं, इस पर्व का खास महत्व अपने संतानों की खुशहाली और समृद्धि के लिए और अपने बच्चों के भविष्य के साथ अच्छे स्वस्थ्य के लिए यह व्रत रखती हूं।
नर्मदा बाई, स्वामी सीता राम वार्ड
यह व्रत पुत्र प्राप्ति, पुत्र रक्षा व पुत्र अभ्युदय के लिए भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को किया जाता है। इस व्रत का विधान दोपहर तक रहता है। माताएँ पार्वती जी का पूजन करके पुत्र प्राप्ति और उसके अभ्युदय का वरदान माँगती हैं।
संतान सप्तमी का व्रत, संतान की सुख-समृद्धि, दीर्घायु, और रक्षा के लिए रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। इस व्रत को स्त्री व पुरुष दोनों ही रख सकते हैं। संतान की सुख-समृद्धि के लिए यह व्रत उत्तम माना जाता है।