प्राचीन आदिवासी धरोहर घुलघुल राजा-रानी की प्रतिमाएं वापस स्थापित हों, ग्रामीणों की चेतावनी
- आदिवासी समाज प्रतिमाओं के मूल स्थलों को संरक्षित करने की कर रहा मांग
- पुरातत्व विभाग बरत रहा लापरवाही, उच्च स्तरीय जांच करने की मांग
मंडला महावीर न्यूज 29. मंडला जिले के निवास तहसील के ग्राम पोंड़ी स्थित घुलघुल टोला और समीपवर्ती शेव टेकरी (घुरनेर) में स्थापित घुलघुल राजा और रानी की प्राचीन प्रतिमाओं को उनके मूल स्थान पर वापस स्थापित करने की मांग जोर पकड़ रही है। ग्रामीणों ने पुरातत्व विभाग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि लगभग पचास वर्ष पूर्व इन प्रतिमाओं को बिना किसी पूर्व सूचना या सहमति के ले जाकर कार्यालय में रख दिया गया, जो आदिवासी समाज की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का अपमान है।
ग्रामीणों का कहना है कि इन स्थलों पर सदियों से धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियां आयोजित होती रही हैं। क्षेत्र में यह मान्यता है कि घुलघुल राजा-रानी की प्रतिमाएं सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिए पूजनीय हैं और आज भी स्थानीय समुदाय द्वारा भजन, कीर्तन, पूजन जैसे कार्यक्रम नियमित रूप से किए जाते हैं। क्षेत्रीय लोगों का आरोप है कि मूर्तियों को ले जाते समय कई प्रतिमाएं क्षतिग्रस्त हुईं, जिनके हाथ-पैर टूट गए। बिना स्थानीय समिति और समाज को जानकारी दिए प्रतिमाओं को ले जाना सांस्कृतिक असंवेदनशीलता और जनभावनाओं का अपमान है।
ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता पर भी आक्रोश व्यक्त किया है। उनका कहना है कि विधायक, सांसद सहित कई जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को बार-बार आवेदन और ज्ञापन दिए गए, लेकिन किसी ने भी इस मामले पर ध्यान नहीं दिया। इससे नाराज होकर अब आदिवासी समाज सोशल मीडिया और जनसंपर्क के माध्यम से अपनी मांग को पुरजोर तरीके से उठा रहा है।
ग्रामीणों की प्रमुख मांगें
ग्रामीणों का कहना है कि घुलघुल राजा और रानी की प्रतिमाओं को उनके मूल स्थान पर तुरंत वापस स्थापित किया जाए। प्रतिमाओं के मूल स्थलों को संरक्षित कर उन्हें प्राचीन आदिवासी धरोहर स्थल के रूप में विकसित किया जाए। पुरातत्व विभाग द्वारा इस मामले में बरती गई लापरवाही की उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई तो समस्त आदिवासी समाज और अन्य समुदाय मिलकर एक बड़ा जन आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी शासन और प्रशासन की होगी।
राजा रानी के स्थान पर गौतम बुद्ध की प्रतिमा है स्थापित
ग्रामीणों ने बताया कि जैसे प्रत्येक गांव में खैर माई माता की पूजा की जाती है, वैसे ही यहां राजा रानी की पूजा हुआ करती थी। मूर्ति ले जाने के बाद यहां ग्रामीण प्रति दिन उसी खाली स्थान की पूजा किया करते है, लेकिन विगत पांच साल पहले यहां क्षेत्र के जबलपुर मंडी सचिव राजेश सैयाम द्वारा उस खाली स्थान में अपनी तरफ से उस स्थान के आसपास बाऊंड्रीबाल बनावकर खाली स्थान में भगवान गौतम बुद्ध की मूर्ति स्थापित कराई थी। जहां आज भी प्रतिदिन पूजा पाठ किया जा रहा है। अब यहां के ग्रामीणों को आज भी यहां के राजा रानी की प्राचीन प्रतिमा का इंतजार है। यह स्थान यहां के लोगों के किसी प्रसिद्ध शक्तिपीठ से कम नहीं है।
इनका कहना है
अभी इस संबंध में ग्रामीणों द्वारा किसी प्रकार का आवेदन नहीं दिया गया है। यह बात वर्षों पहले की है, आवेदन आने के बाद इस संबंध में नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
केएल डाभी
उप संचालक, पुरातत्व विभाग, मंडला
निवास क्षेत्र की यह बहुत पुरानी मांग है कि घुलघुल राजा और रानी की मूर्तियों को मंडला संग्रहालय से वापस घुलघुल में उनके मूल स्थान पर स्थापित किया जाए, जिससे उनकी विधिवत पूजा-अर्चना की जा सके। यहां पहले मेला भरता था, जिसमें दूर-दूर से लोग दर्शन करने आते थे। हम सभी की मांग है कि उन्हें पुन: स्थापित कराया जाए।
प्रदीप जैन
संयोजक, जिला बनाओ संघर्ष समिति, निवास
आपके द्वारा यह मामला मेरे संज्ञान में लाया गया है। इस संबंध में मैं विभाग को जल्द ही प्रतिमाओं को वापस किए जाने हेतु पत्र लिखूंगा।
चैन सिंह वरकड़े
विधायक, निवास विधानसभा