कबीरदास माँ नर्मदा की आजीवन परिक्रमा का लिये है संकल्प

कबीरदास माँ नर्मदा की आजीवन परिक्रमा का लिये है संकल्प

  • 20 किलोमीटर प्रतिदिन करते है नर्मदा पथ में परिक्रमा

मंडला महावीर न्यूज 29. वेद पुराणों के अनुसार पुण्य सलिला मां नर्मदा ही एक मात्र ऐसी नदी है, जिसकी परिक्रमा की जाती है। माँ नर्मदा के दर्शन मात्र से गंगा में स्नान के समान पुण्य मिलता है। नर्मदा भक्त तरह तरह से परिक्रमा करते हुए मां नर्मदा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। माहिष्मती नगरी मंडला का सौभाग्य है, जहां एक से बढ़कर एक साधु, संतु और महात्माओं के चरण नर्मदा नगरी में पड़ते है। इन सभी के दर्शन इनके नर्मदा परिक्रमा के दौरान होते है। बताया गया कि जिले में नर्मदा परिक्रमा के दो पथ है, एक उत्तर पथ और दूसरा दक्षिण पथ। दोनों पथों पर ही नर्मदा परिक्रमावासी अपने अनुसार नर्मदा परिक्रमा का मार्ग चुनते है। उत्तर पथ पर निवास विकासखंड आता है, जहां से नर्मदा परिक्रमावासियों का आगमन होता है। ऐसो ही दो नर्मदा भक्त माँ नर्मदा की परिक्रमा में निकले है। इन्होंने आजीवन माँ नर्मदा की परिक्रमा करने का संकल्प लिया है। अब ये अपना पूरा जीवन माँ नर्मदा की भक्ति में बीताना चाहते।

जानकारी अनुसार दो नर्मदा परिक्रमावासी मंडला जिले में विगत दिनों पहुंचे थे। इनमें छिंदवाडा निवासी कबीर दास और सिवनी निवासी चंद्रकली है, जो रोजाना करीब 20 किमी की परिक्रमा प्रतिदिन कर रहे है, और ये माँ नर्मदा की परिक्रमा ना ही किसी वाहन से कर रहे है, ना ही साईकिल से कर रहे है। ये दोनों पैदल परिक्रमा कर रहे है, लेकिन एक खास बात यह है कि ये पैदल परिक्रमा में अपने साथ एक साईकिल भी साथ में रखे है, जिसमें ना सीट है ना ही चैन है, ना ही साईकिल को खड़े करने के लिए स्टेंड लगा हुआ है। पैदल ही साईकिल को अपने साथ लेकर चलते है। फिलहाल करीबदास का ठहराव विगत 15 दिनों से सूर्यकुण्ड धाम में है। जहां श्री मारुति महायज्ञ और श्रीराम कथा का आयोजन चल रहा है। इस आयोजन में सहभागिता करने के लिए परिक्रमावासी करीब दास यहां रूके हुए है। धार्मिक कार्यक्रम के समापन के बाद इनकी आगे की नर्मदा परिक्रमा के लिए निकलेंगे।

24 घंटे होता है भोले का अभिषेक 

परिक्रमावासी करीबदास ने बताया कि वे माँ नर्मदा की पैदल परिक्रमा कर रहे है, लेकिन वे अपने साथ एक साईकिल भी रखे है। जिसमें रोजाना उपयोग होने वाली दिनचर्या का कुछ सामान भी रखते है, लेकिन इसके अलावा कबीरदास की इस अनोखी साईकिल में भगवान शिव शंकर समेत राधाकृष्ण, श्रीराम और अन्य भगवान उनकी साईकिल में विराजमान है। करीबदास ने अपनी साईकिल को एक मंदिर के रूप में सुसज्जित कर बनाया है। इसमें विराजे भोलेनाथ के शिवलिंग में 24 घंटे गाय के मुख से पवित्र जल का अभिषेक होता है। बता दे कि माँ नर्मदा की परिक्रमा में निकले भक्त की भक्ति को देखने वाले भी इनके आगे नस्मष्तक हो जाते है।

4 नवंबर 2024 को शुरू की थी तीसरी परिक्रमा 

माँ नर्मदा की परिक्रमा में निकले छिंदवाड़ा निवासी कबीर दास 60 वर्षीय और इनकी बहन सिवनी निवासी चंद्रकली विगत वर्ष 4 नवंबर 2024 को ओंकारेश्वर से 3500 किलोमीटर की नर्मदा परिक्रमा पर निकले हे। भाई-बहन की यात्रा का उद्देश्य धर्म के प्रति आस्था है। इसके पहले भी इन्होंने दो बार मां नर्मदा की परिक्रमा कर चुके है। अब कबीरदास अपना पूरा जीवन माँ की भक्ति में बीताना चाहते है। जिसके लिए उन्होंने जीवन भर माँ नर्मदा की परिक्रमा करने का संकल्प लिया है।

अद्भूत है माँ नर्मदा का बाल रूप 

परिक्रमावासी करीबदास की अनोखी साईकिल में सभी भगवान के साथ मुख्य रूप से एक मार्बल के पत्थर में माँ नर्मदा की सुंदर आकृति भी स्थापित है। कबीर दास ने बताया कि वर्ष 2020 में नर्मदा से मिला मार्बल का पत्थर जिसमें बाल रूप में मां नर्मदा स्पष्ट दिख रही हैं। इसके साथ ही इसमें नाग देवता का स्वरूप भी दिख रहा है। उनका कहना है कि यह चमत्कारी पत्थर में मूर्ति जब से मुझे मिली है तब से में मां नर्मदा की परिक्रमा कर रहा हूं। यह करीबदास की तीसरी नर्मदा परिक्रमा है। इसी परिक्रमा के दौरान उन्हें सिवनी निवासी बहन चंद्रकली मिली।



 

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