मंदिरों में चल रहा दुर्गा सप्तशती का पाठ
- आज होगी मॉं कुष्मांडा की आराधना
मंडला महावीर न्यूज 29. चैत्र नवरात्र का तीसरा दिन सुबह समस्त देवी मंदिरों में माता चंद्रघंटा के लिए दुर्गा सप्तशती पाठ किया गया। जिन्हें सोलह श्रृंगार अर्पित कर लौंग से बनी माला पहनाई गई। माता चंद्रघंटा निर्भयता देने वाली है। जिन्हें सुबह की आरती के बाद भोग लगाए गए। देवी मंदिरों में जल ढारने भक्तों का तांता लग रहा है। भक्त श्रृद्धा के साथ व्रत रखे हुए माँ भगवती की भक्ति में लीन हो रहे है। जिनकी जैसी आस्था नंगे पैर रहना, फलाहार से उपवास निर्जला उपवास, फलो से उपवास, तरल पेय पीकर उपवास, वैसे माता के प्रति अपनी सेवा भावना भक्त दिखा रहे है।
आज होगी मॉं कुष्मांडा की आराधना
नवरात्रि के चौथे दिन माता कुष्मांडा की पूजा की जाती है। माता अपनी मंद हल्की हंसी के द्वारा ब्रम्हांड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कुष्मांडा कहा जाता है। वेदों में है जब सृष्टि नहीं थी। चारों तरफ अंधकार था तब देवी ने अपनी हंसी से ब्रम्हांड की रचना की और ये आदि स्वरूपा आदि शक्ति कहलाई। देवी की आठ भुजाएं है। इनके हाथों में कमंडल, धनुष बाण, कमल पुष्प, अमृत पूर्ण कलश, चक्र गदा सुशोभित है। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों निधियों को देने वाली जप माला है। माता सिंह पर विराजमान है। जिन्हें भूरे कुम्हड़े की बलि पंसद है। तभी तो ये कुष्मांडा है। देेवी का वास सूर्य मंडल के भीतर लोक में है। सूर्य लोक में रहने की शक्ति व क्षमता इन्हीं में है। इनके शरीर की कांति प्रभा सूर्य की भांति दिव्यमान है। माता के तेज से दसों दिशाएं अलौकिक है। ब्रम्हांड की सभी वस्तुओं व प्राणियों में माता का वास है।