781 कलश खप्पर से सजा है नक्खी माई का दरबार
- मनचाहा वर देती है नक्खी माता
- पाषाण प्रतिमा को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते है भक्त
मंडला महावीर न्यूज 29. जिला मुख्यालय से उत्तर दिशा में लगभग 20 किमी की दूरी पर मंडला निवास मार्ग में बसे ग्राम बकौरी में 17 वीं शताब्दी में ग्राम के ही एक पहाड़ी के ऊपर नक्खी माता स्वयं प्रगट हुई थी। ऐसा ग्राम के बुजुर्ग बताते है। नक्खी माता के पास शीतला माई, खैरमाई, कालभैरव का भी स्थान है। नक्खी माता के दरबार में मांगी गई मुरादें अतिशीघ्र पूरी होती है। मंदिर की विशेषता यह है कि पहाड़ी में होने के बाद यहां श्रृद्धालु अपने वाहन से मंदिर तक पहुंच जाते है। नक्खी माई के दशर््न करने के लिए जिले समेत अन्य प्रदेश के भक्त और श्रृद्धालु आते है।
माता के भक्त डीके सिंगौर ने बताया कि माता नक्खी माई मंदिर परिसर में ही फरवरी 2022 में भगवान शनि देव का भव्य मंदिर और मूर्ति स्थापना की गई है। नक्खी माता मंदिर के परिसर में स्थापित शनि नौ ग्रह मंदिर भी अपनी सुंदरता और आकर्षण के लिए ख्याति प्राप्त कर रहा है। यहां पर शनि सिंगनापुर से स्पर्श एवं प्राण प्रतिष्ठा कराकर शिला को स्थापित किया गया है। इसके साथ ही मंदिर में भव्य और सुंदर शनि मूर्ति नौ ग्रह मूर्तियों के साथ विराजित हैं। मंदिर में स्थापना के समय से अखंड ज्योति भी यहां प्रज्वलित है। माता नक्खी माई का दरबार में बारह महिने भक्तों का तांता लगा रहता है। वर्ष की दोनों नवरात्रि में नक्खी माई के दरबार को भव्य रूप से सजाया जाता है। यहां आने वाले भक्त यहां का दृश्य देखकर मंत्रमुग्ध होने के साथ यहां सुकून महसूस करते है।
ग्राम बकौरी के भक्तों ने बताया कि चैत्र मास की नवरात्रि पर्व में प्रतिवर्ष यहां श्रृद्धालुओं द्वारा घी और तेल के कलश खप्पर यहां की समिति के माध्यम से रखे और बोए जाते हैं। इस चैत्र नवरात्रि पर्व पर नक्खी माता के दरबार में 781 श्रद्धालुओं ने घी और तेल के कलश माता के दरबार में सजाए हैं। रखे गए कलश, जवारे स्थानीय, जिले, अन्य जिले समेत अन्य प्रदेश के श्रृद्धालुओं द्वारा माता के दरबार में रखे गए है। प्रतिदिन दरबार में सैकड़ो श्रद्धालु दर्शन के लिए आ रहे है।
माता के भक्त नितिन साहू ने बताया कि जब गांव में संकट आया तो माता ने भी गांव वालों को सावधान किया था। मंदिर की ख्याति दूर दूर तक फैली है। जब से गांव में माता विराजमान है कभी भी गांव के ऊपर संकट के बादल नहीं छाए है। माता की पाषाण प्रतिमा जिसे देखकर लोग मंत्रमुग्ध हो जाते है। श्रृद्धालुओं के मंदिर प्रांगण में पहुंचते ही उन्हें मानसिक सुख का अनुभव होता है और श्रृद्धालु इसी विश्वास से माता से मन्नत मांगते है। जिनकी मन्नत पूरी होती है। यही कारण है कि नक्खी माता के पास दूर शहरों से भी लोग मन्नत मांगने दौड़े चले आते है।
मंदिर का हुआ जीर्णोद्धार
सैकड़ों वर्ष पुराने, जीर्ण-शीर्ण मंदिर का जीर्णोेद्धार 1997 में किया गया। मंदिर का गुंबज चौपहला बनाया गया है। यहां मंदिर परिसर का विस्तार किया गया है। माता के दरबार के आसपास अन्य देवी देवाताओं की भी स्थापना की गई है। जहां भक्त माता के दर्शन करने पहुंचते है, वहीं माता के दर्शन के बाद यहां स्थापित अन्य देवी देवताओं के भी दर्शन कर पूजा अर्चना करते है। बकौरी स्थित नक्खी माई के दरबार में माता के साथ अन्य देवी देवता भी अब विराजमान हो गए है। नक्खी माई में देवदरा मंडला निवासी हायर सेकेंडरी स्कूल बबलिया के प्राचार्य डीके सिंगौर के परिवार द्वारा शनि मंदिर का निर्माण भी कराया गया, जो इस धार्मिक स्थल को और भव्य बनाता है।
साल भर होते है आयोजन
वैसे तो पूरे वर्ष माता की पूजा अर्चना में पूरे ग्राम के लोग एकत्र होते है लेकिन चैत्र व शारदेय नवरात्र में जवारे कलश के साथ माता की विशेष पूजा अर्चना व माता का श्रृंगार किया जाता है। साल भर यहां भक्त अपनी मनोकामना पूरी होने पर माता के दरबार में धार्मिक आयोजन और भंडारा कराते है। यहां समिति के सदस्य, पुजारी और भक्तों द्वारा पूजा अर्चना की जा रही है। यहां रामनवमी के दिन जवारे विसर्जन का कार्यक्रम बहुत ही भव्य और मनमोहक होता है। इस वर्ष नवरात्रि पर्व के सप्तमी तिथि को स्थानीय लोगों के द्वारा नृत्य प्रतियोगिता समेत अन्य कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
781 कलश जवारे की स्थापना
बकौरी स्थित माता नक्खी माई के दरबार में 781 श्रद्धालुओं ने घी और तेल के कलश, जवारे सजाए हैं। रखे गए कलश, जवारे स्थानीय, जिले, अन्य जिले समेत अन्य प्रदेश के श्रृद्धालुओं द्वारा माता के दरबार में रखे गए है। बकौरी की पहाड़ी में विराजी माता नक्खी माई के दरबार में इस बार 781 ज्योति कलश, जवारे जगमगा रहे है। जिसमें 643 तेल, घी के कलश, 101 टोकनी, 35 खप्पर, 02 छत्र रखे गए है। सैकड़ो कलश से माता नक्खी माई का दरबार समेत बकौरी ग्राम में भक्ति का सैलाब देखने मिल रहा है।
भक्त मनाएंगे जवारे उत्सव
जिले के सभी माता के दरबार में भक्तों का तांता लग गया रहा है। भक्त अपनी श्रृद्धा अनुसार कोई घी का कलश, कोई तेल का कलश, कोई जवारे तो कोई खप्पर रखे। वर्ष की दोनों नवरात्रि में माता नक्खी माई के दरबार में नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है और व्रत रखे जाते है। नवरात्रि के दिनों में लोग अपने घर में अखंड ज्योति जलाते हैं और मां जगदंबे के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं। हिंदू धर्म में वैसे तो कई तरह के धार्मिक पर्व और त्योहार मनाए जाते हैं। इसके साथ ही सबके अलग-अलग रीति-रिवाज होते हैं। इसी तरह नवरात्रि में कलश स्थापना और ज्वारे का बहुत अधिक महत्व होता है। इस वर्ष नक्खी माई के दरबार में जवारे उत्सव 2025 मनाया जाएगा। इस वर्ष दरबार में अन्य वर्षो की अपेक्षा भक्तों की संख्या बढ़ गई है। दरबार में इस वर्ष 781 कलश, जवारे रखे गए है।
मन्नत पूरी होने पर माता को भेंट करते उपहार
माता नक्खी माई का दरबार जिले समेत अन्य जिले में भी प्रसिद्ध है। लोगों की मान्यता है कि यहां पर नक्खी माता के मंदिर में आकर जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से मन्नत मांगते हैं, देवी मां उनकी मन्नतें जरूर पूरी करती हैं और मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु मंदिर में उपहार स्वरूप प्रसाद चढ़ाते हैं। मंदिर को दान दक्षिणा भेंट आदि देकर जाते हैं।