जिले के नौ मृदा परीक्षण केन्द्र में प्राईवेट संस्था करेगी मिट्टी की जांच

जिले के नौ मृदा परीक्षण केन्द्र में प्राईवेट संस्था करेगी मिट्टी की जांच

  • बंद पड़े थे ब्लाकों के मृदा परीक्षण केन्द्र
  • किसानों को नहीं मिल पा रही थी मिट्टी के पोषक तत्वों की जानकारी

मंडला महावीर न्यूज 29. जिले के सभी विकासखंडों क्षेत्र के किसान मिट्टी परीक्षण केन्द्र खुलने के लिए बीते कई वर्षो से इंतजार कर रहे हैं। जिले के नौ विकासखंडों में मृदा प्रयोगशाला के लिए भवन तो बनकर तैयार हो गया, लेकिन यहां काम करने के लिए तकनीकी कर्मचारी पदस्थ नहीं किए गए है। इसके कारण किसानों के खेत की मिट्टी के नमूने के परीक्षण के लिए जिला मुख्यालय भेजना पड़ता है। रिपोर्ट के लिए भी किसानों को इंतजार करना पड़ता था। किसान अपने खेत की मिट्टी की गुणवत्ता की जांच के लिए फसल की तैयारी के पूर्व मिट्टी की गुणवत्ता परखते है। जिससे समय रहते खेत का उपचार कर सके और अच्छी फसल की पैदावार हो सके, लेकिन किसानों को इसके लिए भी मशक्कत करनी पड़ती थी। ब्लाक स्तर में केन्द्र शुरू नही होने से किसानों को जिला मुख्यालय अपने खेतों की मिट्टी की जांच के लिए आना पड़ता था, लेकिन अब सरकार ने इन मृदा परीक्षण केन्द्र को प्राईवेट संस्था को सौंप दिया है। इस वर्ष फसल कटने के बाद प्राईवेट संस्था के कर्मचारी किसानों के खेतों की मिट्टी की जांच करेंगे।

जानकारी अनुसार कृषि विभाग की लेटलतीफी के चलते किसान परेशान हो रहे हैं। उनकी परेशानी मिट्टी के परीक्षण को लेकर है। इसके लिए उन्हें फिलहाल कृषि विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के भरोसे ही रहना पड़ रहा है। हालांकि जिले के प्रत्येक ब्लॉक में मृदा परीक्षण केंद्र बनाए हैं, लेकिन सालों बीत जाने के बाद भी अब तक यह पूरी तरह से शुरू नहीं किए जा सके हैं। इन केंद्रों पर टेक्नीशियन और कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हो पाई है। जिससे किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।

कैमिकल और स्टूमेंट बनी रोड़ा 

जिले के सभी विकासखंडों में मृदा प्रयोगशाला बनकर तैयार है। इन भवनों को विगत 2019 में ही संबंधित अधिकारी के हैंड ओवर कर दिया गया था। जिसके बाद यहां मृदा जांच के लिए लगने वाली मशीनें भी उपलब्ध करा दी गई थी, लेकिन इन मशीनों के द्वारा होने वाली जांच में लगने वाले स्टूमेंट और कैमिकल की व्यवस्था नहीं की गई है। इसके साथ ही स्टाफ की कमी भी इस पर रोड़ा बनी रही, जिसके कारण जिला मुख्यालय को छोड़कर सभी नौ विकासखंडों में मृदा की जांच शुरू नहीं की गई है।

इस वर्ष 21179 का लक्ष्य 

सहायक संचालक कृषि आरडी जाटव ने बताया कि वर्ष 2024-25 में 21179 का लक्ष्य मिला है, इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए विभाग ने अभी तक 19 हजार की पूर्ति कर ली है। जल्द ही शेष बचे लक्ष्य को विभाग पूरा कर लेगा। इसके साथ ही मार्च माह के लिए 6 हजार का अलग से लक्ष्य भी विभाग को मिला है। जिसे भी पूरा करने की बात विभाग कह रहा है। बताया गया कि जिले को मिले लक्ष्य को सभी ब्लाकों में दे दिया जाता है, जिससे प्राप्त लक्ष्य को पूरा किया जा सके। सभी ब्लाकों से किसान मित्र, किसान दीदी समेत विभाग के कर्मचारी द्वारा मिट्टी के नमूने एकत्र कर जिला मुख्यालय में जांच के लिए भेजा जाता है। जिसके बाद रिपोर्ट तैयार की जाती है। जिससे किसानों को अपने खेत में मौजूदा पोषक तत्वों की जानकारी लग सके और अगली फसल के लिए अपने खेत तैयार कर सके।

मशीनें थी उपलब्ध, फिर भी जांच नहीं हो सकी शुरू 

जिले के सभी विकासखंडों में मृदा परीक्षण के लिए छोटी और बड़ी मशीनें उपलब्ध कराई गई थी। इन प्रयोगशाला में रखी मशीनों से मृदा की जांच करने के लिए उसमें लगने वाले कैमिकल की आवश्कता होती है। वहीं सभी ब्लाकों में डबल एस बड़ी मशीनें उपलब्ध करा दी गई थी लेकिन इसे शुरू करने के लिए सहायक सामग्री, फर्नीचर और स्टाफ की कमी बनी रही, जिसके कारण विभाग इन ब्लाकों में मिट्टी की जांच शुरू नहीं कर पाया। जिससे किसान अपनी मिट्टी की जांच जिला मुख्यालय स्थित प्रयोगशाला में कराने पहुंचते थे।

स्टाफ है प्रशिक्षित, अब प्राईवेट संस्था के कर्मचारी करेंगे मृदा जांच 

बताया गया कि ब्लाक स्तर पर बनाए गए मृदा प्रयोगशाला में स्टाफ की कमी को पूरा करने के लिए आदेश मिले थे, जिसके बाद यहां विभाग के कर्मचारियों को ब्लाकों में बने प्रयोगशाला में नमूने की जांच के लिए ट्रेनिंग दे दी गई थी। अब शासन ने मृदा जांच के लिए नई व्यवस्था बनाई है। किसानों के मिट्टी की जांच समय में हो सके और मिट्टी के पोषक तत्वों की जानकारी मिल सके, इसके लिए अब प्राईवेट संस्था को इसकी जिम्मेदारी सौंप दी गई है। अब प्राईवेट संस्था के कर्मचारी किसानों के मिट्टी की जांच ब्लाक स्तर पर ही करेंगे।

समय पर रिपोर्ट ना मिलने से किसान थे परेशान 

बताया गया कि सभी विकासखंड में मृदा प्रयोगशाला का भवन बनकर तैयार है। मशीनें आ चुकी है लेकिन स्टाफ की कमी के कारण किसानों को अपने खेत की मिट्टी के नमूने की जांच के परेशान होना पड़ता था। वहीं मिट्टी के नमूने जिला मुख्यलाय भेजा जाता था। मुख्यलाय में सभी ब्लाकों से मृदा के नमूने जांच के लिए आते है। जिसके कारण रिपोर्ट मिलने में थोड़ा समय लगता है। वहीं किसानों का कहना है कि मिट्टी परीक्षण कराने के बाद समय पर रिपोर्ट नहीं मिलने से आगामी फसल को लगाने के लिए खेतों में कम मौजूदा तत्वों को पूरा करने में देरी हो जाती है। जिससे फसल की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।

इनका कहना है

सभी नौ विकासखंडों में मृदा के नमूने एकत्र करने के लिए भवन तैयार है, अब शासन ने नई व्यवस्था बनाई है, मंडला जिले में आठ प्राईवेट संस्था चयनित हो गई है, जो आगामी समय में किसानों के खेतों की मिट्टी की जांच करेंगे। जल्द ही सभी ब्लाकों में मृदा की जांच शुरू हो जाएगी।
आरडी जाटव, सहायक संचालक, कृषि



 

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