ना खेत ना बसाहट फिर भी बना दिया साढ़े दस लाख का स्टॉप डेम

औचित्यहीन, अनुपयोगी स्थल पर बना 10 लाख 50 हजार का स्टॉप डेम

  • ♦ ना खेत ना बसाहट, फिर भी बना दिया साढ़े दस लाख का स्टॉप डेम
  • ♦ संबंधित विभाग और अधिकारियों ने दे दी आंख बंदकर तकनीकि स्वीकृति
  • ♦ नियमों को ताक में रख औचित्यहीन स्टॉप डेम के लिए राशि कराई स्वीकृत
  • ♦ वॉटर केचप एरिया का नहीं रखा ध्यान

मंडला महावीर न्यूज 29. जिले में शासकीय निर्माण कार्यो में हद दर्जे की लापरवाही बरती जा रही है। जिसका खामियाजा जिले के वंशिदों को भुगतना पड़ता है। यदि शासन की राशि का सद्उपयोग लोगों को ना मिल सके तो, ऐसे में शासकीय योजनाओं का क्रियान्वयन कैसे संभव होगा। शासकीय अधिकारी, कर्मचारी, जनप्रतिनिधि, ग्राम पंचायत शासकीय राशि का ऐसे बंदरबांट करते नजर आते है, जिसका लाभ तो क्षेत्रवासियों को नहीं मिलता, लेकिन यह लाभ उनके हित में जरूर होता है। ऐसे ही अनेक मामले जिले में देखने मिल जाएगे। जहां शासकीय निर्माण कार्यो में जमकर गुणवत्ताविहीन, औचित्यहीन और अनुपयोगी कार्य कर शासकीय राशि की होली खेली जाती है।

जानकारी अनुसार औचित्यहीन और अनुपयोगी कार्य का एक ऐसा ही मामला एक बार फिर मंडला विकासखंड के अंतर्गत ग्राम पंचायत सुभरिया का सामने आया है। जहां औचित्यहीन स्थान पर स्टाप डेम निर्माण कराने के लिए प्रस्ताव बनाकर पुलिया बनाकर राशि भी स्वीकृत कराकर हजम कर ली गई। वहीं क्षेत्र के आसपास ऐसे कई स्थान है, जहां बारिश का पानी एकत्र करने यह स्टाप डेम बनाया जा सकता था। ऐसे स्थानों को छोड़कर स्वयं के लाभ के लिए औचित्यहीन स्थान पर निर्माण कार्य की स्वीकृत कराकर अनुपयोगी स्टाप डेम बनाकर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया है।

औचित्यहीन, अनुपयोगी स्टाप डेम मामले में समाजसेवी अखिलेश सोनी ने बताया कि तकनीकि अधिकारियों को सांसद, विधायक, मंत्रियों द्वारा अनुशंसित निर्माण कार्यों का धरातल में जाकर अवलोकन करने के बाद स्वीकृति प्रदान करनी चाहिए, लेकिन जिले में ऐसा नहीं किया जा रहा है। अपने जेब भरने की नीयत से उपयोगी व आवश्यक निर्माण कार्यों की तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा है। शासकीय राशि का दुरूपयोग करते हुए अनुपयोगी स्थलों पर निर्माण कार्य कर शासकीय राशि की होली खेली जा रही है।

जनहित के लिए होती है शासकीय राशि 

बताया गया कि आदिवासी बाहुल्य जिला मंडला भी शासकीय राशि के दुरूपायोग के मामले में हमेशा सुर्खियों में बना रहता है। प्रत्येक निर्माण कार्य के पीछे जनहित का ध्यान में रखकर ही निर्माण कार्य की स्वीकृति दी जानी चाहिए। शासकीय निर्माण कार्यो में शासन जो राशि खर्च करता है, वह राशि अप्रत्यक्ष रूप से जनता के हित के लिए ही होती है। इसका दुरूपयोग न हो, इसके लिए स्थानीय स्तर पर संबंधित विभाग के अधिकारी, कर्मचारी को तैनात भी किया जाता है। बावजूद इसके स्थानीय प्रशासन आंखे बंद कर सब कुछ देखते ही रहता है। यहां जिम्मेदारों द्वारा मनमाने ढंग से शासकीय राशि का बंदर बाट कर निर्माण कार्य के दस्तावेजों पर कुछ और उल्लेख करके राशि का आहरण किया जाता है, लेकिन धरातल पर कुछ और ही नजर आता है।

तकनीकी अधिकारियों ने दे दी स्वीकृति 

बताया गया कि आदिवासी बाहुल्य जिला मंडला में अनेक स्टॉप डेम और अमृत सरोवर इसके शिकार हुए हैं। जहां जमकर शासकीय राशि की दुरूपयोग किया गया है। वहीं जनपद पंचायत मंडला की ग्राम पंचायत सुभरिया में बने स्टॉप डेम को अनुपयोगी स्थान पर बनाकर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। यहां आरईएस विभाग के मार्गदर्शन में ग्राम पंचायत द्वारा गिट्टी क्रेसर के पास जनपद निधि के 15 वें वित्त से 10 लाख 50 हजार का औचित्यहीन, अनुपयोगी स्टॉप डेम बना दिया गया। जिसका लाभ ना तो क्षेत्र के लोगों को मिल सकेगा, ना ही किसानों को। स्टॉप डेम का निर्माण कार्य पहाड़ी के बीचों बीच बना दिया गया है। जिसमें एक बूंद पानी नहीं रूकता। इस स्टाप डेम के आसपास ना तो खेत है ना ही यहां कोई बसाहट हैं। इसके साथ ही इस स्टॉप डेम के आसपास से कोई आवागमन मार्ग भी नहीं है। इस स्टॉप डेम का उपयोग ना तो इंसान कर सकता है, ना ही मूक मवेशी, फिर भी संबंधित तकनीकी अधिकारियों द्वारा विगत 14 जून 2021 को इस निर्माण कार्य की स्वीकृति दे दी गई। स्टॉप डेम निर्माण कार्य के दौरान यहॉ वॉटर केचप एरिया का ध्यान नहीं रखा गया। जबकि तकनीकि स्वीकृति प्रतिवेदन में उल्लेख किया गया है कि इस स्टॉप डेम के निर्माण से वर्षा का पानी रोककर ग्रामवासियों द्वारा निस्तार किया जायेगा एवं मवेशी पानी पी सकेंगे लेकिन यहां ऐसा कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है।

हस्ताक्षर में दिख रही भिन्नता 

बताया गया कि निर्माण किये गए स्टॉप डेम में करीब 4 लाख रूपये ही खर्च हुए होंगे, लेकिन 10 लाख 50 हजार रूपये का मूल्यांकन कर शासकीय राशि हजम कर ली गई। समाजसेवी अखिलेश सोनी का कहना है कि ग्राम पंचायत के चंद लोग यदि प्रस्ताव में हस्ताक्षर करके हवाई अड्डे की मॉग करेंगे तो क्या हमारे तकनीकि अधिकारी हवाई अड्डे की स्वीकृति दे देंगे। ठीक ऐसे ही इस स्टॉप डेम का हाल है। अनुपयोगी स्थल पर इस स्टॉप डेम का बनाया जाना इतनी बड़ी राशि के दुरूपयोग का पर्दाफाश कर रहा है। वहीं सूचना अधिकार के तहत मिली जानकारी में उक्त निर्माण कार्य के दस्तावेजों में उपयंत्री और एसडीओ के हस्ताक्षर में भी भिन्नता दिखाई दे रही है। मूल तकनीकि स्वीकृति में किसी और के हस्ताक्षर हैं और वर्किंग स्टीमेट फोर स्टॉप डेम कम रपटा कंस्ट्रक्शन में किसी और के हस्ताक्षर कराकर ग्राम पंचायत द्वारा स्टॉप डेम बना दिया गया। इस मामले की उच्च स्तरीय जॉच की मांग की गई है। ग्रामीणों ने कहां है कि संबंधित जिम्मेदार उक्त निर्माण कार्य की राशि वसूल कर उपयोगी स्थल पर निर्माण कार्य कराया जाये, जिससे निर्माण के उद्देश्य की पूर्ति हो सके।



 

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