नर्मदा में कर रहे प्रवासी पक्षी अठखेलियां

  • नर्मदा में कर रहे प्रवासी पक्षी अठखेलियां
  • सर्दियोंं के मौसम में होती है प्रवासी मेहमनों की आमद
  • हजारों किमी का करते है सफर
  • जिले के विभिन्न क्षेत्रों में रहता है प्रवास

मंडला महावीर न्यूज 29. सर्दियों का मौसम आते ही जिले में प्रवासी पक्षियों के आने का सिलसिला भी शुरू हो जाता है। विदेशी मेहमानों की चहचहाट से जिले के नदी, सरोबर गुलजार हो गए है। प्रवासी पक्षियों की जल क्रीड़ा सभी को अपनी ओर आकर्षित करता है। ये मेहमान पक्षी जिला मुख्यालय के महाराजपुर संगम घाट, नारायणगंज के कुम्भेश्वर घाट, घाघा, घाटी घाट समेत जिले के अन्य जल स्त्रोतों में बड़ी संख्या में नजर आ रहे है। प्रतिवर्ष संगम घाट और कुम्भेश्वर घाट समेत अन्य स्थानों में इन प्रवासी पक्षियों का ठिकाना होता है। यहां बड़ी संख्या में अलग-अलग प्रजाति के प्रवासी पक्षी अपनी आमद देते है। संगम घाट और कुम्भेश्वर घाट और घाघा, घाटी घाट में ये प्रवासी पक्षी आकर्षण का केन्द्र बने हुए है। वहीं संगम और कुम्भेश्वर घाट पर इन पक्षियों को देखने जहां स्थानीय समेत अन्य पक्षी प्रेमी भी पहुंच रहे हैं, वहीं कुछ उनके लिए दाना लेकर भी जाते हैं। जिससे इन मेहमानों की मेहमान नाबाजी की जा सके।

नर्मदा नदी के संगम घाट और कुम्भेश्वर घाट में पक्षियों की अटखेलियों को देखने के लिए जहां बहुत लोग पहुंचते हैं वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो भोजन के रूप में उन्हें कुछ खाने के सामान यहां डालते हैं। विशेषज्ञों की माने तो ये इन पक्षियों के स्वास्थ्य के लिए खतरा है। पक्षियों का प्राकृतिक भोजन वे स्वयं ढूंढ लेते हैं वह पानी या इसके आसपास कीड़े मकोड़े के रूप में होता है। लेकिन यहां आने वाले लोग नर्मदा घाट में पॉलीथिन, थर्माकोल समेत अन्य खाद सामग्री डाल देते हैं इससे न केवल प्रदूषण का खतरा है बल्कि इन पक्षियों के लिए भी ये खतरे का सबब बन सकता है।

जिले में रहता है करीब पांच महिने का प्रवास 

जिला मुख्यालय के नर्मदा व बंजर के संगम में कई वर्षो से प्रवासी पक्षियों का डेरा है। सर्दियों की दस्तक के साथ जिले के संगम और नारायणगंज के कुम्भेश्वर घाट में हर साल बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी अक्टूबर से फरवरी तक आते हैं। अत्यधिक ठंड के कारण साइबेरियाई पक्षी हिमालय की ऊंचाई को पार कर मप्र और भारत के अन्य इलाको में पहुंचते हैं। जिसमें मंडला जिला भी शामिल है। ये अक्टूबर से दिसंबर तक हजारोंं प्रवासी पक्षी जिले में आते हैं और उनमें से अधिकांश अत्यधिक ठंड के कारण मीलो दूर से प्रजनन, उपयुक्त आवास, भोजन की तलाश में आते हैं। ये पक्षी मंडला के संगम घाट और कुम्भेश्वर घाट समेत अन्य नर्मदा के घाटों में लगभग पांच महीने तक रहते हैं। चार से पांच महीने के बाद वे अपने मूल स्थान में लौट जाते हैं।

संरक्षित करने होना चाहिए प्रयास 

पक्षी प्रेमियों का कहना है कि थर्माकोल पत्तल का चलन चलने के साथ पॉलिथीन का भी ज्यादा ही उपयोग नर्मदा घाटों में किया जाता है। जिला प्रशासन को नर्मदा घाटों में दोना पत्तल के विनिष्टीकरण के लिए सुव्यवस्थित स्थान बनाना चाहिए। जिससे प्रवासी पक्षियों को पॉलिथीन और थर्माकोल से कोई असुविधा ना हो। इसके साथ ही नर्मदा नदी में नाव चलाने वाले नाव चालक को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। जिससे आने वाले पर्यटक और लोगों को पक्षियों को करीब से दिखा सके और इन प्रवासी पक्षियों को बचाने में सहयोग कर सके। पक्षियों के प्रति और उत्साह व जानकारी को सभी से साझा करने के लिए हमें ऐसे जगह पर बर्ड फेस्टिवल का भी आयोजन करना चाहिये।

इनका कहना है

ज्यादातर साइबेरियन पक्षी की प्रजाति भारत आती है, क्योकि साइबेरिया का औसतन तापमान 20 डिग्री रहता है, और ये पक्षी ठंडे खून वाले होते है, ऐसे में तेज ठंड से बचने के लिए, भोजन की तालाश व प्रजनन के लिए ये पक्षी हर साल करीब सात हजार किमी का सफर तय करते है। इन पक्षियों का प्रवास मंडला जिले में करीब चार माह रहता है। नारयणगंज के कुम्हा घाट में इन पक्षियों के कारण पर्यटन को बढ़ावा मिल सकता है।


आशीष सोनी, पक्षी प्रेमी, नारायणगंज

प्रवासी पक्षी साइबेरियन करीब चार माह के लिए आते हैं और अपना अनुकूल रहवास पाकर वे अपनी जनसंख्या में वृद्धि करते हैं और वह पुन: वापस हो जाते हैं। जिले के कान्हा पार्क, संगम घाट, नारायणगंज के कुम्हा घाट, घाघा, घाटी घाट समेत अन्य क्षेत्रों में प्रवासी पक्षी करीब चार माह के लिए अपना रहवास बनाते है। जिले में आने वाले कुछ प्रवासी पक्षियों में कॉमन टील, टील रोजी, पेलिकन एशियाई कोयल भी शामिल है।


राजेश क्षत्री, ईको क्लब प्रभारी,मंडला

देशी परिंदों के साथ विदेशी परिंदों ने जिले की खूबसूरती पर चार चाँद लगा दिए है, ठण्ड के मौसम में अलग अलग प्रजाति के विदेशी मेंहमानों ने संगम घाट और कुम्भेश्वर घाट की रौनक बढ़ा दी है। प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा के लिए वन अधिकारियों के साथ युवा और आम नागरिक को इनके संरक्षण के लिए विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है।


सत्यसोभनदास, पक्षी प्रेमी, समाजसेवी

मंडला जिले के संगम घाट और अन्य स्थानों में प्रवासी पक्षियों को देखने के बहुत से स्थान है। इन क्षेत्रों में पक्षियों को सुरक्षित माहौल देने के साथ इन स्थानों को पॉलीथिन मुक्त करना भी जरूरी है। इन स्थानों पर बर्ड फेस्टिबल का भी आयोजन करना चाहिए, जिससे बच्चे और युवा में इन पक्षियों को बचाने में संवेदनशील हो।


संध्या यादव, पक्षी प्रेमी



 

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