- कृषक मित्र बनकर गांव में शुरू किया मृदा जांच केन्द्र
- किसान गांव में ही करा सकेंगे अपनी खेत की मिट्टी की जांच
- मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला इकाई संचालित करने मिला 75 प्रतिशत का अनुदान
- महिला समूह के माध्यम से ग्रामीण स्तरीय मृदा परीक्षण योजना का लाभ
मंडला महावीर न्यूज 29. किसान के खेत की मिट्टी में पौधो की समुचित वृद्धि एवं विकास के लिए उसमें मौजूद आवश्यक पोषक तत्वों की उपलब्ध मात्रा का रासायनिक परीक्षणों द्वारा आंकलन करके खेत की मिट्टी में लवणीयता, क्षारीयता एवं उसकी अम्लीयता की जांच मृदा परीक्षण द्वारा की जाती है। जिससे किसानों द्वारा लगाई जाने वाली फसलों से अच्छा उत्पादन हो सके। ग्रामीण स्तरीय मृदा परीक्षण योजना के तहत किसानों को मिट्टी के नमूने का परीक्षण कराकर मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिया जाता है। इस कार्ड में मिट्टी के नमूने के विश्लेषण के नतीजे अंकित होते हैं। इन नतीजों के आधार पर किसानों को उर्वरक का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। जिससे किसान अपने खेत में अच्छी फसल तैयार कर अच्छा उत्पादन कर सकते है। इस योजना के तहत ग्रामीण युवाओं और स्वयं सहायता समूहों को मृदा परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है। इन प्रयोगशालाओं का संचालन स्थानीय युवाओं द्वारा किया जाता है।
जानकारी अनुसार अपने खेत की मिट्टी की जांच कराने के लिए अभी तक किसानों को ब्लाक व जिला स्तर पर स्थापित मृदा परीक्षण प्रयोगशाला जाना पड़ता था। इन प्रयोगशाला की दूरी अधिक होने के कारण क्षेत्रीय किसानों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता था। किसानों की इसी परेशानी को खत्म करने और मृदा परीक्षण को प्रोत्साहन करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा ग्रामीण स्तरीय मृदा परीक्षण योजना के तहत अब गांव में ही मिट्टी परीक्षण के लिए प्रयोगशाला स्थापित करने की योजना शुरु की गई है।
बताया गया कि आदिवासी बाहुल्य जिला मंडला के विकासखंड नारायणगंज बबलिया सेक्टर के ग्राम मुकासखुर्द में मृदा जांच केन्द्र की शुरूआत की गई है। इस योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए सिंजेटा फांउडेशन द्वारा तकनीकी मदद और आजीविका मिशन द्वारा संस्थागत मदद दी जा रही है। गांव में ही मिट्टी के परीक्षण की प्रयोगशाला शुरु करने के लिए सरकार द्वारा युवाओं को करीब 75 प्रतिशत का अनुदान भी दिया गया है। इस प्रयोगशाला को स्थापित करने में करीब पांच लाख रूपए की लागत आई है। नारायणगंज के बबलिया क्षेत्र के ग्राम मुकासखुर्द में चंद्रकांता महिला आजीविका स्वसहायता समूह द्वारा गांव में ही मिट्टी परीक्षण केन्द्र की शुरूआत की है। मृदा जांच केन्द्र शुरू होने से बबलिया क्षेत्र के करीब 6 हजार किसानों को इसका लाभ मिल सकेगा। अब इस क्षेत्र के किसानों को अपने खेत की मिट्टी जांच कराने के लिए अधिक दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी।
किसानों ने बताया कि कृषि विभाग द्वारा मृदा कार्ड बनाने की कवायद वर्तमान में की जा रही है। लेकिन किसानों को खेत से मिट्टी के नमूने लेकर ब्लाक व जिला स्तर पर उसकी जांच कराने के लिए वर्तमान में कई किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। बताया गया कि कृषि विभाग द्वारा मंडला जिला के ब्लाकों में भी मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला बनाई गई है, जिससे किसानों को अपने खेत की मिट्टी का परीक्षण कराने के लिए असुविधा ना हो, लेकिन मृदा प्रयोगशाला की दूरी अधिक होने के कारण क्षेत्र के कई किसान प्रयोगशाला तक नहीं पहुंच पाते है। इन सब समस्याओं को देखते हुए ग्राम मुकासखुर्द के लखन लाल धुर्वे ने चंद्रकांता महिला आजीविका स्वसहायता समूह के माध्यम से योजना का लाभ लेते हुए ग्राम में ही मृदा जांच केन्द्र की शुरूआत की है। जिससे क्षेत्र के किसानों को इसका लाभ मिल सके।
मृदा जांच केन्द्र खोलने मिला अनुदान
नारायणगंज बबलिया के ग्राम मुकासखुर्द में हितग्राही लखन लाल धुर्वे ने पांच समूह सदस्य की मदद से ग्राम में ही मृदा जांच केन्द्र खोलने का मन बनाया। जिसके लिए लखन ने सिंजेटा फाउंडेशन के प्रोजेक्ट इंचार्ज शिवम कुमार से मुलाकात की। जिसके बाद शिवम ने इन्हें सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि दूरदराज के ग्रामीण अंचल के किसानों के खेतों की मृदा जांच को सुलभ बनाने के उद्देश्य से सरकार द्वारा योजना चलाई जा रही है। इस योजना के तहत गांव-गांव में मिट्टी परीक्षण केन्द्र खोलने के लिए अनुदान दिया जा रहा है। इस योजना के लिए उद्यमी, स्वसहायता समूह समेत अन्य युवा वर्ग भी सरकार द्वारा चलाई जा रही इस योजना का लाभ लेते हुए ग्राम में मृदा जांच केन्द्र खोल सकते है। जिससे बेरोजगार युवाओं को आर्थिक मदद के साथ क्षेत्र के किसानों को भी इसका लाभ मिल सकेगा। मृदा जांच केन्द्र शुरू करने के लिए सरकार द्वारा समूह को 75 प्रतिशत तक अनुदान दे रही है। जिसका फायदा ग्राम मुकासखुर्द की चंद्रकांता महिला आजीविका स्वसहायता समूह द्वारा लिया गया और गांव में ही मृदा जांच केन्द्र पांच लाख रूपए की लागत से शुरू कर दिया। इस मृदा जांच केन्द्र में किसानों के खेत की मिट्टी की जांच की शुरूआत इस खरीफ सीजन से की जाएगी।
मृदा जांच केन्द्र में ये उपलब्ध
बताया गया कि गांव में मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला के लिए मशीनरी में मिनी लैब एवं एसेसरीज, कम्प्यूटर, प्रिंटर, स्कैनर हैंड हेल्ड डिवाइस समेत मुद्रक, स्कैनर, गरम हवा का ओवन, मिट्टी हिलाने वाला यंत्र, मिट्टी का संकेत, पीएच मीटर, रसायन, तोलन यंत्र सामग्री उपलब्ध हुई है। जिसकी कीमत करीब पांच लाख रूपए है। इस मृदा केन्द्र को खोलने के लिए हितग्राही को 75 प्रतिशत अनुदान मिला है। स्टार्टअप को शुरू करने के लिए हितग्राही लखन लाल और उनके सदस्यों का अंशदान 01 लाख 25 हजार रूपए और सरकार द्वारा दिया गया अनुदान 03 लाख 75 हजार रूपए का है।
इनका कहना है
ग्रामीण स्तरीय मृदा परीक्षण केन्द्र शुरू करने का उद्देश्य यही है कि ग्राम स्तर में मृदा की जांच कराने में किसानों को समस्या आ रही थी,जिसके कारण किसानों को उनकी खेत की मिट्टी के विषय में सही जानकारी नहीं मिल पा रही थी। यह मृदा जांच केन्द्र खुलने से यहां के किसान अब अपने खेत की मृदा का परीक्षण करा सकेंगे।
शिवम कुमार
प्रोजेक्ट इंचार्ज, सिंजेटा फाउंडेशन