मार्ग किनारे धान की फसल का लगा रहे ढेर

  • मार्ग किनारे धान की फसल का लगा रहे ढेर
  • आने जाने में परेशानी, हादसे का अंदेशा

मंडला महावीर न्यूज 29. जिले में खरीफ फसल की कटाई का अंतिम चरण चल रहा है। किसान धान की फसल की कटाई कर खेतों व खलिहान में खरी बनाकर रख रहे है। वहीं अधिकत्तर क्षेत्रो में किसान हार्वेस्टर, मशीन से अपनी फसल की कटाई और गाहनी कर फसल को सीधे घर या मंडी तक ले जा रहे है, लेकिन जिले भर में बहुत से किसानों के पास स्थान अपनी फसल को रखने के लिए स्थान ना होने के कारण किसान मार्ग किनारे ही खरी बनाकर रख देते है और मार्ग किनारे ही फसल की गाहनी कर दी जाती है। मार्ग किनारे गाहनी करने से आवाजाही करने वाले लोगों को उडऩे वाली डस्ट से परेशानी का सामना करना पड़ता है।

जानकारी अनुसार जिले के कुछ एक किसान जिनके खेत मार्ग किनारे स्थित है और उनकी फसल को रखने के लिए उनके पास पर्याप्त स्थान और घर से दूरी अधिक होने के कारण ये अपनी फसल को मार्ग किनारे ही खरी बनाकर रख देते है और यहीं इसकी गाहनी भी कर दी जाती है। यहीं हॉल ग्रामीण क्षेत्रों के मार्गो समेत नेशनल हाईवे के मार्गो में भी है। नेशनल हाईवे मार्ग 30 के किनारे बहुत से क्षेत्रों में धान की फसल की खरी देखने को मिल जाएगी। जिससे आने जाने वाले राहगीरों को धान की खरी से उडऩे वाले पैरे से परेशानी उठानी पड़ती है।

बताया गया कि नेशनल हाईवे समेत अन्य मुख्य मार्गो के किनारे रखी धान की खरी और पैरों के कारण यहां से गुजरने वाले लोगो को परेशानी उठानी पड़ती है। मार्ग किनारे तेज रफ्तार से भागते वाहनों के कारण मार्ग किनारे रखी फसल की खरी से पैरा और उसकी डस्ट अचानक उड़ती है। जिसके कारण वहां से गुजरने वाले दोपहिया वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। अचानक उड़ी डस्ट वाहन चालकों के आंखो में जाने से हादसे का अंदेशा बना हुआ है।

ग्रामीण मार्गो में भी लगे ढेर 

जिला मुख्यलाय के कई ग्रामों के मार्ग किनारे काटी गई फसल को मार्ग किनारे रखा गया है। पदमी से रामनगर मार्ग में भी कई क्षेत्रों में पैरे की खरी और धान की फसल रखी हुई है। वहीं बरगवां और मधुपुरी गांव के जोडऩे वाले मार्ग में किसानो के द्वारा धान की फसल काट कर रख दी जाती है। जिसके कारण राहगीरों को आवाजाही में परेशानी का सामना करना पड़ता है। रात के समय में वाहन चालको को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इन मार्गो में हादसे का अंदेशा बना रहता है।

चल रहा गाहनी का कार्य 

बताया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों में धान की फसल की कटाई हो चुकी है और अब गाहनी कार्य जोरो से चल रहा है। ग्रामीण क्षेत्र के मार्गो से लगे हुए खेत भी है। जिसके कारण किसान अपनी फसलों को काट कर मार्ग किनारे ही रख देते है। यही मार्ग किनारे ही कटी हुई फसल को थ्रेसर के माध्यम से धान और पैरा अलग किया जा रहा है। जिससे डस्ट के साथ पैरा भी मार्गो में फैल रहा है और आने जाने वालों को परेशानी उठानी पड़ रही है। इसके साथ ही फसल की गाहाई के बाद बचा हुऐ पैरों को वहीं छोड़ दिया जाता है। जिससे वाहनों के अनियंत्रित होने का भी खतरा बना रहता है।


 

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