- घास मैदान प्रबंधन, रहवास विकास, बारहसिंगा संरक्षण को समझ रहे स्लोवाकिया छात्र
- स्लोवाकिया छात्र कर रहे बफर जोन में सफारी और इंटरप्रिटेशन सेंटर का दौरा
- स्लोवाक के छात्र कान्हा के इतिहास, प्रबंधन और संरक्षण की ले रहे जानकारी
- एजुकेशनल टूर पर कान्हा पहुंचा स्लोवाकिया के विद्यार्थियों का दल
- कान्हा में बारहसिंगा संरक्षण कार्यक्रम को समझेंगे छात्र
- वन अंमले और अधिकारियों के साथ स्लोवाकिया के विद्यार्थी कर रहे संवाद
- शैक्षणिक दौरे में कान्हा नेशनल पार्क पहुंचे यूरोप के स्लोवाक छात्र का दल
मंडला महावीर न्यूज 29. कान्हा टाइगर रिजर्व को वन्यप्राणियों के उत्कृष्ट संरक्षण और प्रबंधन नीतियों के लिए राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर ख्याति प्राप्त है। इसी से प्रेरित होकर यूरोप के स्लोवाकिया देश से प्रतिभाशाली छात्रों का एक दल शैक्षणिक प्रवास के लिए 23 नवंबर तक के लिए कान्हा पहुंचा हुआ है।
स्लोवाकिया के प्रतिष्ठित बीएआरएस प्रतियोगिता के विजेताओं का छात्र दल कान्हा टाइगर रिजर्व में शैक्षणिक दौरे पर आया है। स्लोवाक एकेडमी ऑफ साइंसेज और स्लोवाक शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित यह पहल 1993 से युवाओं में वन पुर्नस्थापना और पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से संचालित हो रही है। इन छात्रों ने स्लोवाकिया में 15 हजार से अधिक स्थानीय पेड़ लगाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
स्मृति चिन्ह के रूप में दिया राष्ट्रीय वाद्य यंत्र
दल में मार्टिन पिस्टोव्याक वल्र्ड केमिस्ट्री ओलंपियाड विजेता, मार्टिन रोमन, जकुब हलादिक, टोमस कुल्बा, मातुश मिकुलेक और नेला श्लॉसरोवा शामिल हैं। इनके साथ बीएआरएस-आईवी परियोजना के संचालक पीटर ब्रसांस्की सांस्की भी हैं। कान्हा टाइगर रिजर्व में उनकी यात्रा की शुरुआत क्षेत्र संचालक पुनीत गोयल भावसे, उप संचालक बफर अमीथा केबी भावसे द्वारा परिचयात्मक सत्र के साथ हुई, जिसमें कान्हा के इतिहास, प्रबंधन और संरक्षण रणनीतियों पर जानकारी दी गई। साथ ही प्रोएक्टिव मॅनेजमेंट की पुस्तक प्रदाय कर स्वागत किया गया। स्वागत कार्यक्रम के दौरान, छात्र दल ने स्लोवाकिया के राष्ट्रीय वाद्य यंत्र फुजारा को कान्हा प्रबंधन को स्मृति चिन्ह के रूप में भेंट किया।
बफर जोन में करेंगे सफारीप्रवास के दौरान छात्रों का शाकाहारी जीवों की निगरानी तकनीक, वन्यजीव स्थानांतरण प्रक्रिया, और घोरेला में टाइगर रिवाइल्डिंग सेंटर का दौरा शामिल है। वे घास के मैदान प्रबंधन, रहवास विकास, बारहसिंगा संरक्षण कार्यक्रम और इको-डेवलपमेंट कमेटियों की भूमिका के बारे में भी जानेंगे। प्रकृति पथ, वन्यजीव सफारी, बफर जोन में सफारी और इंटरप्रिटेशन सेंटर का दौरा उनके अनुभव को और समृद्ध बनाएगा।
चुनौती और उपलब्धियों को समझने में मिलेगी मदद
इसके अलावा, अग्रिम पंक्ति के वन अंमले और अधिकारियों के साथ संवाद से संरक्षण क्षेत्र की चुनौतियों और उपलब्धियों को समझने में मदद मिलेगी। क्षेत्र संचालक पुनीत गोयल का कहना है कि यह दौरा अंतरराष्ट्रीय सहयोग का एक अनूठा उदाहरण है, जो पर्यावरण संरक्षण की भावना और भारत की प्राकृतिक धरोहर की गहरी सराहना को बढ़ावा देता है। कान्हा प्रबंधन यह सुनिश्चित कर रहा है कि स्लोवाक दल के लिए यह अनुभव अर्थ पूर्ण और ज्ञानवर्धक हो।