58 वर्षो से अनवरत चल रही लफरा में रामलीला

लालटेन युग से एलईडी युग में भी जला रहे धर्म की ज्योत

  • नई पीढ़ी को सनातन धर्म और श्रीराम के पद चिन्हों पर चलने की दे रहे प्रेरणा
  • मशाल की जगमगाती रोशनी के बीच लफरा में होता था रामलीला का मंच
  • मंडला के ग्राम लफरा में 58 वर्षो से अनवरत चल रही रामलीला

मंडला महावीर न्यूज 29. मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने मर्यादा, करुणा, दया, सत्य, सदाचार और धर्म के मार्ग पर चलते हुए राज किया। इसलिए उन्हें आदर्श पुरुष और मर्यादा पुरुषोत्तम भी कहा जाता है। भगवान राम में अनेक गुण हैं, ये गुण हर व्यक्ति में जरूर होना चाहिए। भगवान श्रीराम के कई मित्र थे, केवट, सुग्रीव, निषादराज और विभीषण। सभी के साथ भगवान श्रीराम एक जैसा मित्रता का भाव रखते थे। भगवान श्रीराम की तरह मित्रता निभाने का गुण हर किसी में भी होना चाहिए। मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम के मार्ग चलते हुए आदिवासी बाहुल्य जिला मंडला के एक छोटे से ग्राम के रूपकला नवयुवक रामलीला मंडल करीब 58 वर्ष से रामलीला का मंच कर रही है। इस छोटे से गांव में मशाल और लालटेन युग से रामलीला की शुरूआत की गई, जो आज एलईडी युग की चकाचौंध रोशनी में सनातन धर्म की अलख जगा रही है।

मंडला जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर दूर बिछिया जनपद के ग्राम पंचायत लफरा में रुपकला नवयुवक रामलीला मंडल द्वारा अनवरत सन् 1966 से रामलीला का मंचन किया जा रहा है। रामलीला मंडल के वरिष्ठ जगदीश श्रीवास ने बताया कि ग्राम लफरा में सन् 1968 में बिजली आई थी लेकिन रामलीला सन् 1966 से शुरू कर दी गई थी। रामलीला की शुरूआत जब हुई उस समय लकड़ी में कपड़ा लपेट कर केरोसिन डालकर कर आस पास खम्भों में बांध कर आग लगा दी जाती थी।। इस मशाल की आग से जगमगाती रोशनी के बीच लफरा में रामलीला का मंच किया जाता था।

12 वर्षो से रामलीला मंचन में लक्ष्मण का किरदार निभा रहे ग्राम लफरा निवासी कमलेश हरदहा ने बताया कि लालटेन युग में उनके पूर्वज मशाल की रोशनी में पूरी रामलीला का मंच करते है। इस रामलीाला को देखने पूरा गांव एकत्र हो जाता था। रामलीला में किरदार निभाने वालों का उत्साहवर्धन किया जाता था। जिसके कारण इस एलईडी युग में भी अनवरत 58 वर्षो से यह रामलीला लगातार चल रही है। इस रामलीला मंचन के माध्यम से नई युवा पीढ़ी को सनातन से जोड़े रखने का एक प्रयास है। जिससे हमारी संस्कृति और विरासत को बचा सके।

35 वर्ष से रामलीला मंडल में निभा रहे किरदार 


लफरा के प्रमोद हरदहा को नवयुवक रामलीला मंडल में करीब 35 वर्षो से रामलीला में अलग-अलग किरदारों को निभाने का मौका मिला है। प्रमोद रामलीला में पहले परशुराम का किरदार निभाए, इसके बाद श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण का किरदार करीब 25 वर्षो तक निभाने के बाद करीब 10 वर्षो से श्रीराम के परम भक्त हनुमान का किरदार निभाने का मौका मिला। श्री हनुमान का किरदार अद्भूत है। इस किरदार से श्रीराम की भक्ति का ज्ञान प्राप्त होता है। श्रीराम के पद चिन्हों पर चलने की प्रेरणा मिलती है।

12 वर्ष से लक्ष्मण की निभा रहे भूमिका 

ग्राम लफरा निवासी कमलेश हरदहा मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण का किरदार निभाते 12 वर्ष हो गए है। लक्ष्मण का किरदार एक अलग ही किरदार है। लक्ष्मण बचपन से ही राम के प्रति समर्पित थे और चौदह वर्ष तक उनके साथ वनवास पर रहे। वनवास काल में श्रीराम और सीता माता की निरंतर सेवा करने का मौका लक्ष्मण को ही मिला। उन्होंने युद्ध में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और मेघनाथ का वध किया। लक्ष्मण को हिंदू धर्म में भारत में श्रीराम और माता सीता के साथ पूजा जाता है। ऐसे अलौकिक पुरूष का किरदार करना सौभाग्य की बात है।

रतन केवट 28 वर्षो से बन रहे सीता माता 

ग्राम लफरा के नवयुवक रामलीला मंडल द्वारा आयोजित रामलीला में प्रमुख किरदार सीता माता का भी है। जिसमें ग्राम के रतन केवट सीता माता का किरदार निभा रहे है। रतन केवट ने बताया कि उनके पहले रामलीला का किरदार निभाने वाले लालटेन की रोशनी में रामलीला किया करते थे और इस रामलीला को देखने पूरा गांव उमड़ पड़ता था। उस समय भी पूरा गांव गांधी चौक दुर्गोत्सव में दिखाई देता था। लालटेन युग से चल रही रामलीला आज भी है। बदलते परिवेश में रामलीला मंडल के कलाकारों के साथ लाइटिंग साउंड सिस्टम सभी बदले लेकिन रामलीला वही है और आज भी क्षेत्र में लफरा की रामलीला की सराहना की जाती है। कलाकारों के शानदार अभिनय और समर्पण के कारण यह रामलीला क्षेत्र में काफी मशहूर है।

क्षेत्र के कलाकार आज भी निभा रहे महत्वपूर्ण किरदार


राजेन्द्र हरदहा नवयुवक रामलीला मंडल में पहले श्रीराम का किरदार निभाते थे। समय के साथ इस मंच में किरदार बदले है, लेकिन इस रामलीला पर उसका कोई असर नहीं पड़ा है। अब राजेन्द्र करीब 25 वर्षो से दशरथ का किरदार निभा रहे है। इन्होंने बताया कि इतने मनोरंजन के साधन होते हुए भी समझदार वर्ग आज भी रामलीला देखना पसंद करते हैं। रामलीला के संचालनकर्ता स्वर्गीय रामेश्वर पटेल आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके छोटे बेटे चंद्रेश्वर पटैल उनके पद चिन्हों पर चलते हुए व्यास का काम संभाले हुए हैं। रामलीला मंडल के सभी छोटे, बड़े कलाकारों के बीच वरिष्ठों, बुजुर्गों में रमेश केवट, नंदु केवट, विष्णु कार्तिकेय, रमेश धनगर, नन्हुआ केवट रामलीला में आज भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है। रुपकला नवयुवक रामलीला मंडल का उद्देश्य लोगों का नवरात्रि में मनोरंजन करने के साथ नई पीढ़ी को हमारे सनातन धर्म हमारे अराध्य श्रीराम का चरित्र चित्रण का ज्ञान इस श्रीराम की लीला के माध्यम से देना है।

रीति रिवाज से निकाली श्रीराम की बारात 

रुपकला नवयुवक रामलीला मंडल का उद्देश्य लोगों का नवरात्रि में मनोरंजन करने के साथ नई पीढ़ी को हमारे सनातन धर्म और हमारे अराध्य राम का चरित्र चित्रण का ज्ञान रामलीला के माध्यम से देना ही मुख्य उद्देश्य है। इस वर्ष छट के दिन श्री राम विवाह संपन्न किया गया। जिसमें रुपकला नवयुवक रामलीला मंडल द्वारा श्री राम का विवाह जैसे सभी के घर, परिवार में उनके बेटे का विवाह हिन्दु रीति रिवाज के साथ किया जाता है, वैसे ही श्री राम का विवाह इस वर्ष भी किया गया। षष्ठी की रात ग्राम लफरा निवासी राजेंद्र हरदहा के घर से पूरे हिंदू रीति रिवाज के साथ विवाह संस्कृति अपनाते हुए बारात निकाली गई।


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