नवरात्र का सातवां दिन
- अष्टमी आज, माता को चढ़ेगी अठवाई
- माता के दरबार में उमड़ी भक्तों की भीड़
मंडला महावीर न्यूज 29. शारदेय नवरात्र को सप्तमी की पूजा की गई। देवालों व मंदिरों में पूजा हुई। माता को सप्तमी का श्रंृगार भी कराया गया। घरों में नवरात्र के चलते अनुष्ठान संपन्न हुए तो कुछ पंडालों में विशेष पूजी गई। जहां पर सुबह माता की आरती के बाद उनका श्रृंगार किया गया। जिसके बाद माता का प्रिय दुर्गा सप्तसती पाठ के आयोजन हुए। मंदिरों पंडालों में सप्तमी बनाई गई। आज अष्टमी की पूजा अर्चना व हवन सुबह से प्रारंभ होंगे। महाराजपुर खैरमाई में बूढ़ी माता मंडला विंध्यवासिनी समेत जिले के सभी शक्तिपीठों और खैरमाई माता मंदिरों में आज अष्टमी पूजी जाएगी।
नवरात्र की धूम अपने पूरे शबाव पर है। जहां ग्रामीण क्षेत्र से लोग माता के दर्शन को आ रहे है। समितियों के द्वारा अनेकों देवी पंडालों में घूमने आए लोगों के लिए चाय पानी, भंडारे की व्यवस्था की गई है। वहीं सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस व्यवस्था भी चुस्त दुरूस्त है। पुलिस विभाग के द्वारा मंडला महाराजपुर में पुलिस जवान तैनात है। माता के दर्शन को उमड़ रही भीड़ देखकर लगता है कि माता के प्रति लोगों की श्रृद्धा अपने शबाव पर है। देवी पंडालों व मंदिरों में लगातार जस का आयोजन हो रहे है। वहीं लोगों के द्वारा रात्रि जागरण कर माता की भक्ति को जस व भजन के द्वारा व्यक्त किया जा रहा है।
आज मनाई जाएगी अष्टमी
भक्तों द्वारा आज घर घर में अष्टमी मनाई जाएगी। प्रात:काल से ही सिद्ध पीठों, देवी मंदिरों, खेरमाई व घरों में पूरी श्रृद्धा भक्ति से अष्टमी मनाई जाएगी। जिसमें भक्त माँ की पूजा अर्चना करेंगे। अठवाई चढ़ाएंगे।
आज की जाएगी महागौरी की पूजा
नवरात्रि में आठवें दिन महागौरी शक्ति की पूजा की जाती है। नाम से प्रकट है कि इनका रूप पूर्णत: गौर वर्ण है। इनकी उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से दी गई है। अष्टवर्षा भवेद् गौरी यानी इनकी आयु आठ साल की मानी गई है। इनके सभी आभूषण और वस्त्र सफेद है। इसलिए उन्हें श्वेताम्बरधरा कहा गया है। 4 भुजाएं है और वाहन वृषभ है। इसलिए वृषारूढ़ा भी कहा गया है।
इनके ऊपर वाला दाहिना हाथ अभय मुद्रा है तथा नीचे वाला हाथ त्रिशूल धारण किया हुआ है। ऊपर वाले बांये हाथ में डमरू धारण कर रखा है और नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है। इनकी पूरी मुद्रा बहुत शांत है। पति रूप में शिव को प्राप्त करने के लिए महागौरी ने कठोर तपस्या की थी। इसी वजह से इनका शरीर काला पड़ गया। लेकिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इनके शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोकर कांतिमय बना दिया। उनका रूप गौर वर्ण का हो गया। इसलिए ये महागौरी कहलाई। ये अमोघ फलदायिनी है और इनकी पूजा से भक्तों के तमाम कल्मश धुल जाते है। पूर्वसंचित पाप भी नष्ट हो जाते है। महागौरी का पूजन अर्चन, उपासना, आराधना कल्याणकारी है। इनकी कृपा से अलौकिक सिद्धियां भी प्राप्त होती है।