पालकी में सवार होकर आएंगी माँ दुर्गा

  • पालकी में सवार होकर आएंगी माँ दुर्गा
  • नवरात्र के नौ दिन भक्त करेंगे माँ की आराधना, आज होगी मूर्ति स्थापना

मंडला महावीर न्यूज 29. नवरात्र के नौ दिन मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। शारदीय नवरात्रि को मुख्य नवरात्रि माना जाता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार यह नवरात्रि शरद ऋतु में अश्विन शुक्ल पक्ष से शुरू होती हैं और पूरे नौ दिनों तक चलती हैं। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा पर आज 03 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र प्रारंभ हो रही है। भक्तों ने माता की प्रतिमा स्थापना की पूरी तैयारी कर ली है। जिले में प्रतिवर्ष करीब 500 मूर्तियां स्थापित की जाती थी। विगत वर्षो की अपेक्षा मूर्तिकारों ने उम्मीद जताई है कि इस बार ज्यादा प्रतिमाएं स्थापित होगी। आज माँ दुर्गा प्रतिमा की स्थापना की जाएगी। जिसके लिये भक्तों ने मूर्तियां आर्डर कर रखी थी। जिसके ले जाना का क्रम नवरात्र के एक दिन पहले से शुरू हो गया और आज भी प्रतिमाएं भक्त लेकर जाएंगे।

पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है। चौकी पर मां शैलपुत्री की तस्वीर या प्रतिमा को स्थापित करे और इसे बाद कलश कि स्थापना करें। कलश के ऊपर नारियल और पान के पत्ते रख कर स्वास्तिक जरूर बनाएं। इसके बाद कलश के पास अंखड ज्योति जला कर ‘ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ओम् शैलपुत्री देव्यै नम: मंत्र का जाप करें और फिर सफेद फूल मां को अर्पित करें। इसके बाद मां को सफेद रंग का भोग लगाएं। जैसे खीर या मिठाई आदि। अब माता कि कथा सुने और आरती करें। शाम को मां के समक्ष कपूर जरूर जलाएं।

दिन अनुसार तय होती है माता की सवारी 

पंडित नीलू महाराज ने बताया कि नवरात्र का आरंभ यदि सोमवार या रविवार के दिन होता है तो मां दुर्गा का वाहन हाथी होता है। नवरात्रि अगर शनिवार या मंगलवार से शुरू होती है तो माता रानी घोड़े में सवार होकर आती हैं। गुरुवार या शुक्रवार से नवरात्रि की शुरुआत होती है तो मां का आगमन डोली और पालकी पर होता है, वहीं बुधवार के दिन नवरात्रि शुरू होती है तो मां दुर्गा नौका में सवार होकर आती है, यानि मां का वाहन नौका होता है।

मुर्गे पर सवार होकर करेंगी प्रस्थान 

बताया गया कि मां दुर्गा का हाथी पर सवार होकर आना बहुत शुभ होता है। मान्यताओं के अनुसार अगर नवरात्र का समापन रविवार या सोमवार को होता है तो माता भैंसे पर सवार होकर प्रस्थान करती हैं, जिसे शुभ नहीं माना जाता है। अगर नवरात्र का समापन मंगलवार और शनिवार को होता है तो मां मुर्गे पर सवार होकर प्रस्थान करती हैं। यह वाहन कष्ट का संकेत है। बुधवार और शुक्रवार को नवरात्र का समापन होने पर माता हाथी पर सवार होकर प्रस्थान करती हैं, यह अधिक वर्षा का संकेत देता है। गुरुवार के दिन नवरात्र का समापन होने पर माता मनुष्य पर सवार होकर प्रस्थान करती हैं जो कि सुख और समृद्धि का संकेत होता है।


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