- चतुदर्शी में हुआ अकाल मृत्यु के लोगों का श्राद्ध
- 02 अक्टूबर को पितृ पक्ष का होगा समापन
- श्राद्ध के लिए नर्मदा तट पहुंच रहे श्रृद्धालु
मंडला महावीर न्यूज 29. आज 02 अक्टूबर को पितृ पक्ष खत्म हो जाएगा, फिर इसके अगले दिन से नवरात्रि की शुरूआत होगी। पितृ पक्ष के आखिरी दिन पितृमोक्ष अमावस्या है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु तपर्ण के लिए नर्मदा तट पहुंचते हैं। सोमवार को त्रयोदशी श्राद्ध किया गया। मंगलवार को चतुदर्शी श्राद्ध किया गया। ये तिथि अकाल मृत्यु को प्राप्त लोगों के श्राद्ध के लिए होती है। साथ ही इस दिन उन लोगों का भी श्राद्ध किया जाता है। जिसकी मृत्यु समय से पहले हो गई हो।
बताया गया कि हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष का बहुत ही महत्व है। श्राद्ध पक्ष के अवसर पर पितृदोष शांति के उपाय करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। पितृ दोष की शांति के लिए शास्त्रों में अनेक विधि-विधान बताए गए हैं। जैसे किन कारणों से पितृ दोष होता है और पितृ दोष की शांति कैसे करें। मान्यता है कि आश्विन कृष्ण पक्ष में चंद्रलोक पर पितरों का आधिपत्य रहता है और इस समय पृथ्वी का मार्ग प्रशस्त होता है। मत्स्य पुराण के अनुसार आश्विन माह में जब सूर्य कन्या राशि में रहता है, तब यमराज पितरों को अपने वंशजों से मिलने का अवसर देते हैं।
इस प्रकार पितृ पृथ्वी लोक पर आकर अपने वंशजों के द्वार पर आते हैं। इसलिए श्राद्ध कर्म इस समय किए जाते हैं। श्राद्ध कर्म करने के लिए नर्मदा तट में दूर दराज से लोग पहुंच रहे हैं। उपनगरी क्षेत्र महाराजपुर त्रिवेणी संगम घाट में छत्तीसगढ़, सिवनी आदि से लोग पहुंच रहे हैं। अंतिम दिनो में श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद बढ़ जाती है। रात से ही श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया था। जो धर्मशाला में भी रूके हैं। सुबह से तर्पण के लिए पहुंचेगे।
पंडित विजयानंद शास्त्री ने बताया कि श्राद्ध कर्म द्वारा व्यक्ति अपने पितरों को शांति प्रदान करता है तथा वंश को सुख एवं समृद्धि प्रदान कर पाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि व्यक्ति अपने पितरों की मुक्ति एवं शांति के लिए श्राद्ध कर्म एवं तर्पण न करें तो उसे पितृ दोष भुगतना पड़ता है और उसके जीवन में अनेक कष्ट उत्पन्न होने लगते है। पितरों से अभिप्राय व्यक्ति के पूर्वजों से है, ऐसे सभी पूर्वज, जो आज हमारे मध्य नहीं रहे या असमय मृत्यु को प्राप्त होने के कारण, जिन्हें मोक्ष की प्राप्ति नहीं हुई है, उन सभी की शांति के लिए पितृ दोष निवारण उपाय किए जाते हैं।