27 सितंबर-विश्व पर्यटन दिवस
- पर्यटन से ही जिले में खुल सकते है विकास के द्वार
- भविष्य में आने वाली पीढ़ी कर सकती है जिले का उद्धार
- पर्यटकों को धार्मिकता से जोड़कर करा सकते है भ्रमण
मंडला महावीर न्यूज 29. विश्व में वही देश सफल होता है जहां पर पर्यटन का द्वार होता है, उससे अर्थव्यवस्था की मजबूती होती है, लोगों को रोजगार मिलता है, शहर और जिले का विकास होता है। मंडला जिला पर्यटन के लिए एक सभी अपघटक को लेकर परिपूर्ण है। प्रकति ने यहां पर नैसर्गिक स्थल नर्मदा नदी, अनेक सुंदर पहाड़, वन्य प्राणी, ऐतिहासिक महल, आध्यात्मि आभा लिए सभी मंदिर विराजमान है, केवल जरूरत है इसे सवारने की और संभालने की।
मंडला जिले में दुनिया के दो लाख लोग राष्ट्रीय उद्यान कान्हा सफारी करने आते है। पर्यटकों को जिले के आसपास स्थलों को अवगत कराते हुए उन्हें घुमाया जाए तो निश्चित तौर पर मंडला जिले के पर्यटन के विकास से ही रोजगार संभव हो सकेगा। लोगों को रोजगार के साधन उपलब्ध होने से बेरोजगारी खत्म होगी। सृष्टि के सभी जलचर, थलचर, नभचर, पशु, पक्षी अपनी सांस्कृतिक विरासत पर वर्तमान में जीते और भविष्य के रूप में रूपरेखा निर्मित करते हैं। हमारे गांव कस्बे नगर और शहरों में भी हमारे पूर्वजों ने अनेक मंदिर, धर्मशाला, बावली, तालाब, गढ़ किले व राज भवन का निर्माण कराया। प्रकृति ने भी हमें सहयोग प्रदान किया। नदियों पहाड़ों व वनों के बीच सुरमय स्थान को प्रदान किया है।
आदिमानव के निवास स्थल, मालदीप, लक्षद्वीप जैसा दृश्य
मंडला के पास ही देव नाला, किकरा कुंड, हथडोल गुफाओं में आदिमानव के निवास स्थल रहे है। इन सभी स्थलों का विकास एवं संरक्षण करना अति आवश्यक है, इसके साथ ही नैसर्गिक स्थलों में सहस्त्रधारा, गरम कुंड, गिदली, घुघरा, धनगांव फॉसिल पार्क, सिद्ध घाट, खेराकी जैसे अनेक स्थल विकास की राह देख रहे हैं, इसके साथ ही घाघा घाघी, बुधेरा एवं झुरकी जैसे अनेक स्थल हैं जो बरगी बाध के कारण इन स्थानों पर मालदीप एवं लक्षद्वीप जैसे दृश्य का अनुभव कराते हैं। वहीं मलपठार, खुर्सीपार जैसे घने जंगल दुर्लभ है, यहां पर वल्र्ड वॉच एवं नेचर ट्रेल की योजना बनाई जा सकती है।
जिले में एतिहासिक धरोहरों की है भरमार
पर्यटकों को होमस्टे कराकर इस स्थान का भ्रमण कराया जा सकता है। इसके साथ ही पर्यटकों को आदिवासी संस्कृति से जुड़े हुए भजन एवं मिनिट्स के द्वारा बनाए गए व्यंजनों का भोग पर्यटकों कराया जा सकता है। इसके साथ ही मल पठार से जुड़े हुए अनेक निचले ग्राम हैं जो की छिंदवाड़ा जिले के पातालकोट का अनुभव कराते हैं, केवल जरूरत है इनको संवारने की एवं उनके विकास करने की। पर्यटन के विकास के साथ ऐतिहासिक स्थलों में रामनगर, मोती महल, राय भगत की कोठी, नरेंद्र शाह बुर्ज जैसे अनेक स्थल पर्यटकों को भ्रमण करने के लिए आवश्यक होंगे। राजा महाराजाओं के द्वारा बनाए गए अनेक दुर्लभ एवं प्रसिद्ध मंदिर जैसे राजराजेश्वरी मंदिर, वेदव्यास मंदिर, परशुराम, देवगांव का मंदिर, जगदामिनी का मंदिर, श्रृंगार्षि का मंदिर सिंगारपुर, सीतारपटन, घोडाघाट, मार्कंडेय आश्रम मधपुरी, कृष्ण मंदिर पुरवा, नक्खी माई मंदिर बकोरी जैसे अनेक स्थल है जो पर्यटकों के लिए धार्मिकता से जोड़कर उन्हें भ्रमण कराया जा सकता है।
एतिहासिक धरोहरों से नई पीढ़ी को कराए जागरूक
पर्यटन के क्षेत्र में विशेषज्ञ के रूप में राजेश क्षत्री ने बताया कि देश के अनेक राज्य तेजी से विकसित हो रहे है, ये विकास केवल पर्यटन क्षेत्र के विकास से ही कर रहे हैं। आज जरूरत है हजारों की संख्या में लोगों को रोजगार देने की। यहां के छात्रों, युवाओं को गाइड के रूप में प्रशिक्षण देकर उन्हें इतिहास की पहचान कराकर उनके जीवनदान के लिए बहुत बड़ा योगदान दिया जा सकता है। केवल जरूरत है इच्छा शक्ति की। उन्होंने स्थानीय नागरिकों से अपील कि है की वह सप्ताह में एक दिन हमारे पूर्वजों के द्वारा बनाए गए मंदिर एवं किलो के दर्शन के लिए घर से निकले एवं यहां बनाए गए ऐतिहासिक महलों को अपने परिवार एवं मेहमानों को जानकारी उपलब्ध कराए, जिससे मंडला जिले की धरोहरों की पहचान हो सके। मंडला जिले के इतिहास को नई पीढ़ी एवं आने वाली पीढ़ी को अवगत करा दिया तो भविष्य की पीढ़ी इस जिले का उद्धार करने में आगे आएगी।