- नर्मदा की सफेद दूधिया धारा को देखने उमड़ा सैलाब
- भगवान सहस्त्रबाहु ने माँ नर्मदा को रोकने का किया था प्रयास
- सहस्त्रधारा में दो दिवसीय मेला आयोजित
- दूर-दूर से सहस्त्रधारा में पिकनिक आनंद लेने पहुंचे लोग
- सहस्त्रधारा मड़ई में कलकल बहती नर्मदा किनारे उठाया खूब आनंद
- युवक, युवतियां छोटे, बड़ों और बच्चे ने लिया खूब आंनद
मंडला महावीर न्यूज 29. मुख्यालय से करीब तीन किमी दूर काली चट्टानों के बीच कलकल बहती माँ नर्मदा के पावन स्थल और पर्यटन स्थल सहस्त्रधारा में दो दिवसीय मेला प्रारंभ हुआ। प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी मेले में बड़ी संख्या में शहरवासी एवं ग्रामीणजन पहुंचे। मेले में सभी वर्ग के लोगों के लिए खाने-पीने से लेकर मनोरंजन और कई आवश्यक सामग्रियों की दुकानें लगाई गई थी। सहस्त्रधारा के पर्यटन स्थल में नर्मदा तट के दोनों ओर मेला भरता है। मंडला एवं महाराजपुर दोनों ओर से ही मार्ग है। जहां नर्मदा की काली चट्टानों की विशाल श्रृंखला है। इन काली चट्टानों से नर्मदा की सफेद जलधारा अतिसुंदर दृश्य पैदा करती है।
मुख्यालय के नजदीकी सहस्त्रधारा स्थल में लगने वाले मेले की विशेषता है कि यह पर्यटन स्थल के रूप में जिले समेत अन्य जिलों, प्रदेशों में भी प्रसिद्ध है। बताया गया कि भगवान सहस्त्रबाहु ने माँ नर्मदा को रोकने का प्रयास किया था। नर्मदा तो रूकी नहीं और आगे बढ़ती गई। जिससे अनेकों जल धाराएं काली चट्टानों के बीच से कलकल करती यहां पर मनमोहक दृश्य पैदा करती है। जिसे देखने पर्यटक यहां अक्सर खिचें चले आते है। जब यहां मेला भरता है तो चट्टानों के बीच गुनगुनी धूप में बैठकर माँ नर्मदा की सफेद दूधिया धाराएं को देखने का एक अलग ही अनुभव होता है। जिसके कारण जिले भर से इस मेले में लोग पर्यटन एवं पिकनिक के लिये बड़ी संख्या में एकत्र होते है।
जमकर बिकी मिठाईयां
दीवाली में जहां मिठाईयों की कीमत 300 से 1000 रूपये प्रति किग्रा थी तो वहीं मेले की मिठाईयां 80 से100 रूपये प्रति किग्रा में बिकी। शक्कर वाली मिठाईयों की बच्चों ने जमकर खरीदी कराई। मड़ई में दैनिक जरूरत के सामान के साथ अन्य सामग्रियों की खरीदी लोगों ने की। मड़ई में देर शाम तक काफी भीड़-भाड़ देखने को मिली।
लगी विभिन्न दुकानें
मड़ई में विभिन्न प्रकार की दुकानें लगी। जिसमें खिलौनो की दुकानें, सिंघाड़े, कांदा, देशी मिठाईयां, महिलाओं के श्रृंगार, फुल्की, चाट के ठेले समेत अनेक दुकानें यहां लगाई गई। जिसमें बच्चे, युवती, सहित बड़ी संख्या में लोग खरीदी करते नजर आए।
मेला स्थल में रहा पिकनिक का नाजारा
सहस्त्रधारा स्थल पिकनिक स्पॉट के रूप में मशहूर है। जहां सुबह से ही लोग परिवार सहित मेला स्थल पहुंचे। पत्थरों के बीच बैठकर परिवार सहित भोजन पकाया और आनंद के साथ भोजन खाया। वहीं अनेकों परिवारों ने घर से भोजन बनाकर ले गए थे जो वहां जाकर सब के बीच खाया। जिसमें बड़े, बुजूर्ग के साथ ही युवक, युवती बड़ी संख्या में पहुंचे। यहां पर अनेक नवविवाहित जोड़े भी थे।
सहस्त्रबाहु ने रखा था विवाह का प्रस्ताव
नर्मदा के सौंदर्य पर मोहित होकर सहस्त्रबाहु ने शादी का प्रस्ताव रखा और माँ नर्मदा ने इंकार कर दिया। जिससे सहस्त्रबाहु ने अपने घमंड में आकर अपनी भुजाओं से नर्मदा को रोकने का प्रयास किया और भुजाओं के बीच तथा आजू बाजू से नर्मदा आगे बढ़ गई। इसी कारण इस स्थल का नाम सहस्त्रधारा पड़ा, क्योंकि भुजाओं के बीच से निकली धाराएं सहस्त्र थी। जिसे आज भी देखा जाता है। नर्मदा की धारा यहां अनेक छोटे-छोटे जलप्रपात बनाकर आगे बढ़ती है।
छोटे, बड़े झूले का लिया आनंद
मड़ई, मेलों में यदि झूले ना हो तो, वह मड़ई, मेला अधूरा सा लगता है। मेला छोटा हो या बड़ा झूले हर मड़ई, मेलों में लगते है। पर्यटन स्थल सहस्त्रधारा में लगी मड़ई में झूले के साथ बच्चों के लिए अन्य मनोरंजन के साधन भी थे। मेले में दूर-दूर से आए लोगों ने सहस्त्रधारा की मड़ई का कलकल बहती नर्मदा किनारे खूब आनंद उठाया। युवक, युवतियां और बच्चे भी छोटे, बड़े झूले का खूब आंनद लिए।
आज से सीतारपटन की मड़ई
अंजनिया के सीतारपटन मेले का भी आकर्षण रहता है। यहां 15 नवंबर से तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल होते हैं। सीतारपटन अपने आप में एक ऐतिहासिक महत्ता रखता है। ऐसा यहां के स्थानीय लोगों का मानना है। यहां भी 50-50 किमी दूर से लोग मेले का लुत्फ उठाने के लिए पहुंचते हैं। इसी तरह नारायणगंज में दो दिवसीय मड़ई का गुरुवार को समापन हो गया है। विकासखंड मुख्यालय की मड़ई होने के कारण यहां बड़ी संख्या में आसपास के दर्जनों गांवो से लोग मड़ई का लुत्फ उठाने पहुंचे।