नियत तिथि से एक दिन पहले किया होलिका दहन
- अनिष्ट की आशंका में यहां एक दिन पहले ही मनाते है त्यौहार
- लोगों में रहा उत्साह
- आज धनगांव में बरसेगा रंग, गुलाल
मंडला महावीर न्यूज 29. मंडला और निवास विकासखंडके बीच करीब 40 किलोमीटर दूर एक अनोखा गांव बसा है, जहां वर्ष के प्रमुख त्यौहार को एक दिन पहले ही मना लिया जाता है। यह अनोखा गांव दो विकासखंड के बीच मोहगांव ब्लाक के अंतिम छोर में बसा गांव है, जिसे धनगांव के नाम से जाना जाता है। ग्राम धनगांव में वर्षो से एक अनोखी परंपरा चल रही है। जिसका निर्वाहन यहां के ग्रामीण कर रहे है। वर्ष के मुख्य तीन त्यौहार होली, दीवाली और हरियाली अमावस्या में यहां नियत तिथि के एक दिन पहले ही त्यौहार मना लिया जाता है। ग्राम धनगांव में बुधवार को ही होलिका दहन कर रंगो के पर्व की शुरूआत की। करीब एक हजार की आबादी वाले ग्राम धनगांव में हर व्यक्ति रंग, गुलाल की लाली में होली पर्व की एक दूसरों को शुभकामनाएं दी।
जानकारी अनुसार होलिका दहन से आठ दिन पहले तक के काल को होलाष्टक माना जाता है। होलाष्टक 07 मार्च से प्रारंभ हुआ, जो 14 मार्च तक चलेगा। आज सभी स्थानों में होलिका दहन किया जाएगा। इसी तारतम्य में जब गुरूवार को पूरा जिला और देश होलिका दहन की तैयारी करेंगा, और शाम होते ही जगह-जगह स्थापित होलिका की प्रतिमा का दहन किया जाएगा। लेकिन यह सब धनगांव में 12 मार्च बुधवार की शाम करीब 6 बजे ही होलिका दहन कर दिया गया। इस गांव में प्रमुख त्योहारों की खुशियां एक दिन पहले ही मना ली जाती है। स्थानीय लोगों की धारणा है कि ऐसा ना करें तो गांव में विपत्ति आ जाएगी।
शैला नृत्य करके बांटते है खुशियां
देश भर में जहां 13 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा और 14 मार्च को पूरा देश रंगो से सराबोर होगा। वहीं ग्राम धनगांव में एक दिन पहले 12 मार्च को ही तय तिथि से एक दिन पहले ही होलिका दहन कर लिया गया और 13 मार्च को पूरा गांव रंगो के पर्व को धूमधाम से मनाएगा। सिर्फ इसी साल ही नहीं बल्कि प्रतिवर्ष होली के एक दिन पहले ही होली मना ली जाती है। इसके पीछे ग्रामीणों की अपनी परंपरा और मान्यता है। यहां एक साथ मिलकर ग्रामीण पूजा करते हैं। होलिका दहन कर एक दूसरों को गुलाल लगाते है। इसके साथ ही सारा गांव मिलकर अपना आदिवासी नृत्य शैला कर खुशियां बांटते हैं।
उत्साह के साथ रहता है इंतजार
कई बार इस परंपरा को तोडऩे के कारण पूरे गांव में बीमारियों का प्रकोप फैला है। इसलिए इस गांव के लोग एक दिन पहले त्योहार मनाना उचित समझते हैं। ऐसा नहीं की इससे उनका उत्साह कम होता हो। गांव के ग्रामीण बड़े ही उत्साह के साथ इस दिन का इंतजार करते हैं और सभी मिलकर होलिका दहन करते है। ग्रामीणों के इस त्योहार में कोई भी चीज की कमी नहीं होती। सभी ग्रामीण इस रंगों के पर्व को धूमधाम से मिलजुल कर मनाते है।
परंपरा का कर रहे निर्वाहन
गांव के ग्रामीण अपने पूर्वजों की बनाई परंपरा को नहीं तोड़ रहे। ऐसे में गांव में एक दिन पहले मनाए जाने वाले होली, दीवाली और हरियाली अमावस्या त्यौहार को लेकर ग्रामीणों में खुशी नजर आती है जो खुशी अन्य त्यौहार मनाते दूसरे लोगों में होती है। ग्रामीणों का कहना है कि गांव में एक दिन पहले त्यौहार मनाने की परंपरा के पीछे गांव के बुजूर्गो की मान्यता है कि इससे गांव के देव खुश होते है और गांव खुशहाल रहता है। जिसके कारण पूर्वजों ने जो परंपरा बनाई थी, उसे हम नहीं तोड़ सकते हैं।