पांच हजार कंडों से होगा वैदिक होलिका दहन
- वैदिक परिवार के आयोजन का सफलतम 10 वें वर्ष में प्रवेश
- आज होगी पूरे रीति-रिवाजों के साथ होलिका स्थापना और दहन
- 2016 से निरंतर जारी है वैदिक होलिका दहन
- पर्यावरण संरक्षण की अनूठी मिसाल
मंडला महावीर न्यूज 29. आदिवासी बहुल जिला मंडला में वैदिक परिवार मंडला द्वारा 2016 से निरंतर वैदिक होलिका दहन का आयोजन किया जा रहा है, जो पर्यावरण संरक्षण और धार्मिक परंपराओं के समन्वय की एक मिसाल बन चुका है। इस वर्ष भी 13 मार्च को रात्रि 10 बजे पांच हजार कंडों से वैदिक रीति-रिवाजों के अनुसार होलिका दहन किया जाएगा।
जानकारी अनुसार वैदिक परिवार मंडला द्वारा प्रतिवर्ष विशाल होलिका दहन समारोह का आयोजन किया जाता है। वैदिक परिवार मंडला का मुख्य उद्देश हमारे बच्चों को हमारे संस्कारों से जोडऩा था साथ ही होलिका दहन को लेकर जो भ्रांतियां प्रचलित थी उन्हें दूर करना भी समिति का लक्ष्य है। वैदिक परिवार द्वारा किए जा रहे इस होलिका दहन में दहन पूर्णत: गोबर के उपलों (कंडो) द्वारा किया जाता है। इस दहन में लगभक 3000 से 5000 उपलों का उपयोग किया जाता है, वैदिक परिवार मंडला के इस आयोजन ने 10 वे वर्ष में सफलता पूर्वक प्रवेश कर लिया है। जिसमें शहर वासियों के विशेष सहयोग रहता है।
परंपरा और पर्यावरण के संगम की प्रेरणादायक पहल
परंपरागत रूप से होलिका दहन में लकड़ी का उपयोग किया जाता है, जिससे वनों की कटाई और वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ती है। लेकिन वैदिक परिवार मंडला ने इस समस्या का समाधान निकालते हुए 2016 से गोबर के कंडों का उपयोग शुरू किया। यह न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी पवित्र माना जाता है। इस पहल में शहरवासियों की भी महत्वपूर्ण भागीदारी रहती है। लोग स्वेच्छा से कंडों का सहयोग करते हैं और आयोजन को सफल बनाते हैं। वैदिक परिवार मंडला की यह अनूठी सोच पूरे जिले के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण है, जो यह दर्शाती है कि परंपराओं को निभाते हुए भी हम प्रकृति का संरक्षण कर सकते हैं।
व्यापक स्तर में मनाने की बना रहे योजना
बताया गया कि समिति सदस्य आपसी और आमजनों के सहयोग से इस आयोजन को करते हैं। जिसमें समिति द्वारा कहीं से भी किसी प्रकार का चंदा नहीं लिया जाता है। लोग स्वेच्छा से कंडों का सहयोग करते हैं। इस आयोजन से यह संदेश जाता है कि सही सोच और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाकर हम अपने धार्मिक आयोजनों को पर्यावरण हितैषी बना सकते हैं। मंडला में जारी यह वैदिक होलिका दहन आने वाले वर्षों में और भी व्यापक स्तर पर मनाने की योजना बनाई जा रही है, जिससे इसे देश भर में अपनाया जा सके।
इनका कहना है
वैदिक परिवार मंडला द्वारा किया गया यह ऐतिहासिक प्रयास केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि एक आंदोलन है, जो आने वाली पीढिय़ों को स्वच्छ और हरित भविष्य देने का मार्ग प्रशस्त कर रहा है। लकड़ी की जगह कंडों का उपयोग न केवल पर्यावरण संरक्षण में सहायक है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर को भी वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जोड़ता है। यह पहल यह साबित करती है कि परंपराओं को निभाते हुए भी हम आधुनिक और पर्यावरण अनुकूल समाधान अपना सकते हैं। पूरे देश को इससे प्रेरणा लेनी चाहिए।
वैदिक होलिका दहन का यह अनूठा प्रयास पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। लकड़ी की तुलना में कंडों से होलिका दहन करने से न केवल प्रदूषण कम होता है, बल्कि धार्मिक परंपराओं का भी पालन किया जाता है। यह पहल पूरे जिले के लिए प्रेरणादायक है।
वैदिक परिवार मंडला द्वारा शुरू किया गया यह अभियान समाज में जागरूकता लाने का कार्य कर रहा है। हम सबका दायित्व है कि पर्यावरण को सुरक्षित रखते हुए अपनी परंपराओं का पालन करें। 5000 कंडों से होलिका दहन करना एक ऐतिहासिक कदम है, जिसे सभी को अपनाना चाहिए।
मंडला में वैदिक होलिका दहन की यह पहल न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी लाभदायक है। यह देखना सुखद है कि लोग इस विचार को समर्थन दे रहे हैं और एक स्वच्छ व सुरक्षित भविष्य की ओर अग्रसर हो रहे हैं। लोग स्वेच्छा से इसमें सहयोग करते है।