घर-घर विराजे प्रथम पूज्य श्री गणेश

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  • घर-घर विराजे प्रथम पूज्य श्री गणेश
  • 10 दिवसीय गणेशोत्सव प्रारंभ

मंडला महावीर न्यूज 29. भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष के चतुर्थी तिथि को प्रथम पूज्य गजानन का 10 दिवसीय उत्सव शुरू हो गया। भगवान गणेश की आराधना और मंत्रोच्चार के साथ भक्तो ने गणेश प्रतिमा घरों में स्थापित की है। घर में लंबोदर को विराजमान करने के लिए विधि विधान से पूजन अर्चन किया गया। सुबह से गणेश वंदना गूंजायमान होने लगी। गणेशोत्सव पर्व में भक्त प्रथम पूज्य की आराधना में लीन रहेंगे। नगर, उपनगर समेत ग्रामीण अंचलों में घर-घर और पंडालों में गणपति की पूजा अर्चना की गई।

जानकारी अनुसार भगवान गणेश को रिद्धि-सिद्धि और सुखों का प्रदाता माना जाता है। इनकी पूजा से जीवन में चल रहे संकटों का नाश होता है और मनचाहे वरदान की प्राप्ति होती है, इसलिए हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार देवी पार्वती ने मिट्टी के गणेश बनाकर उसमें प्राण डाले थे। माता पार्वती ने यह करिश्मा दिन बुधवार चतुर्थी तिथि और चित्रा नक्षत्र में किया था।

बताया गया है कि गणेशोत्सव पर्व 07 सितंबर से दस दिन तक चलेगा। प्रथम पूज्य के पर्व के आगमन को लेकर भक्तो में खासा उत्साह दिखाई दे रहा है। प्रतिमा स्थापना के लिए मूर्ति न्यौछावर कर ले जाई गई। शाम तक गणेश प्रतिमाएं घर-घर में स्थापित की गई है। इस दौरान गणपति बप्पा मोरया के जयकारे गूूंजते रहे। गणेश स्थापना विधि विधान से पूजन अर्चन किया गया। भगवान गणपति को मोदक का भोग अर्पित किया गया।

सुबह से भगवान श्री गणेश की आरती, वंदना की गई। पर्व से नगर का वातावरण धर्ममय बना है। बाजार में पर्व को लेकर रौनक है। पर्व शुरू होने से नगर धर्ममय हो गया है। भगवान गणेश के दस दिवसीय उत्सव में गणेश भक्त पूजन अर्चन में जुटे है। नगर, उपनगरीय क्षेत्र महाराजपुर के अलावा बम्हनीबंजर, भुआबिछिया, नैनपुर, निवास, अंजनिया, मांद, बबलिया के साथ अन्य ग्रामीण अंचलों में घर-घर में गणेश प्रतिमाओं की स्थापना पूरे भक्ति भाव के साथ की गई है।

श्रीगणेश को दूर्वा, मोदक, लड्डू है प्रिय

भगवान गणपति को दूर्वा, मोदक, लड्डू विशेष प्रिय हैं, कहा जाता है कि घर में सीधी हाथ की ओर सूंड वाले गणेश स्थापित करना चाहिए। लक्ष्मी और सरस्वती के साथ गणेश पूजा का भी विधान है। भगवान गणेश प्रथम पूज्य हैं, हर मांगलिक काम से पहले इनकी पूजा होती है। गणेश बुद्धि के देवता हैं। किसी भी कार्य के शुभारंभ से पहले श्री गणेश का पूजन करने से कार्य में बाधा नहीं आती।

जिले के मूर्तिकार प्रतिमाओं के भरोसे

बताया गया कि जिले में बहुत ही कम मूर्तिकार है और जो भी है उनका भरण पोषण मूर्ति निर्माण से ही होता है। मूर्तियां बनाकर ही वे अपने परिवार का पालन पोषण करते है। इसी के भरोसे पूरा साल गुजर जाता है। लेकिन विगत वर्ष से जिले के मूर्तिकारों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है। मुख्यालय के मूर्तिकार लक्ष्मी नारायण वंशकार ने बताया कि पिछले वर्ष 200 गणेश मूर्तियां बनाए थे। इस वर्ष भी करीब 150 छोटी, बड़ी गणेश प्रतिमा एक फिट से लेकर चार फिट तक की बनाई है।

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