गिद्धों के संरक्षण की कवायद, बैठे गिद्धों की होगी गणना
- शीतकालीन गणना 17 फरवरी से, ग्रीष्मकालीन गणना 29 अप्रैल को
- विगत वर्ष दिखे फरवरी में 185 और अप्रैल में 238 गिद्ध
मंडला महावीर न्यूज 29. पूरी दुनिया में गिद्धों को विलुप्त प्रजाति की श्रेणी में रखा गया है। शेष बचे गिद्धों को संरक्षित करने संबंधित विभाग पुरजोर प्रयास कर रहा है। भारत देश में घटती गिद्धों की जनसंख्या को देखते हुए मध्यप्रदेश में 2015 से इनके संरक्षण के उपाय किये जा रहे हैं। तब से हर दो वर्ष में इनकी गणना की जाती है। गिद्धों की गणना दो चरणों में होती है। एक चरण ठंड के मौसम में और दूसरा गर्मी के मौसम में की जाती है। जिससे देश में गिद्धों को संरक्षित करके इन्हें विलुप्त प्रजाति की श्रेणी से अलग किया जा सके।
जानकारी अनुसार आदिवासी बाहुल्य जिला मंडला साल, सागौन समेत अनेक वनोषौधियों की खूबसूरती से यहां की प्राकृतिक में चार चांद लगा रहे है। अनेक वनांचल क्षेत्रों में प्राकृतिक के अद्भूत नजारे के साथ अनेक प्रकार के वन्य प्राणी, पक्षी की भी भरमार है। जिसके लिए जिले की पहचान है। यहां देशी, विदेशी पर्यटकों की आमद साल भर होती है। मंडला जिला प्राकृतिक रूप से समृद्ध है और यहां बाघ, तेंदुआ, बारासिंघा, चीतल, हाथी, हिरण समेत अनेक प्रकार के वन्य प्राणियों और पक्षियों की कमी नहीं है। जिले में विलुप्त होने वाले वन्य प्राणियों और पक्षियों के संरक्षण के लिए प्रतिवर्ष उनकी गणना की जाती है।
बताया गया कि मंडला जिले में भी विलुप्त होते गिद्धों का प्रवास है। जिनके संरक्षण के लिए वन विभाग, कान्हा प्रबंधन कवायद कर रहा है। वर्ष 2015 में मध्यप्रदेश में शुरू हुई गिद्धों के संरक्षण की पहल के बाद मंडला जिले में भी वर्ष 2016 से गिद्धों के संरक्षण के लिए योजना बनाकर प्रयास किया जा रहा है। विगत वर्ष फरवरी 2024 में हुई तीन दिवसीय गिद्ध गणना में कान्हा पार्क क्षेत्र में 185 गिद्ध देखे गए हैं, जो विगत चार वर्ष पूर्व हुए गणना के मुताबिक उल्लेखनीय रहा।
बैठे गिद्धों की होगी गणना
बताया गया कि जिले में विलुप्त प्रजाति के गिद्धों के संरक्षण के लिए प्रयास किये जा रहे है। देश में वर्ष 2000 से लेकर 2015 तक अधिकांश गिद्ध विलुप्त हो गये थे। इन्हीं गिद्धों के संरक्षण के लिए मंडला जिले में वर्ष 2016 से इनकी गणना की कार्ययोजना बनाई गई। जिसके बाद हर दो साल में गिद्ध गणना की जा रही है। गिद्धों की गणना इस वर्ष 2025 के प्रथम चरण में तीन दिवसीय 17 से 19 फरवरी तक की जाएगी। जिसमें कान्हा नेशनल पार्क, पूर्व सामान्य वनमंडल, पश्चिम सामान्य वनमंडल में गिद्धों की गणना होगी। जिसमें विभागके वनकर्मी चिन्हित आवास स्थल पर पहुंचकर उन्होंने दूरबीन कैमरे की मदद से घोंसले, चट्टान और पेड़ पर बैठे गिद्ध की गणना करेंगे। वहीं उड़ते हुए गिद्ध को गणना में शामिल नहीं किया जाएगा।
गिद्धों की गणना की ये है कार्ययोजना
बताया गया कि गिद्धों की गणना इस वर्ष दो बार की जाएगी। जिसमें शीतकालीन गणना तीन दिवसीय 17 से 19 फरवरी और दूसरी गणना एक दिवसीय 29 अप्रैल को की जाएगी। गिद्धों की गणना बीट प्रभारी और मैदानी अमला सुबह अपने बीट पहुंचकर सुबह सात बजे से गणना शुरू कर 8 बजे गणना समाप्त करेंगे। इसके साथ ही ऐसे स्थान जहां चट्टान है वहां 9 बजे तक गणना की जाएगी। तीन दिनों तक चिन्हित आवास स्थलों पर गिद्धों की गणना की जाएगी। यहां प्रशिक्षित मैदानी अमला पेड़ और चट्टानों पर बैठे गिद्धों को गणना में शामिल करेगा। उड़ते हुए गिद्ध गणना में शामिल नहीं किए जाएंगे। गिद्ध और आवास स्थल की गणना के दौरान प्रपत्र भरे जाएंगे। तीन दिन में जिस दिन सबसे ज्यादा गिद्ध गणना में आएंगे, वही संख्या गिद्धों की मानी जाएगी। गिद्धों के गणना की जानकारी एकत्र कर वन विहार राष्ट्रीय उद्यान भोपाल भेजी जाएगी।
गिद्धों के संरक्षण के लिए शुरू की गणना
देश में विलुप्त होते गिद्धों के संरक्षण के लिए वर्ष में दो बार इनकी गणना शुरू की गई है। गिद्ध प्राकृतिक सफाई करने वाला पक्षी है। मरे हुये पशु को गिद्ध खाते है। इसका पाचन तंत्र बहुत मजबूत होता है। मवेशियों को बीमार होने की स्थिति दर्द निवारक दवा डाइक्लोफेनिक दी जाती थी। गिद्ध द्वारा मरे मवेशियों को खाने के कारण उनकी भी मौत हो जाती थी। इससे लगातार गिद्ध विलुप्त होते गए। इसके बाद सरकार ने गिद्धों के संरक्षण के लिए गणना शुरू की है। पहले गणना एक दिवसीय होती रही है अब इसे बढ़ाकर तीन दिवसीय कर दिया गया है। गिद्ध की गणना दो चरणों में की जा रही है। इसी के आधार पर गिद्ध के संरक्षण की पूरी कार्य योजना बनाई गई है। मंडला जिले में देशी गिद्ध और सफेद गिद्धों की संख्या सबसे ज्यादा है। इस गणना में भी सभी वनमंडल में इसी प्रजाति के गिद्ध दिखते है।
विगत वर्ष दिखे 423 गिद्ध
विगत वर्ष फरवरी और अप्रैल में गिद्धों की गणना की गई। जिसमें कान्हा पार्क के 33 आवास स्थलों में मुख्यत: 4 प्रजाति के गिद्ध मिले हैं। बताया गया कि विगत चार वर्ष पहले 2021 में हुए सर्वेक्षण में गिद्धों की संख्या 98 थी, जो विगत वर्ष सर्वेक्षण में बढ़कर 185 हो गई है। इसके साथ ही विगत वर्ष प्रदेश व्यापी गिद्ध गणना 28 अप्रेल से एक मई तक की गई। जिसमें कान्हा टाइगर रिजर्व क्षेत्र में 238 गिद्ध मिले हैं। गणना के बाद कान्हा नेशनल पार्क में गिद्धों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। 17 फरवरी से शुरू होने वाली गिद्धों की गणना में इस वर्ष भी गिद्धों की संख्या में बढ़ोत्तरी दर्ज की जा सकती है। गिद्ध गणना के बाद इसकी सही जानकारी मिल सकेगी।