- किसानों को जल स्त्रोतों के सतत उपयोग के लिए कर रहे प्रेरित
- जल, जंगल, जमीन और पशुधन पर चर्चा
- जल प्रबंधन और वॉटरशेड समिति की भागीदारी से किसानों की बढ़ेगी आय
- पायलीबहुर में नाबार्ड और प्रदान संस्था का एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित
मंडला महावीर न्यूज 29. किसानों की आय बढ़ाने के लिए जल, जंगल और पशुधन पर विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य जल प्रबंधन और वॉटरशेड समिति की भागीदारी से किसानों की आय बढ़ाने पर विचार विमर्श करना था। नाबार्ड और प्रदान संस्था के संयुक्त तत्वावधान में एक चलाए जा रहे वाटरशेड परियोजना अंतर्गत ग्राम पायालीबहुर में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें जल, जंगल, जमीन और पशुधन के सतत प्रबंधन पर गहन चर्चा की गई।
प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य एकीकृत प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन की अवधारणा को समझाना और इसे जमीनी स्तर पर लागू करना था। कार्यक्रम में वॉटरशेड समिति के सभी सदस्य उपस्थित रहे। उन्होंने जल संरक्षण और जल पुनर्भरण के विभिन्न तरीकों पर विचार-विमर्श किया। साथ ही, किसानों को उनके क्षेत्रों में जल स्रोतों के सतत उपयोग के लिए प्रोत्साहित किया गया।
इस कार्यक्रम में पायालीबहुर सरपंच विनोद परस्ते, वाटरशेड समिति के अध्यक्ष, सचिव एवं सदस्य वीरेन सरवटे, विशमा, शीतल, प्रदान संस्था के प्रतिनिधि अनुरुद्ध शास्त्री, संतोष पांडे, पूनम, आशा, अरुण विजय एवं निशांत कार्यक्रम में उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन किसानों एवं स्वयं सहायता समूहों की महिलाओ के साथ पारंपरिक रीति रिवाज के साथ किया गया।
बाहूर टोला के किसानों की भागीदारी
बाहुर टोला क्षेत्र के किसानों ने इस कार्यक्रम में विशेष भागीदारी की। उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन और खेती से जुड़ी अपनी समस्याओं और सुझावों को साझा किया। इसके अलावा, उन्हें पशुपालन और आजीविका गतिविधियों के माध्यम से अपनी आय बढ़ाने के उपायों की जानकारी दी गई।
आजीविका संवर्धन पर जोर
कार्यक्रम में पशुपालन को आजीविका का मुख्य साधन बनाने की दिशा में ठोस चर्चा हुई। प्रदान संस्था से अनुरुद्ध शास्त्री ने बताया कि उचित प्रबंधन और आधुनिक तकनीकों के उपयोग से पशुपालन को अधिक लाभकारी बनाया जा सकता है। यह कार्यक्रम न केवल जानकारी प्रदान करने का माध्यम बना, बल्कि समुदाय को संगठित होकर अपने प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर प्रबंधन करने की प्रेरणा भी दी। एकीकृत प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन की अवधारणा और आजीविका संवर्धन पर जोर देते हुए यह कार्यक्रम क्षेत्रीय विकास की ओर एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।