- महिलाओं ने रख निर्जला व्रत
- मांगी पति की मंगल कामना
- जगह जगह हुए आयोजन
- चांद का दीदार कर पूरा किया व्रत
मंडला महावीर न्यूज 29. महिलाएं सुहाग का व्रत करवा चौथ रखी। यह करवा चौथ सभी व्रतियों के लिए शुभ संयोग लेकर आया। लेकिन जिन लोगों के लिए पहला करवा चौथ है उनके लिए सोने पर सुहागा वाली बात थी क्योंकि इस बार चंद्रमा व्रतियों के लिए गुडलक लेकर आया। इसकी खास वजह यह रही कि इस बार जहां करवा चौथ पर व्यतिपात, वरियान, गुरू पुष्य योग बना। ये सभी योग बहुत ही महत्वपूर्ण हैं और इस दिन की महत्ता को और बढ़ा दिये। खास तौर पर सुहागिनों के लिए यह करवा चौथ अखंड सौभाग्य देने वाला था। करवा चौथ का व्रत हर वर्ष कार्तिक महीने में कृष्ण पक्ष में चतुर्थी तिथि को किया जाता है। इसे संकष्टी चतुर्थी भी कहते हैं, यानी संकटों को दूर करने वाली चतुर्थी।
करवा चौथ एक ऐसा पावन दिन है जब पति की आयु के लिए की गई प्रार्थना प्रभु स्वीकार करते हैं और यही विवाहिता के लिए बड़ा वरदान है। चौथ के एक दिन पहले ही महिलाएँ मेहँदी लगाकर अपनी सजी हथेली, चूड़ी व सोलह श्रृंगार करके पूजन करी। वर्ष में एक बार आने वाले इस दिन महिलाएँ पति की लंबी उम्र और सलामती के लिए चौथ माता से मुराद माँगकर इस पर्व को सार्थक करीं। करवा चौथ के दिन लाल रंग के परिधान पहनने का अपना अलग ही महत्व है, क्योंकि लाल रंग शुभ व सुहाग का प्रतीक माना जाता है। इसलिए अधिकत्तर महिलाओं ने लाल रंग के वस्त्र पहने। समय में आए बदलाव के अनुसार अब पुरुष भी अपनी पत्नी के लिए करवा चौथ का व्रत रखें और अपनी पत्नी की भावनाओं, उनकी आकांक्षाओं का ख्याल रखते हुए दोनों एक-दूजे के साथ-साथ, एक-दूजे के हाथ से व्रत का समापन किया।
करवा चौथ का व्रत खास कर विवाहित महिलाओं का त्योहार है। इस दिन हिन्दू महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रही। सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और स्वास्थ्य रक्षा के लिए दुआ मांगी। महिलाओं द्वारा दिन भर निर्जला व्रत रखकर शाम को शिव, पार्वती, कार्तिकेय आदि देवताओं का चित्र दीवार पर बनाकर सुहाग की वस्तुओं की पूजा की। पूजन कर चंद्रमा को अद्र्ध देकर फिर भोजन ग्रहण किया। सोने, चांदी या मिट्टी के करवे का आपस में आदान-प्रदान किया जो आपसी प्रेम-भाव को बढ़ाता है। पूजन करने के बाद महिलाएं अपने सास-ससुर एवं बड़ों को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद ली। कई स्थानों पर इस दिन महिलाएं Ÿृाद्धा से अपनी सासूजी को कुछ न कुछ उपहार दी।
विशेष रूप से सजी महिलाएं
भारत भर में मनाए जाने वाले प्रमुख पर्व करवा चौथ के लिए महिलाएं विशेष रूप से श्रृंगार करके तैयार हुई। फैशन के इस दौर में भी महिलाएं पारंपरिक रूप से ही तैयार हुई तो कुछ महिलाएं इस दिन विवाह के समय ओढ़ी जाने वाली चुनरी भी ओढ़ती तो कुछ करवा चौथ के अवसर पर नई साड़ी खरीद कर पहनी। नवविवाहिता के पहले करवा चौथ पर कुछ परिवारों में मायके से ससुराल में उपहार स्वरूप वस्त्र और श्रृंगार का सामान दिया गया। जिसे पहन कर ही नवविवाहितों ने पूजन किया।
रचाई मेहंदी
व्रत त्योहार पर हाथों में सुंदर मेहंदी रचाना भी हमारी परंपरा का ही एक हिस्सा है। ऐसे में समय की कमी के चलते या अन्य कामों में व्यस्त रहने के कारण कई बार मेहंदी रचाने की फुर्सत नहीं मिल पाती। वहीं हर बार मेहंदी लगाने के लिए किसी प्रोफेशनल का समय मिल पाना भी मुश्किल होता है। लेकिन इसके लिए भी विकल्प उपलब्ध हैं। मेंहदी लगाने के लिए ब्यूटी पार्लर में अच्छी खासी भीड़ रही। जिसमें महिलाओं की भीड़ काफी देखी गई और अपनी मन चाही डिजाईन अपने हाथों में लगवाई।
पत्नि का दिया साथ
पति के दिल की ये भावना भी आजकल मन से बाहर अभिव्यक्त होने लगी है। पहले जहां कुछ लोग पत्नी का साथ देने के लिए करवा चौथ का व्रत रखते थे। लेकिन अब व्रत रहने वालों की संख्या बढ़ गई है। यही नहीं पति जानते हैं कि पूरे दिन पत्नी बिना कुछ खाए-पिए उनके लिए भूखी रही। घर के कामों में पत्नी की मदद कर भावनात्मक तौर पर उनके प्रति अपना आभार भी प्रकट किया।
एक दूसरे को दिए उपहार
करवा चौथ जैसे त्योहार पर पति-पत्नी द्वारा एक-दूसरे को उपहार देने का भी चलन है। जाहिर है कि ये उपहार भावनाओं से जुड़ा होता है। आजकल इसमें भी कुछ नए तरीके जुड़े हैं। अब पति-पत्नी एक-दूसरे को ज्वेलरी, कपड़ों या एक्सेसरीज के अलावा अन्य उपहार करवा चौथ के अवसर पर दिए।
हुए आयोजन
जब हर चीज बड़़े पैमाने पर करने का प्रचलन चल पड़ा है तो त्योहार भला कैसे पीछे रह सकते हैं। इसलिए करवा चौथ जैसे त्योहार का आयोजन विशेष तरीके से किया गया। जहां महिलाएं एक समूह में एक स्थान पर एकत्र हुई और कार्यक्रम को विशेष बना दिया।