हू-ब-हू पुरानी पेंशन की मांग को लेकर लामबंद कर्मचारी

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  • हू-ब-हू पुरानी पेंशन की मांग को लेकर लामबंद कर्मचारी
  • आंदोलन की राह पर कर्मचारी
  • यूपीएस के विरोध में आक्रोश रैली निकालकर प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन

मंडला महावीर न्यूज 29. शासन की विभिन्न योजनाओं को फलीभूत जामा पहनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कर्मचारी, अधिकारियों को सेवानिवृत्ति के बाद गुजारा भत्ता के रूप में पेंशन दिया जाता है। यह व्यवस्था पेशवाई के रूप में राजा महाराजाओं के शासन काल से अंग्रेजी हुकूमत तक लगातार जारी रही। आजाद भारत की सरकारों में भी सरकारी खजाने से कर्मचारियों की पेंशन व्यवस्था लागू थी, लेकिन बाद की सरकारों ने लोकतंत्र की रीढ़ माने जाने वाले कर्मचारी, अधिकारियों को बोझ समझकर 2004 से एनपीएस लागू कर इनका भविष्य, इनकी पेंशन को सट्टा बाजार के हवाले कर दिया। जिसका परिणाम यह हुआ कि सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारियों को 500-2000 रूपए तक पेंशन मिल रही है।

लगातार कर्मचारी संगठनों के विरोध, धरना प्रदर्शन और सहयोगी दलों के दबाव में केंद्र सरकार ने कर्मचारी अधिकारियों की पेंशन व्यवस्था में सुधार करने के नाम पर यूपीएस योजना लागू करने का प्रस्ताव केबिनेट में पास किया, लेकिन सरकार के प्रस्ताव से असहमत कर्मचारी, अधिकारियों ने एनपीएस और यूपीएस दोनों का विरोध करते हुए एक बार फिर पुरानी पेंशन की मांग को लेकर आंदोलन करने को मजबूर हो गए हैं।

केंद्र सरकार ने यूपीएस में 50 प्रतिशत पेंशन देने की घोषणा की है, लेकिन यूपीएस के अब तक जारी ड्राफ्ट के अनुसार कर्मचारी के वेतन से कटौती की गई 100 प्रतिशत राशि को शेयर मार्केट में लगाकर उसी से पेंशन की गारंटी दिए जाने की योजना तैयार की जा रही है। इसका मतलब यह होगा कि यूपीएस योजना में सेवानिवृत्त कर्मचारी को उनके वेतन से कटौती की गई राशि से एक रूपए भी नगदी नहीं मिलेगा। इस तरह यूपीएस योजना कर्मचारियों के लिए एनपीएस से भी अधिक आत्मघाती होगी।

आक्रोश रैली निकालकर सौंपा ज्ञापन 

नेशनल मूवमेंट्स फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु के आह्वान पर एवं ट्रायबल वेलफेयर टीचर्स एसोसिएशन के प्रांताध्यक्ष डीके सिंगौर के मार्गदर्शन पर एनएम ओपीएस जिलाध्यक्ष संजीव सोनी, एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष दिलीप मरावी के नेतृत्व में मंडला जिला मुख्यालय के बैगा बैगी चौक से कलेक्ट्रेट तक आक्रोश रैली निकालकर कलेक्टर सोमेश मिश्रा को प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में मांग की गई है कि मध्यप्रदेश में समस्त नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) धारी शिक्षक, कर्मचारी, अधिकारीयों को पुरानी पेंशन बहाल की जाए और विशेष तौर पर नवीन शैक्षणिक संवर्ग अध्यापक संवर्ग के शिक्षकों को प्रथम नियुक्ति दिनांक से सेवा में वरिष्ठता मान्य कर पेंशन, ग्रेच्युटी और अवकाश नगदीकरण आदि में भी इसका लाभ दिया जाए। नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) शिक्षक, कर्मचारी, अधिकारीयों के सेवानिवृत्त के बाद सामाजिक सुरक्षा और सम्मानजनक जीवन यापन के अनुकूल अभी तक सिद्ध नहीं हुई है। अत: इसे अविलंब बंद किए जाने का कष्ट करे। प्रस्तावित यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस)से सम्बंधित जो जानकारी केन्द्र शासन के प्रतिनिधियों द्वारा मीडिया पर आज तक प्रसारित की है, उसमें शिक्षक, कर्मचारी, अधिकारीयों की सेवानिवृत्ति के बाद सामाजिक सुरक्षा नहीं है। यूपीएस में एनपीएस की अंशदान कटौती की राशि भी वापसी योग्य नहीं है। सेवा में रहते मृत्यु उपरांत पारिवारिक पेंशन के नियम भी विवादास्पद है। प्रस्तावित यूपीएस, एनपीएस से भी अधिक खतरनाक प्रतीत हो रही है। अत: इसे लागू नहीं किया जाए। नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) धारी केन्द्रीय कर्मचारियों, अधिकारियों की तरह मप्र के कर्मचारी, अधिकारीयों की सेवा में रहते हुए मृत्यु होने पर परिवार के सदस्यों को पारिवारिक पेंशन का लाभ पुरानी पेंशन योजना के अंतर्गत मध्यप्रदेश में भी दिया जाए।

रैली और ज्ञापन में ये रहे शामिल 

आक्रोश रैली में एनएमओपीएस, ट्रायबल वेलफेयर टीचर्स एसोसिएशन, अपाक्स जिलाध्यक्ष संजीव सोनी, अजाक्स जिलाध्यक्ष आरके भाण्डे, पेंशनर्स एसोसिएशन बीके राय, राज्य कर्मचारी संघ धरम सिंह धुर्वे, मप्र कर्मचारी कांग्रेस जिलाध्यक्ष राधे लाल नरेती, लघु वेतनभोगी कर्मचारी संघ मिश्री लाल यादव, आदर्श गुरुजी संघ जिलाध्यक्ष श्याम बैरागी, मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ जिलाध्यक्ष अशोक भलावी, पीएचई विभाग के कर्मचारी, एसोसिएशन की प्रांतीय उपाध्यक्ष अर्चना गोमास्ता, रश्मि मरावी, जिलाध्यक्ष मीना साहू, सरिता सिंह, जिला उपाध्यक्ष गंगाराम यादव, प्रदीप पटेल, उमेश यादव, सुरेश श्रीवास्तव, ब्लाक अध्यक्ष मंडला संजू लता सिंगौर, नैनपुर अमरसिंह चंदेला, बीजाडांडी कमोद पावले, नारायणगंज कमलेश मरावी, बिछिया सुरजीत पटेल, मोहगांव लोकसिंह पदम, मवई मंगल सिंह पंद्रे, शशिबाला राय, वंदना सिंह, सरस्वती झारिया, दुर्गेशनंदिनी कुलस्ते, राजश्री सर्वटे, दीप्ति मरावी, मानकली मलगाम, गोमती झारिया, माधुरी मरावी, हेमलता तुमराची, सरस्वती मरावी शामिल रही।


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