महिलाएं समूह से जुड़कर लिख रही नई इबारत

  • समूह से जुड़कर लिख रही नई इबारत
  • राजवती बन गई आत्मनिर्भर
  • पशुपालन को लाभ का धंधा बना रही महिलाएं
  • पशु सखी बनकर राजवती उइके पशुओं का कर रही उपचार

मंडला महावीर न्यूज 29. पशुपालन से जुडकऱ अब महिलाएं भी सफलता पा रही हैं। खेती किसानी के साथ पशुपालन लाभ का धंधा बन रहा है। महिलाएं पशु पालने के साथ उनके उपचार के लिए भी कार्य कर रही हैं और अतिरिक्त आये कमा कर अपनी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ कर रही है। आज हम एक ऐसी ही महिला की सफलता की बात कर रहे है, जो आदिवासी बाहुल्य जिला मंडला विकासखंड निवास के ग्राम बस्तरी की रहने वाली है। ये अपनी मेहनत और लगन से आगे बढ़ते ही जा रही है।

जानकारी अनुसार विकासखंड निवास के ग्राम बस्तरी की रहने वाली राजवती उइके पति रमेश उइके का परिवार खेती बाड़ी और मजदूरी करके अपना जीवनयापन करता था। खेती बाड़ी और मजदूरी से उन्हें इतनी आय नहीं होती थी कि वह अपने परिवार का भरण पोषण कर सके। उन्हें परिवार के पालन पोषण में बहुत कठिनाईयों का सामना करना पड़ता था। राजवती ने बताया कि उसे जानकारी मिली कि मप्र राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के द्वारा गरीब महिलाओं का स्व-सहायता समूह बनाकर उन्हें स्वरोजगार से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाया जाता है।

समूह में हुई शामिल 

जिले में कई महिलाएं स्वसहायता समूह से जुड़ कर स्वयं का रोजगार प्रारंभ कर आत्मनिर्भर बन चुकी हैं। गांव की महिलाओं द्वारा राजवतवी को सूचना मिली कि महिलाओं को स्वसहायता समूह के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। वह समूह में शामिल हो जाए। समूह के माध्यम से महिलाओं को स्वयं का रोजगार व्यवसाय प्रारंभ करने के लिए मदद की जाती है। राजवती उइके गांव की महिलाओं की सलाह पर सरस्वती आजीविका स्व सहायता समूह मेें शामिल हुई और समूह की बैठक और बचत में सक्रिय भूमिका निभाने लगी।

पशु सखी का लिया प्रशिक्षण 

राजवती ने बताया कि स्व सहायता समूह से लोन लेकर वह अपने खेत में सब्जी की खेती प्रारंभ की, उन्होंने सब्जियां ग्राम पिपरिया के बाजार में बेचने लगी। इसके बाद उन्होंने सब्जी की खेती वृहद स्तर पर करना प्रारंभ किया। राजवती बाई ने बताया कि उसे पशुपालन में भी रूचि थी। जिसके कारण उसे आजीविका मिशन द्वारा पशु सीआरपी के रूप में चयनित किया गया। उन्होंने इसके बाद आरसेटी में पशु सखी का 11 दिन का प्रशिक्षण प्राप्त किया। वह प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद पशु उपचार का कार्य करने लगी।

कुशलता पूर्वक पशुओं का कर रही उपचार 

राजवती उइके अब पशुओं की बीमारी का इलाज, टीकाकरण और वेक्सीनेशन का काम कुशलता पूर्वक कर रही है। गांव में कोई भी पशु बीमार हो जाये तो लोग उसे ही बुलाते हैं। राजवती उइके की पहचान पशु सखी के रूप में हो गई है। राजवती उइके बताती हैं कि पशुओं का इलाज करके वह प्रतिदिन 400 से 500 रुपए तक कमा लेती है। अब उसकी आर्थिक स्थिति में काफी सुधार हुआ है। राजवती का कहना है कि आजीविका मिशन में जुडऩे के बाद उसने कई मीटिंग और प्रशिक्षण में भाग लिया। जिससे उसे काम करने की प्रेरणा मिली। वह मंडला जिले में अब पशु सखी के रूप में काम करते हुए बहुत प्रसन्न है।


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