जिले की जामुन का स्वाद लाजबाव

  • जिले के जामुन का स्वाद प्रदेश व अन्य प्रदेश में लाजबाव
  • जिले में मिलती है 20 प्रकार की जामुन
  • जामुन से ग्रामीणों को मिलता है रोजगार, मिलती है आर्थिक मदद


मंडला महावीर न्यूज 29. बाजार हो फिर गांव या शहर इन दिनों जामुन का सीजन है, हर जगह जामुन के फल दिखाई दे रहे हैं, जिन्हें लोग इसके स्वाद के चलते बड़े शौक से खाते हैं, लेकिन जामुन के पेड़ की छाल से लेकर इसके फल और गुठलियों में इतने गुण हैं कि यह मधुमेह, खून की कमी, पाचन तंत्र की बीमारियों के साथ ही कैंसर जैसे रोग तक को ठीक करने में सहायक है। बता दे कि ऐसा शायद ही कोई क्षेत्र हो जहां जामुन के पेड़ ना मिलें, जितनी आसानी से यह मिलता है, उतने ही गुणों से भरपूर होता है। आहार विशेषज्ञ हों या फिर डॉक्टर हर कोई जामुन के फायदे बताते थकते नहीं हैं। हमारी टीम ने विशेषज्ञ से जामुन से जुड़े फायदों को जाना। जिससे आप अगली बार जामुन शौक से नहीं स्वास्थ्य लाभ के लिए भी खाएं।

जानकारी अनुसार जामुन का फल बाजार में जून माह से शुरू होकर जुलाई के एक पखवाड़े तक बाजारों में खूब बिकता है। चारों तरफ बैगनी रंग ही नजर आता है। जामुन की पैदावार जुलाई के प्रथम पखवाड़े के बाद बंद हो जाती है। ग्रामीणों ने बताया कि जिले में होने वाली जामुन जिले के बाजारों समेत मुख्य मार्गो में रख कर विक्रय किया जाता है। वहीं जिले के जामुन की मिठास अन्य जिले और प्रदेशों को भी खूब भाती है। जिसके कारण जिले का जामुन अन्य जिलों में भी जाता है। ग्रामीणों ने बताया कि जब ज्यादा जामुन पकती है तो 60 से 70 रूपए कैरिट जामुन बेंचते हैं। जामुन को भेजने के लिए बस व अन्य वाहनों की मदद से दूसरे जिले के व्यापारी को जामुन पहुंचाया जाता है। जामुन तोड़कर बेचने वाले इस सीजन में प्रतिदिन करीब 300 रूपए से अधिक की आमदनी प्रतिदिन कर लेते है। वर्तमान में बाजार और हाईवे मार्ग किनारें 50 से 60 रूपए किलो जामुन बिक रहा है।

बढ़ सकता है वन विभाग का राजस्व 

बताया गया कि जिले से जाने वाली जामुन राजस्व क्षेत्रों की है, जबकि जंगलों में इसके हजारों वृक्ष फूलते-फलते हैं लेकिन इनके फलों का उपयोग नहीं होने पर ये वहीं गिरकर सड़कर समाप्त हो जाते हैं। अगर वन विभाग चाहे तो जंगल के भीतर लगे जामुन के वृक्षों का ठेका देकर राजस्व बढ़ा सकते हैं वहीं जामुन से औषधी बनाकर इस व्यापार के जुड़े व्यक्ति अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इसके साथ ही जामुन तोडऩे से ग्रामीणों को रोजगार मिलेगा।

जंगल के जामुन की मिठास लाजाबव

ग्रामीणों ने बताया कि जंगल में मिलने वाली जामुन का आकार छोटा होता है, लेकिन इसकी मिठास का कोई जबाव नहीं है। देश में जामुन की 40 प्रकार की प्रजातियां बताई गई। जिसमें 20 प्रकार की जामुन जिले के जंगलों और खेतों में मिल जाती हैं। जामुन स्वाद का मीठा एवं कसैला होता है। वहीं यह अपनी औषधीय गुणों के कारण लोकप्रिय है। हालांकि इसकी फसल बारिश के प्रथम पखवाड़े के बाद समाप्त हो जाती है। जिले के घुघरी, चाबी, बिछिया, मोहगांव समेत अन्य क्षेत्र से जामुन प्रदेश के सिवनी, बालाघाट, जबलपुर, नागपुर समेत अन्य प्रदेश जामुन पहुंचाया जाता है। बड़े आकार की जामुन जब मंडी में पहुंचती है तो वहां के दलाल सबसे पहले इसे खरीदते हैं।

इन क्षेत्रों में मिलती है ज्यादा जामुन 

जिले के जामुन का स्वाद लाजबाव है। जिले में जामुन की फसल खाल्हेगिठौरी, झुरकी पौड़ी, सहजर बनिया, घुटास, मवई, बिछिया, घुघरी, मोहगांव, चाबी समेत अन्य क्षेत्रों में खूब होती है। बताया गया कि इन क्षेत्रों में इतनी अधिक मात्रा में वृक्ष हैं कि सभी वृक्षों से जामुन नहीं टूट पाती है। अगर ग्रामीण आगे आएं और जामुन तोड़ें तो उन्हें अच्छी कमाई का जरिया बन सकती है। डिंडौरी जिले के अमरपुर, और मेहंदवानी क्षेत्र में खूब जामुन होती है लेकिन इसके फलों को तोडऩे के लिए कोई सामने नहीं आता। जिसके चलते इसके फल और बीज नष्ट हो जाते हैं।

जामुन से मिल जाती है आर्थिक मदद 

जिले में बारिश के करीब एक पखवाड़े तक जामुन की फसल आती है। इसके बाद धीरे-धीरे जुलाई के अंत तक जामुन की फसल खत्म हो जाती है। वहीं जामुन से एक व्यक्ति करीब तीन सौ रूपए तक रोज कमा लेता है। बता दे कि मंडला में जामुन तोडऩे का काम पुरूषों की बजाय महिलाएं करती है। खरीददारों का मानना है कि महिलाएं जामुन को संभालकर तोड़ती है। जिसे विक्रय करने के लिए इन जामुन को कैरेट में भरकर जिले समेत अन्य जिलों और प्रदेश में पहुंचाया जाता है। जिले से शाम के वक्त जामुन को विक्रय करने के लिए रवाना किया जाता है, जो सुबह-सुबह बाहर की मंडियों में पहुंच जाता है। इस व्यापार से जुड़े व्यक्तियों को भी अच्छा खासा मुनाफा होता है दलालों को भी दलाली मिलती है। भाड़ा गाड़ी वाले को भी अच्छा खासा मिल जाता है इससे जुड़े हर व्यक्ति को लाभ होता है।

छोटी जामुन की नहीं है मांग 

जंगल में छोटी जामुन भी होती है जो मिठास के लिए पहचानी जाती है लेकिन बड़े शहरों के बाजार में बड़े जामुन की मांग बनी रहती है। जामुन के व्यवसाय से जुड़े व्यापारी ने बताया कि इन्होंने छोटी जामुन पिछले वर्ष खरीद ली थी फिर नागपुर की मंडी में इन्हें घाटे में माल बेचना पड़ा था।

गुठली का होता है दवाओं में उपयोग 

जामुन की गुठली ब्लड सुगर को नियंत्रित रखने के लिए बहु उपयोगी साबित हुई है। जंगल में छोटी जामुन के अगर ठेके दिए जाएं और ठेकेदार इनकी गुठली को आयुर्वेदिक कंपनियों को सप्लाई कर सकती है इसके पल्प से सिरका बनाकर बेचा जा सकता है।

ये हैं औषधीय गुण 

जामुन केलोरी प्रदान करता है, इसके बीज में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और केल्सियम की अधिकता होती है। जामुन में आयरन, विटामिन बी, केरोटिन, मेग्नेशियम और फाइबर होता है। पाचन शक्ति को मजबूर करने में लाभकारी माना गया है। मधुमेह को नियंत्रित करता है। हृदय रोग, अर्थाराइटिस, खून को साफ करने में यह उपयोगी है।


इनका कहना है

जामुन एक स्वादिष्ट एवं पोषण युक्त फल है। मंडला में ये ज्यादातर सामूहिक संसाधनों से मिलता है। यह हमारे पूर्वज के सामूहिक संसाधनों के रखरखाव के प्रंबधन का नतीजा है। हमें आने वाली पीढ़ी के लिए ऐसे सामूहिक संसाधन में पौधारोपण, रख रखाव और प्रंबधन की जरूरत है। मंडला में लोगों को देशी फल के प्रति जागरुकता की जरूरत के साथ में यह हमारे स्थानीय अर्थनीति को मज़बूत करने के लिए जामुन और अन्य जंगल से मिलने वाले फल, कंध मूल, मशरूम को अच्छे मनोभाव से आदान प्रदान और अच्छी दर से खरीदने की जरूरत है।


सत्यशोभन दास, सामाजिक कार्यकर्ता, टीम लीडर एफईएस, मंडला, मध्यप्रदेश



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