रूक जाती थी सांसे, धड़कने थमने से बचाया

  • रूक जाती थी सांसे, धड़कने थमने से बचाया
  • चार माह की आराध्या को मिला नया जीवन
  • योजना का मिला सहारा, अब सामान्य बच्चों की तरह हो गई स्वस्थ


मंडला महावीर न्यूज 29. कहावत है कि सुख के पीछे दुख और दुख के पीछे सुख आता है। हर निराशा के पीछे एक आशा छिपी होती है। इसी छिपी आशा की चाह में विकासखंड निवास के ग्राम पौंडी कोहका निवासी प्रदीप यादव के घर में एक बालिका ने जन्म लिया। जिसका नाम आराध्या रखा गया। लेकिन प्रदीप को क्या पता था कि उसकी लाड़ली अन्य सामान्य बच्चों की तरह नहीं रह सकती है। जन्म के बाद से प्रदीप की बेटी आराध्या बीमार रहने लगी, बच्ची को सांस लेने में हमेशा तकलीफ रहती थी, कभी-कभी तो बच्ची की सांस तक रूक जाती थी। आराध्या के पिता को कुछ समझ नहीं आ रहा था, कि बच्ची ऐसा क्यों कर रही है। जिसके बाद उन्होंने एक स्थानीय वरिष्ठ चिकित्सक के पास आराध्या को लेकर गए, जहां चिकित्सक बर्नाड पॉल ने बच्ची को देखा और प्रदीप को बताया कि बच्ची के दिल में छेद होने की आशंका है, जिसके कारण आराध्या को ये तकलीफ हो रही है। जिसके बाद डॉ. बर्नाड पॉल ने प्रदीप को आरबीएसके चिकित्सक से मिलने की सलाह दी। जिसके बाद प्रदीप आरबीएसके टीम के पास पहुंचे, जहां आरबीएसके टीम ने उन्हें बच्ची के स्वस्थ्य होने का आश्वासन दिया। यह सुनने के बाद प्रदीप की खुशी देखते ही बन रही थी।

जानकारी अनुसार मुख्यमंत्री बाल ह्दय उपचार योजना राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत जिला मंडला के विकासखंड निवास के ग्राम पौंडी कोहका निवासी प्रदीप यादव की चार माह की आराध्या की धड़कने थमने नहीं दी। योजना का सहारा मिला तो अब मासूम स्वस्थ्य है। अब मां बाप की खुशी देखते ही बनती है। आराध्या के पिता प्रदीप ने बताया कि परिवारिक परेशानी और जानकारी ना होने के कारण बच्चे का जीवन संकट में था, लेकिन परेशानियों और परिवारिक दिक्कतों को दरकिनार कर अपनी प्रतिबद्धता और मासूम का जीवन बचाने की संकल्पित भावना से अपनी बच्ची आराध्या के जीवन को बचाया।

ग्राम पौंडी कोहका निवासी प्रदीप को डॉ बर्नाड पॉल ने आरबीएसके टीम से मिलने की सलाह दी थी, जिसके बाद प्रदीप अपनी बच्ची को लेकर आरबीएसके टीम से मिलने पहुंचे। जहां चिकित्सक ने बच्ची की जांच की, तो पाया कि बच्ची के दिल की धड़कन का साउंड एब्नॉर्मल है। तब डाक्टर को लगा की आराध्या को कंजेनिटल हार्ट डिजीज मतलब दिल में जन्म- जात छेद है। आराध्या के पिता को डॉ अजय खांडेल ने इस विषय में बात की और बताया कि आराध्या को वीएसडी सर्जीकल क्लोजर के लक्षण लग रहे है। शालनी का ईकों जांच कराना पड़ेगा। इसके बाद ही कन्फर्म होगा कि आराध्या ह्दय रोग से ग्रसित है।

 

बच्ची को ह्दय रोग सुनकर पैरो तले खिसक गई जमीन 

बताया गया कि आरबीएसके चिकित्सक द्वारा जांच परीक्षण के बाद बच्ची आराध्या को ईको जांच के लिए कहां गया। उसी समय मंडला आरबीएसके सेंटर में मुम्बई से नारायण हेल्थ की टीम आई थी। जहां 0 से 18 वर्ष के बच्चों की ह्दय रोग का जांच परीक्षण ईको पद्धती से की जा रही थी। प्रदीप भी अपनी बच्ची आराध्या को लेकर मंडला पहुंचे। जहां आराध्या का जांच परीक्षण किया गया। जिसमें चिकित्सक द्वारा बताए गए लक्षण के आधार पर बच्ची के पिता से उसके स्वास्थ्य के संबंध में बात की। जिसमें प्रदीप ने बताया कि बच्ची आराध्या बीमार ही रहती थी, सांसे लेने में काफी तकलीफ होती थी। चिकित्सक ने ईको के बाद कंफर्म कर दिया कि बच्ची के दिल में छेद है। यह सुनकर पिता प्रदीप के पैरों तले जमीन खिसक गई। इसके बाद आरबीएसके टीम ने उनको अच्छी तरह समझाया कि ये बीमारी पूरी तरह से ठीक हो जाएगी और आराध्या का दिल नॉर्मल दिल की तरह काम करने लगेगा।

सर्जरी में लगना था 01 लाख 10 हजार रूपए 

आराध्या के पिता बहुत समझदार थे, उन्होंने आरबीएसके टीम की बातो को सुन कर इलाज के लिए तैयार हो गए। बच्ची की ईको जांच में कराई गई, जिसमें फाइनल डायग्नोसिस बना की बच्चे को वीएसडी सर्जीकल क्लोजर सर्जरी की जरूरत है। इसक रोग की सर्जरी में लगभग 01 लाख 10 हजार रूपए का खर्च होता है। सर्जरी राशि सुनकर प्रदीप को कुछ समझ नहीं आया। इतना पैसे जुटाना संतलाल की बस की बात नहीं थी। लेकिन आरबीएसके टीम ने संतलाल को समझाया कि आप चिंता मत करिये, आराध्या के ईलाज और सर्जरी का पूरा खर्च आरबीएसके के फंड से होगा। यह बात सुनकर प्रदीप के मन को राहत मिली। जिसके बाद आरबीएसके निवास की टीम ने बच्ची को एक निजी अस्पताल मुम्बई नारायण हैल्थ सेंटर भेजा गया। जहां बच्ची की सफल सर्जरी सपंन्न हुई।

सफल सर्जरी के लिए किया जताया आभार 

बताया गया कि आरबीएसके की मदद से आराध्या का उपचार किया जाएगा, इस बात से प्रदीप खुश थे कि अब उन्होंने अपनी बेटी के उपचार के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। प्रदीप ने ऑपरेशन के लिए सहमति दे दी। आराध्या के पिता बहुत समझदार थे, वे सभी बातों को समझ कर सर्जरी के लिए हां कर दिया और इसके बाद आरबीएसके टीम निवास ने स्टीमेट लेकर डिस्ट्रिक अर्ली इंटरवेंशनल सेंटर मंडला में भेजा और फिर इस्टीमेट पास हो गया और फिर आराध्या का ऑपरेशन एक निजी अस्पताल मुम्बई में विगत माह सफल ऑपरेशन किया गया। अब आराध्या स्वास्थ्य लाभ ले रही हैं। आराध्या के पिता संतलाल ने निवास आरबीएसके टीम डा. अजय खांडेल, डा. मनोरमा पांडे, एएनएम शुभा पांडे के सहयोग के लिए धन्यवाद दिया है। आरबीएसके टीम ने कहां कि इस सफलता के पीछे हमारे ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉ. विजय पैगवार के मार्गदर्शन और हमारे डिस्ट्रिक अर्ली इंटरवेंशनल मैनेजर अर्जुन सिंह के सहयोग से हुआ है। इसके साथ ही निवास के चिकित्सक डॉ. बर्नाड पॉल का भी आभार व्यक्त किया है।



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