कम खर्च में प्राकृतिक खेती से बढ़ा उत्पादन
- जंगल की पत्तियों से बनाते है कीट निवारक दवाई और खाद
- श्यामा बाई ने सुधारी अपनी आर्थिक स्थिति
- अपने अनुभव से ग्राम के अन्य महिला किसानों को कर रही प्रेरित
मंडला महावीर न्यूज 29. जिले की महिला किसान अपनी आर्थिक स्थिति बदलने दृढ़ संकल्पित है। कुछ सीखने की चाह और नई तकनीकी के जरिए प्राकृतिक खेती में अपनी समझ बढ़ा रही है। जिससे महिला किसान पहले से ज्यादा उत्पादन करके अपनी आर्थिक स्थिति बदल रही है। एक ऐसी ही महिला किसान जिले के ग्राम चंगरिया की है, जो प्राकृतिक शुरू करके पहले से ज्यादा उत्पादन कर रही है।
जानकारी अनुसार ग्राम चंगरिया निवासी श्यामा बाई मार्को पति प्रताप सिंह मार्को चंगरिया के मुनगा टोला की महिला सभा की सदस्य है। इन्होंने समय समय पर ग्राम में होने वाली महिला सभा की बैठक, समिति की बैठक,किसान खेत पाठशाला के प्रशिक्षण में जाकर प्राकृतिक खेती के विषय में प्रशिक्षण लेकर अपनी समझ को बढ़ाया। इसके साथ ही इस तकनीक को अपने खेत में प्रयोग करना शुरू किया। श्यामा बाई ने इसके लिए देशी धान का संरक्षण, बीज उपचार, बाड़ी जमीन में बायोचार खाद डाल कर जमीन की उर्वरक शक्ति को बढाया और उस खेत में मक्का को लाइन विधि से बुवाई की। जिससे उसका उत्पादन पहले से जयादा हुआ। श्यामा बाई ने बताया कि प्राकृतिक खेती में उपयोग होने वाले घनजीवामृत, द्र्वजीवामृत जैसे कीट निवारक खाद का निर्माण कर इसका उपयोग खेतो में किया। जिससे धान की फसल के उत्पादन में बढ़ोतरी हुई।
जंगल की पत्तियों से बनाते हे कीट निवारक खाद
श्यामाबाई मार्को ने बताया की पहले 1 एकड़ में 5 बोरा धान होता था जब से प्राकृतिक खेती करने लगे है तब से धान का उत्पादन 1 एकड़ में 6 बोरा होने लगा है। प्रति एकड़ 1 बोरा की बढ़ोतरी हुई है। इसी प्रयोग को आगे बढ़ाते हुए किचन गार्डन में होने वाली फसलो में पहले बहुत सारी बीमारी लगती थी, जिसमें बहुत सारे पौधे मर जाते थे और जो पौधे जीवित बच जाते उनके लिए बाजार से दवाई लाना पड़ता था। जिसमें ज्यादा पैसा खर्च होता था। लेकिन प्राकृतिक खेती के मध्यम से जंगल के अनेक प्रकार की पत्तियों से कीट निवारक खाद एवं दवा बना कर छिड़काव करने से किचन गार्डन की फसले पहले की अपेक्षा अच्छा उत्पादन दे रही है।
प्राकृतिक खेती के लिए कर रही प्रेरित
श्यामाबाई ने बताया की जिस प्रकार से उन्होंने स्वयं अपने खेतो में प्राकृतिक खेती को अपना कर लाभ लिया है और अपने अनुभव को गाँव की अन्य महिला किसानो को भी सिखाते हुए उन्हें प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित करती है। जिसके बाद ग्राम की अन्य और भी महिलाएं प्राकृतिक खेती को अपनाने लगी है। महिला किसान अब जंगल, जमीन जल, जन और जानवर को एक साथ आपसी समंजस्य बना कर प्राकृतिक खेती करने की समझ बढ़ाकर कम खर्चे में प्राकृतिक खेती करना शुरू किया है। ये जंगल से अलग- अलग पत्तियों के द्व्रारा कीट निवारक दवाई एवं खाद बनाती है, जिसका उपयोग खेती में करते है और जंगल में जाने वाले मवेशियों के कारण जगल को भी खाद मिल जाता है, जिससे जंगल में उगने वाले पेड़ पौधे को पोषक तत्व मिलता है। प्राकृतिक खेती करने के लिए हमारे आस पास के वातावरण को संतुलित बनाये रखने की जरुरत है।
इनका कहना है
जब से प्राकृतिक खेती कर रही हूँ, खेती की लागत कम हो गई है, अभी वर्तमान समय में प्राकृतिक खेती करने से फसल उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है, इसके साथ ही में गांव की और भी महिला किसानो को प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रेरित कर रही हूँ। जंगल के बिना प्राकृतिक खेती की कल्पना नहीं की जा सकती इसलिए जंगल को भी बचाना भी अवश्यक है।