स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए जूझ रहा वनांचल मवई
- एक चिकित्सक के भरोसे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मवई
- महिला चिकित्सक, स्वीपर और स्वास्थ्य कर्मचारियों की कमी
मंडला महावीर न्यूज 29. आदिवासी बाहुल्य जिला मंडला के अंतिम छोर में बसा वनांचल विकासखंड मवई है। यह क्षेत्र मध्यप्रदेश की सीमा का अंतिम क्षेत्र होने के साथ आदिवासी सामुदाय क्षेत्र भी है। मवई ब्लाक को छोटा कश्मीर के नाम से भी जाना जाता है। यह क्षेत्र वर्षो से उपेक्षित है। मवई ब्लाक के कई ग्रामों में मूलभूत सुविधा नाम मात्र की है। मवई में स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए संचालित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में भी खानापूर्ति के नाम पर स्टाफ पदस्थ है। जिसके कारण इस क्षेत्र के लोगों को स्वास्थ्य लाभ भी बेहतर नहीं मिल पाता है। अच्छी स्वास्थ्य सुविधा के लिए यहां के लोगों को जिला मुख्यालय आना पड़ता है।
जानकारी अनुसार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मवई महज कुछ स्टाफ और नर्सिंग ऑफीसर के भरोसे चल रहा है। वनांचल क्षेत्र के ग्रामीणों को स्वास्थ्य देने सीएचसी में एक चिकित्सक पदस्थ है। जिसके कारण यहां आने वाले मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। बताया गया कि विगत दिवस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मवई में पदस्थ एक चिकित्सक की मृत्यु हो गई थी। जिसके बाद यहां पदस्थ सीबीएमओ ही यहां की स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे है। इसके साथ ही यहां स्टाफ नर्स, स्वीपर और महिला चिकित्सक की भी आवश्यकता है, लेकिन प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। स्थानीय प्रतिनिधियों ने इस विषय पर कई बार प्रशासन को अवगत कराया है लेकिन इस समस्या के निदान के लिए कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
बताया गया कि मवई मुख्यालय स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के आसपास के करीब 100 गांव के लोग स्वास्थ लाभ के लिए आश्रित रहते है और उन्हें सेवा देने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मवई में मात्र एक डॉक्टर पदस्थ है। एक चिकित्सक की मृत्यु के बाद यहां पदस्थ सीबीएमओ पर पूरी जिम्मेदारी आ गई है। सैकड़ों गांव के हजारों लोगों को स्वास्थ्य सेवा देने एक चिकित्सक होना क्षेत्र के लिए बड़ी विडंबना है। मवई में पदस्थ चिकित्सक सीबीएमओ डॉ दिलीप अहिरवार सम्पूर्ण विकासखंड में संचालित स्वास्थ्य विभाग की गतिविधियों का नियंत्रण एवं बेहतर स्वास्थ सेवा देने योजनाओं का क्रियान्यवयन करने का कार्य कर रहे हैं। यदि चिकित्सक क्षेत्र भ्रमण या विभागीय बैठक में चले जाए तो मवई स्वास्थ केंद्र स्वास्थ की सेवा ठप्प हो जाती है। बिना चिकित्सक स्टाफ भी असहाय हो जाते है और आपातकाल में आए मरीज जिन्हें तत्काल उपचार की आवश्यकता हो उन्हें उपचार नहीं मिल पाता है।
करना पड़ता है मरीज को रैफर
बताया गया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में भवन समेत सारे आवश्यक संसाधन उपलब्ध है, लेकिन पर्याप्त स्टाफ न होने के कारण मरीज को 100 किमी दूर जिला मुख्यालय मंडला रेफर कर दिया जाता है। दूरी अधिक होने के कारण मरीज को पहुंचने में भी 3 से 4 घंटे लग जाते है। गंभीर मरीज के परिजनों को समय पर जिला मुख्यालय पहुंचने की चिंता बनी रहती है। मवई मुख्यालय में ही चिकित्सक सहित समस्त स्टाफ की पर्याप्त पदस्थापना मवई स्वास्थ केंद्र में कर दी जाए तो रेफर होने वाले कुछ मरीजों को उचित उपचार मवई में ही मिल जाएगा।
मवई में महिला चिकित्सक की कमी
सामुदायिक स्वास्थ केंद्र मवई में प्रतिदिन प्रसव के लिए गर्भवती महिलाएं भर्ती होती है। मवई से करीब 35 किमी तक के गांव के ग्रामीण मवई स्वास्थ केंद्र पर ही गर्भवती महिलाओं के प्रसव के लिए आश्रित होते हैं। कभी कभी प्रसव के समय कुछ समस्या आ जाने पर बिना महिला चिकित्सक के परेशान होना पड़ता है। यहां पदस्थ नर्सिंग स्टाफ से जितना बनता है उतना भरपूर प्रयास करते है। गंभीर मामले को स्टाफ मंडला रेफर कर देते है। सामुदायिक स्वास्थ केंद्र मवई परिसर का विस्तार तो कर दिया गया है, लेकिन यहां सफाई कर्मी की संख्या नहीं बढ़ाई जा रही है। सफाई कार्मियों की संख्या मवई स्वास्थ केंद्र में बहुत कम है जिससे लगातार सफाई ना होने से गंदगी का आलम रहता है।
बिछिया से आता है स्वीपर
मवई क्षेत्र में किसी दुर्घटना, सर्प दंश समेत अन्य मामलों में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो उस शव के पोस्टमार्टम के लिए स्वीपर की आवश्यकता होती है, लेकिन मवई में स्वीपर पदस्थ ना होने के कारण मृतक के परिजनों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है। यहां पीएम कराने के लिए स्वीपर को मंडला या बिछिया से बुलवाना पड़ता है। स्वीपर के पास समय है तो उसी दिन स्वीपर पहुंच जाता है। लेकिन स्वीपर अन्य कार्यों में व्यस्त रहने पर पीएम के लिए 2-2 दिन तक इंतजार करना पड़ता है। मवई में मृत शरीर रखने की भी कोई उचित व्यवस्था नहीं है। स्वास्थ केंद्र परिसर में रात-रात भर परिजनों को मृत शरीर रखकर स्वीपर का इंतजार करना पड़ता है।
इनका कहना है
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मवई में चिकित्सकों की कमी के कारण मवई क्षेत्र की स्वास्थ व्यवस्था पर सवाल उठ रहे है। यहां लोगों को समय पर उपचार नहीं मिल पा रहा है। शासन में बैठे लोगो को जिला मुख्यालय और मवई की कोई भी चिंता नहीं है।
रानू हरदहा, अध्यक्ष, ब्लॉक कांग्रेस कमेटी मवई
विकासखंड मवई नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के साथ ही एक आदिवासी वनांचल क्षेत्र है। यहां संचालित सरकारी अस्पताल में स्टाफ की कमी के कारण क्षेत्रीय जन को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। सीएचसी में महिला चिकित्सक की भी कमी है।
क्षेत्र में शासन द्वारा बनाई गई बहुत बड़ी स्वास्थ केंद्र की बिल्डिंग है, जिसमें मरीज तो है लेकिन उनका इलाज करने वाला डॉक्टर नही है। फिलहाल यहां पदस्थ नर्सो द्वारा स्वास्थ्य सुविधाएं संचालित की जा रही है, लेकिन शासन के कान में जू तक नही रेंग रही।
प्रकाश साहू , विधायक प्रतिनिधि मवई