कान्हा के चीतल प्रदेश के अन्य पार्को में कर रहे चहल कदमी
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गांधीसागर, नौरादेही और कूनो राष्ट्रीय उद्यान भेजे गए 667 चीतल
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कान्हा टाइगर रिर्जव से गांधीसागर अभ्यारण्य 500, नौरादेही 500 और कूनो राष्ट्रीय उद्यान 1000 चीतल भेजने का लक्ष्य
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कान्हा के सरही, मुक्की परिक्षेत्र से किया गया चीतलों को बोमा तकनीक से कैप्चर
मंडला महावीर न्यूज 29. राष्ट्रीय उद्यान कान्हा में हर प्रकार के जीव जंतु, वन्य प्राणियों समेत वनस्पति वनों से आच्छादित है। यहां दुर्लभ प्रजाति के जीव जंतु एवं वन्य प्राणी की उपलब्धता है। मंडला जिले का कान्हा नेशनल पार्क विश्व विख्यात कान्हा टाइगर रिजर्व के नाम से पूरी दुनिया में जाना जाता है। कान्हा नेशनल पार्क भारत के मप्र में मंडला और बालाघाट जिले की सीमा में स्थित है। कान्हा नेशनल पार्क मध्य भारत का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है। इस पार्क में रॉयल बंगाल टाइगर तेंदुए, भालू, बारहसिंघा, चीतल, हिरण, गौर और जंगली कुत्ते की महत्वपूर्ण आबादी है। बाघों के लिए विश्व विख्यात मंडला जिले के कान्हा नेशनल पार्क के सभी जोन में वन्य प्राणियों की चहल कदमी रहती है। जिसके कारण देशी, विदेशी पर्यटकों के लिए कान्हा नेशनल पार्क पहली पंसद बना हुआ है।
जानकारी अनुसार कान्हा नेशनल पार्क के चीतलों को प्रदेश के अन्य नेशनल पार्को में आबाद करने के उद्देश्य से विगत वर्ष इन्हें शिफ्ट करने की योजना बनाई गई है। योजना के तहत कान्हा टाइगर रिजर्व से 500-500 चीतलों को नौरादेही अभ्यारण्य, गांधी सागर अभ्यारण्य और 1000 चीतलों को कूनो राष्ट्रीय उद्यान श्योपुर में शिफ्ट करने की योजना है। मप्र शासन द्वारा तीनों नेशनल पार्को में चीतल ट्रांसलोकेशन के लिए कान्हा टाइगर रिजर्व को निर्देश दिए गए थे। जिसमें अलग अलग तिथियों में दिए गए लक्ष्य के अनुरूप कान्हा टायगर रिजर्व से चीतलों को तीनों पार्को में भेजा जा रहा है।
बताया गया कि वर्ष 2023 में सबसे पहले नौरादेही टाइगर रिजर्व सागर को चुना गया। कान्हा टायगर रिजर्व के किसली परिक्षेत्र से नौरादेही अभ्यारण्य भेजने के लिए पहले शिफ्ट के लिए 15 अक्टूबर 2023 को बोमा कैप्चरिंग तकनीक से 32 चीतलों को केप्चर किया गया। गांधीसागर अभयारण्य के लिए 7 जनवरी 2024 को पहले शिफ्ट में 23 चीतलों को कान्हा टायगर रिजर्व के मुक्की परिक्षेत्र से केप्चर किया गया। इसके साथ कूनो राष्ट्रीय उद्यान में 13 अप्रैल 2024 को कान्हा टायगर रिजर्व के सरही परिक्षेत्र से पहले शिफ्ट में 14 चीतलों को भेजा गया। अभी तक अलग-अलग शिफ्ट में कान्हा टायगर रिजर्व से नौरादेही, गांधीसागर और कूनों राष्ट्रीय उद्यान श्योपुर में 667 चीतलों को बोमा कैप्चरिंग तकनीक से विशेष वाहनों से भेजा गया है।
गांधीसागर अभयारण्य मंदसौर भेजे गए 186 चीतल
बताया गया कि कान्हा टायगर रिजर्व के अलग-अलग परिक्षेत्र से चीतलों को केप्चर करके प्रदेश के नौरादेही, गांधीसागर और कूनों राष्ट्रीय उद्यान श्योपुर भेजा जा रहा है। गांधीसागर अभयारण्य मंदसौर के लिए 500 चीतलों को भेजने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जिसमें अभी तक नौ शिफ्ट में 186 चीतल जिसमें 76 नर और 110 मादा चीतल शामिल है। गांधीसागर के लिए कान्हा पार्क के सरही और मुक्की जोन से चीतलों को केप्चर किया गया है। जिसमें सरही परिक्षेत्र से सिर्फ 12 नर चीतल केप्चर कर भेजे गए है। शेष 174 नर, मादा चीतलों को मुक्की परिक्षेत्र से केप्चर किया गया है, जो गांधीसागर अभयारण्य में चहल कदमी कर रहे है। गांधी सागर भेजे गए चीतलों का पहला शिफ्ट 7 जनवरी 2024 को शुरू किया गया, जिसमें 23 चीतल भेजे गए। इसके बाद 25 फरवरी को 25 चीतल, 05 मार्च को 20 चीतल, 08 मार्च को 22 चीतल, 10 मार्च को 19 चीतल, 15 मार्च को 12 चीतल, 29 सितंबर को 19 चीतल, 23 अक्टूबर को 28 चीतल, 28 नबंवर 2024 को 18 चीतल बोमा तकनीक से केप्चर कर भेजे गए है।
नौरादेही अब तक 138 चीतल किये शिफ्ट
बताया गया कि मंडला कान्हा टाइगर रिजर्व से अब तक 138 नर और माता चीतलों को नोरादेही टाइगर रिजर्व भेज गया है। इन चीतलों को बोमा तकनीक के माध्यम से विशेष वाहन में नौरादेही पार्क भेजा गया। 68 नर चीतल और 70 मादा चीतलों को अब तक सात शिफ्ट में कान्हा से नौरादेही भेजा जा चुका है। जिन क्षेत्रों में चीतल या शाकाहारी जानवरों की संख्या ज्यादा है और जहां इनकी संख्या कम है, वहां उनकी संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से पार्क के अंदर और अन्य पार्कों में चीतलों को स्थानांतरित किया जाता है। इसी उद्देश्य से कान्हा पार्क में विगत वर्ष से दिए गए 500 के लक्ष्य को पूरा करने के लिए चीतलों को नौरादेही भेजा गया है। जिसमें कान्हा टायगर रिजर्व के किसली परिक्षेत्र से 15 अक्टूबर 2023 को 13 नर, 19 मादा चीतल, कान्हा टायगर रिजर्व के मुक्की परिक्षेत्र से 10 दिसंबर 2023 को 03 नर, 12 मादा चीतल और कान्हा मुक्की परिक्षेत्र से 02 जनवरी 2024 को 08 नर, 19 मादा चीतल, 08 फरवरी को मुक्की परिक्षेत्र से 06 नर, 14 मादा चीतल, 29 फरवरी 2024 को सरही परिक्षेत्र से 22 नर चीतल, 13 मार्च को सरही परिक्षेत्र से 11 नर, 03 मादा चीतल और 15 जनवरी 2025 को मुक्की परिक्षेत्र से 5 नर और 3 मादा चीतलों को नौरादेही टायगर रिजर्व सागर शिफ्ट किया गया है।
कूनों उद्यान के लिए 1000 चीतलों का लक्ष्य
कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतलों को आबाद करने के साथ चीतों की भी संख्या बढ़ाने की कवायद की जा रही है। जिसके तहत कान्हा टायगर रिजर्व से वर्ष 2024 से 1000 चीतलों को भेजने की कार्ययोजना बनाई गई है। जिससे कूनो में कान्हा के चीतल चहल कदमी कर सके और अपना कुनबा बढ़ा सके। जिसके लिए कान्हा के सरही और मुक्की परिक्षेत्र से अभी तक 19 शिफ्ट में 343 चीतलों को भेजा चुका है। जिसमें 196 नर और 147 मादा चीतल शामिल है। कान्हा से कूनो 13 अप्रैल 2024 को चीतलों का पहला शिफ्ट भेजा गया, जिसमें 14 चीतल भेजे गए थे। इसके बाद 15 अप्रैल को 15 चीतल, 20 अप्रैल को 19 चीतल, 21 अप्रैल को 16 चीतल, 23 अप्रैल 21 चीतल, 25 अप्रैल को 17 चीतल, 27 अप्रैल को 20 चीतल, 27 जून को 14 चीतल, 25 अगस्त को 17 चीतल, 31 अगस्त को 26 चीतल, 09 सितंबर को 46 चीतल, 14 सितंबर को 25 चीतल, 21 सितंबर को 16 चीतल, 25 नबंवर 2024 को 22 चीतल, 04 जनवरी 2025 को 17 चीतल, 21 जनवरी को 16 चीतल और विगत दो दिन पूर्व 16 मार्च 2025 को 18 नर और 4 मादा के साथ कुल 22 चीतलों को कूनो राष्ट्रीय उद्यान विशेष वाहन से भेजा गया है।
ऐसे किया गया चीतलों को बोमा से कैप्चर
बताया गया कि चीतल, हिरण और बारहसिंघा बेहद नाजुक वन्य प्राणी होते हैं। जिन्हें पकडऩा या टेंक्यूलाइज करना खतरे से खाली नहीं होता। जिसके कारण चीतल को बिना हाथ लगाए और बेहोश किए बिना कैप्चर करने का प्रयास किया जाता है। वन्य प्राणियों के इस तरह के ऑपरेशन के लिए लंबे समय से तैयारी की जाती है। जंगल के ऐसे क्षेत्र में पहले से वाई के आकार का एक अपारदर्शी बाड़ा बोमा तैयार कर लिया जाता है, जहां शाकाहारी वन्य प्राणियों का समूह मिलता है। ये वन्यप्राणी स्वयं घास चरते हुए बनाए गए बोमा के अंदर पहुंच जाते हैं। जिसका एक हिस्सा काफी चौड़ा और सामने से खुला होता है, वहीं दूसरा हिस्सा पतली गली सा होता है। पतली गली वाले हिस्से के मुहाने पर उस वाहन को लगा दिया जाता है जिसमें चीतलों का परिवहन किए जाने हैं। बाड़े के चौड़े वाले खुले हिस्से से चीतल अंदर प्रवेश कर जाते हैं और फिर उन्हें हांककर पतली गली वाले हिस्से की तरफ ले जाया जाता है। शिफ्टिग योग्य संख्या में वन्यप्राणियों के बोमा के अंदर पहुंचते ही उसके दोनो मुहानों को बंद कर दिया जाता है। शिफ्टिंग के दौरान सकरे वाले मुहाने पर वाहन लगाकर वन्य प्राणियों को हांका जाता है जिससे चीतल वाहन में चढ़ जाते हैं।