पानी की बूंद-बूंद को तरस रहे पिपरटोला के वंशिदे
- प्यास बुझाने के लिए जान जोखिम में डाल डेढ़ किलोमीटर से ला रहे पेयजल
- हालोन नदी के पास रेत में झिरिया बनाकर पीने का निकाल रहे पानी
मंडला महावीर न्यूज 29. गर्मी की तपीश बढऩे के साथ ही पानी की समस्या भी बढऩे लगी है, लेकिन कुछ जगह पर जल संकट इतना गहरा गया है कि लोग बूंद-बूंद पानी को मोहताज है। ग्रामीण क्षेत्रों के कुंए, हैंडपंप हवा उगल रहे है, इनसे पानी नहीं निकल रहा है। अन्य जल स्त्रोतों का भी जल स्तर कम होने की कगार पर है। लोग अपने रोजमर्रा के काम छोड़कर अपनी प्यास बुझाने के लिए जतन कर रहे हैं। गर्मी अपने तीखे तेवर तो दिखा ही रही है, लेकिन जब गर्मी अपने पूरे शबाव पर होगी तब हालत और बदतर होने की संभावना जताई जा रही है।
बिछिया विकासखंड के ग्राम पिपरटोला में इस समय पानी की समस्या है। यहां के कुंए, तालाब, हैंडपंप सूख चुके है। लोगों को पीने के पानी के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। करीब डेढ़ किलोमीटर दूर से पानी लाने को मजबूर है। पिपरटोला के वंशिदे जिस जल स्त्रोत के पास से पेयजल लेकर आते है, उसी स्त्रोत का मवेशी उपयोग करते है। जिससे यह पानी दूषित हो जाता है। वहीं ग्रामीणों को पथरीले और कच्चे रास्ते से होकर पानी लेने जाना पड़ रहा है। इस दौरान ग्रामीण पथरीले मार्ग में चोटिल भी हो जाते है।
जानकारी अनुसार आदिवासी बाहुल्य मंडला जिले के एक छोटे से गांव पिपरटोला में इन दिनों पेयजल संकट गहरा गया है। करीब एक हजार की आबादी वाले ग्राम के वंशिदों का दैनिक जीवन नारकीय बना गया है। भीषण गर्मी के दस्तक देते ही गांव में पानी की किल्लत बढ़ गई है, जिससे यहां के रहवासियों को अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। गांव में पानी का कोई स्थायी स्रोत नहीं है, जिसके चलते यहां के लोगों को अपनी प्यास बुझाने के लिए हर रोज जान जोखिम में डालकर पास की नदी तक करीब डेढ़ किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। विवश ग्रामीण हालोन नदी के किनारें एकत्र रेत में गड्डा और झिरिया बनाकर उससे पीने के पानी का इंतजाम कर रहे है। चिलचिलाती धूप में पुरुष, महिलाएं और बच्चे सभी पानी की तलाश में दिनभर भटकते रहते हैं। यह कमरतोड़ मेहनत उनकी दैनिक दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा बन गई है, और प्यास बुझाने की इस जद्दोजहद में यही उनके पास एकमात्र विकल्प बचा है।
दूसरे गांव के लोग पिपरटोला में नहीं कर रहे विवाह
बताया गया कि जल संकट न केवल पिपरटोला के ग्रामीणों के जीवन और मृत्यु का प्रश्न बन गया है, बल्कि इसने गांव के सामाजिक ताने-बाने को भी बुरी तरह से प्रभावित किया है। पानी की कमी के कारण यहां रोजमर्रा की जिंदगी दूभर हो गई है, और इसका सबसे दुखद पहलू यह है कि इस गांव के युवकों के विवाह पर भी गहरा असर डाला है। गांव के आधे से ज्यादा युवा आज भी कुंवारे हैं, क्योंकि दूसरे गांवों के लोग अपनी बेटियों की शादी ऐसे गांव में करने से कतराते हैं, जहां पीने जैसे बुनियादी जरूरत की चीज भी नसीब नहीं होती।
संक्रमण का खतरा
पिपरटोला के लोगों ने बताया कि कई बार उन्हें पीने के पानी के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है और यहां स्थित नदी का पानी भी दूषित है। इस नदी में आकर गांव के मवेशी अपनी प्यास बुझाते है। जिससे बीमारियां फैलने का खतरा बना रहता है। बुजुर्ग और छोटे बच्चे इस जल संकट से सबसे ज्यादा परेशान हैं, जिनके लिए दूर तक चलकर पानी लाना और भी मुश्किल हो जाता है। वहीं स्थानीय प्रशासन का कहना है कि ग्रामीणों को नियमित जलापूर्ति सुनिश्चित करने के लिए जल जीवन मिशन के तहत काम तेजी से चल रहा है। अधिकारियों का दावा है कि जल्द ही गांव में पाइपलाइन बिछाने का काम पूरा हो जाएगा और हर घर तक नल से पानी पहुंचाया जाएगा।