मंगलेश्वर मंदिर घाट निर्माण में अनियमित्ता, गुणवत्ता पर सवाल
- इस्टीमेट का नहीं हुआ पालन, वार्डवासियों में रोष
मंडला महावीर न्यूज 29. नगरीय निकाय मंडला में निर्माण कार्यों में मनमानी का सिलसिला जारी है। उपनगरीय क्षेत्र महाराजपुर के ज्वालाजी वार्ड स्थित प्राचीन मंगलेश्वर मंदिर नर्मदा नदी तट पर बन रहे घाट निर्माण कार्य में स्वीकृत इस्टीमेट का पालन नहीं किया जा रहा है। इसके साथ ही निर्माण कार्य में अनियमित्ताएं बरती जा रही है। जिससे वार्डवासियों और मंदिर समिति के सदस्यों में गहरा रोष व्याप्त है।
जानकारी के अनुसार मंगलेश्वर मंदिर से नर्मदा तट तक पहुंचने के लिए लगभग 6 लाख 61 हजार रुपये की लागत से घाट का निर्माण किया जा रहा है। स्वीकृत इस्टीमेट में घाट की चौड़ाई 15 फीट निर्धारित है, लेकिन स्थानीय लोगों का आरोप है कि ठेकेदार द्वारा इसकी अनदेखी कर केवल 12 फीट चौड़ाई में निर्माण किया जा रहा है। इसके साथ ही निर्माण से पहले उखाड़े गए पुराने पत्थरों का उपयोग किया जा रहा है और 10 एमएम की पतली लोहे की सरिया डाली जा रही है, जिससे घाट की गुणवत्ता संदिग्ध है।
स्थानीय निवासियों ने यह भी आरोप लगाए है कि घाट के निचले हिस्से कछार में लोहे की जाली तक नहीं बनाई गई है, जबकि उखाड़े गए कमजोर पत्थरों और मिट्टी का भराव कर ऊपर से कांक्रीट कर दिया गया है। वार्डवासियों का मानना है कि ठेकेदार द्वारा मनमाने तरीके से निर्माण कार्य किया जा रहा है और यह घटिया निर्माण कमीशनखोरी की भेंट चढ़ गया है। इसको लेकर वार्ड वासियो व मंदिर समिति के सदस्यो में रोष देखा जा रहा है।
वर्षो इंतजार के बाद स्वीकृत हुआ था घाट
बताया गया कि इस घाट निर्माण कार्य का भूमिपूजन पीएचई मंत्री संपतिया उइके द्वारा किया गया था, जिसमें नगर पालिका परिषद अध्यक्ष और पार्षद भी मौजूद थे। स्थानीय लोगों ने बताया कि मंगलेश्वर मंदिर के पास नर्मदा तट तक पहुंचने के लिए घाट निर्माण की मांग वे करीब डेढ़ दशक से कर रहे थे। लंबे प्रयासों के बाद जब निर्माण कार्य स्वीकृत हुआ तो लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई थी, लेकिन अब गुणवत्ताहीन निर्माण को देखकर उनमें भारी निराशा और गुस्सा है।
गुणवत्ताविहीन किया जा रहा घाट निर्माण
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि निर्माण कार्य इसी तरह घटिया स्तर का रहा तो नर्मदा नदी में आने वाली पहली बाढ़ में ही यह घाट बह जाएगा। उन्होंने बताया कि तट किनारे कछार पर कमजोर पत्थरों और मिट्टी का भराव किया गया है, जबकि सरिया के बीम और जाली लगाकर कांक्रीट नहीं किया गया है। मानक स्तर का काम न होने के कारण इस घाट का टिक पाना मुश्किल है। वार्डवासी और मंदिर समिति के सदस्य इस मामले में उच्च स्तरीय जांच और गुणवत्तापूर्ण निर्माण की मांग कर रहे हैं।
इनका कहना है
घाट निर्माण कार्य छह लाख रूपए से अधिक लागत से किया जा रहा है। इस्टीमेट का पालन नहीं हो रहा है या फिर फाडी पत्थर का उपयोग करने की जानकारी नहीं है। इसकी जानकारी ली जाएगी।
प्रवीण ठाकुर, उपयंत्री नपा, मंडला