पंचायत की लापरवाही, उदासीनता से तालाब का अस्तित्व खतरे में

पंचायत की लापरवाही, उदासीनता से तालाब का अस्तित्व खतरे में

  • तालाब में लगा कचरे का अंबार, टाटरी पंचायत का मामला
  • ग्रामीणों की मांग-तालाब का गहरीकरण कराकर कराया जाए सौंदर्यीकरण

मंडला महावीर न्यूज 29. एक तरफ जहां भाजपा सरकार जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत नदियों और तालाबों को सुरक्षित और स्वच्छ बनाने के लिए प्रयासरत है, वहीं मंडला जिले की टाटरी पंचायत में तालाब की सफाई और गहरीकरण को लेकर सरपंच की उदासीनता चिंता का विषय बनी हुई है। पंचायत की लापरवाही और मनमानी के चलते तालाब अपना अस्तित्व खोता नजर आ रहा है, जिससे स्थानीय लोग परेशान हैं। बताया गया कि तालाब में लंबे समय से कचरे का अंबार लगा हुआ है, जिसके कारण शाम होते ही पूरे क्षेत्र में दुर्गंध फैल जाती है। ग्रामीणों का कहना है कि तालाब की सफाई न होने से वे इसका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। गर्मी के मौसम में यह तालाब मवेशियों के लिए पेयजल का एकमात्र स्रोत था, जो अब प्रदूषित हो चुका है।

ग्रामीणों ने बताया कि तालाब की मेढ़ और किनारे पर दुकानें व मकान बनाकर अतिक्रमण किया जा रहा है, जिस पर सरपंच और सचिव द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। इसके साथ ही तालाब के ओवरफ्लो की नाली को एक कपड़ा व्यवसायी द्वारा तोड़ दिया गया है, लेकिन पंचायत का इस पर भी ध्यान नहीं है। इसके साथ ही गांव में कूड़ेदान तो बनाए गए हैं, लेकिन पंचायत द्वारा कोई नियम या मापदंड निर्धारित न करने के कारण लोग अपनी सुविधानुसार कहीं भी कचरा फेंक रहे हैं।

चारों तरफ फैला प्लास्टिक का कचरा 

बताया गया कि तालाब, हैंडपंप, खेल मैदान और मंदिर सहित पूरे गांव में प्लास्टिक का कचरा फैला हुआ है, जिससे स्वच्छता कहीं भी दिखाई नहीं देती। गांव में बनी नालियां भी कचड़े से भरी पड़ी हैं और उनकी सफाई नहीं की जा रही है। दुकानों में डस्टबिन अनिवार्य नहीं किए गए हैं, जिससे प्लास्टिक का अंबार लग रहा है। स्कूल के सामने एक ही जगह पर दो-दो कूड़ेदान बना दिए गए हैं। बस स्टैंड के हैंडपंप में अभी तक सोकपिट और कांंक्रीट फाउंडेशन नहीं बनाया गया है, जिससे लोगों को पानी भरने में परेशानी का सामना करना पड़ता है।

सफाई कराकर कराया जाए सौंदर्यीकरण 

ग्रामीणों का कहना है कि पिछले तीन वर्षों से तालाब पर पंचायत द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया है। सरपंच और सचिव राशि न होने का हवाला देते हैं, जबकि पंचायत की अपनी आमदनी भी है, जिसमें बाजार ठेका और दुकानों का किराया शामिल है। ग्रामीणों ने जनपद सदस्य और जिला पंचायत सदस्य पर भी गांव के विकास में कोई योगदान न देने का आरोप लगाया है। इसके साथ ही सरपंच के संरक्षण में ठेकेदारों द्वारा मनरेगा मद से बनाए गए स्टॉप डेम और पुलिया की गुणवत्ता पर भी सवाल उठा रहे हैं। ग्रामीणों ने कलेक्टर से इसकी जांच कराने की मांग की है। स्थानीय लोगों का कहना है कि तालाब की सफाई कराकर उसका गहरीकरण कराया जाए, जिससे यह तालाब अपना अस्तित्व बचा सके। इसके साथ ही इस तालाब का सौंदर्यीकरण भी किया जा सके।



 

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