श्री हनुमान 24 घंटे में बदलते है तीन स्वरूप
- ग्राम सकवाह के नर्मदा तट पर स्थित है सूर्यकुण्ड धाम
- दूर-दूर से आते है भक्त, साल भर होते है धार्मिक आयोजन
मंडला महावीर न्यूज 29. जिला मुख्यालय से करीब तीन किमी दूर ग्राम सकवाह के सूर्य कुण्ड धाम में दक्षिण मुखी हनुमान जी स्थापित है। यहां नर्मदा तट में स्थित सूर्यकुंड धाम में बड़ी संख्या में श्रृद्धालुओं का तांता प्रतिदिन लगा रहता है। दूर-दूर से भक्त हनुमान जी के दर्शन के लिए पहुंचते है। पूरे वर्ष भर सूर्यकुण्ड धाम में विविध धार्मिक आयोजन किए जाते है। सूर्यकुण्ड ग्राम सकवाह का एक छोटा सा मोहल्ला है, जहां आधा सैकड़ा से भी कम परिवार निवास करते है। वहीं ग्राम सकवाह के इस छोटे से क्षेत्र में स्थापित श्रीराम भक्त हनुमान की प्राचीन प्रतिमा विश्व विख्यात है।
जानकारी अनुसार मंडला से करीब तीन किमी दूर ग्राम सकवाह में श्रृद्धा और भक्ति का एक प्राचीन हनुमान मंदिर लोगों की आस्था का केन्द्र है, जिसे सूर्यकुण्ड के नाम से जाना जाता है। यहां पर हनुमान जी का एक प्राचीन मंदिर है। मंदिर में प्रतिष्ठित हनुमान जी की प्रतिमा के त्वचा का रंग अत्यंत ही दुर्लभ पत्थर से निर्मित है और उनकी आदमकद प्रतिमा रामायणकाल की घटनाओं का विवरण देती है। हनुमानजी का चेहरा आकर्षण और तेज लिए हुए है, जिससे दिव्यता और असीम शांति का अनुभव होता है। मंदिर में विराजमान हनुमान जी की इस दुर्लभ मूर्ति की खासियत यह है कि ये चौबीस घंटो में प्राकृतिक रूप से तीन बार अपना स्वरूप बदलती है।
24 घंटे में तीन स्वरूप बदलते है श्री हनुमान
पुजारी कुंज बिहारी उपाध्याय ने बताया कि यहां स्थापित हनुमान मंदिर की प्राचीन प्रतिमा 24 घंटे में 3 बार अपना स्वरुप बदलती है। सुबह 04 बजे से 10 बजे तक बाल स्वरुप, इसके बाद 10 बजे से शाम 06 बजे तक युवा स्वरुप इसके बाद शाम 06 बजे से पूरी रात वृद्ध स्वरुप में हनुमान जी नजर आते है। इनके दर्शन करने दूर-दूर से लोग आते है। आये दिन समितियों द्वारा यहां विविध धार्मिक आयोजन किए जाते है। वर्ष में दो बार हनुमान जयंती के साथ ही नर्मदा जन्मोत्सव, महाशिवरात्री, मकर संक्राति समेत अन्य पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।
बाढ़ में गुम हो गया सूर्य कुंड
बताया जाता है कि 1926 के पहले यहां नर्मदा तट में एक कुंड स्थापित था, जिसे सूर्य कुंड के नाम से जाना जाता है। नर्मदा पूराण में भी नर्मदा के किनारे स्थापित चार कुंडों में से इस सूर्यकुंड को बताया गया है। कहा जाता है कि उक्त कुंड में भगवान सूर्य ने यज्ञ किया था। वहीं कुंड के पानी में दोपहर को भवन सूर्य की परछाई घोड़े व रथ के साथ दिखाई देती थी। सन 1926 में नर्मदा में आई बाढ़ में कुंड में कापू जम गई। जिसकी दिल्ली से पहुंचे भू सर्वेक्षण टीम द्वारा भी काफी तालाश की गई। लेकिन पता नहीं चला। धार्मिक मान्यताओं के चलते यहां श्रृद्धालुओं का जमघट लगा रहता है।
इनका कहना
यह स्थान काफी प्राचीन है। हनुमान जी के चमत्कारी रूप के कारण लोगों की आस्था बढ़ती जा रही है। कुंड को तालाशने का प्रयास किया गया लेकिन सफलता नहीं मिली। समय-समय पर धार्मिक आयोजन किए जाते हैं। दूर-दूर से श्रद्धालु परिवार सहित पहुंचते हैं। समिति द्वारा लगातार यहां विकास कार्य कराया जा रहा है।
कुंज बिहारी उपाध्याय, पुजारी
मुझे जब भी मौका मिलता है यहां आता हूं एक आत्मीय शांति अनुभव होता है। यहां नर्मदा तट में कुछ देन बैठना अच्छा लगता है। हनुमानमंदिर, श्रीकृष्ण राधामंदिर, दुर्गामंदिर, शनि मंदिर, माता काली का मंदिर सहित अन्य मंदिर स्थापित है। सभी भगवान के एक ही स्थान पर दर्शन हो जाते हैं।
दुष्यंत कुशवाहा, ग्राम रामबाग