श्री मारूति महायज्ञ में श्रृद्धालु दे रहे आहूति
- सिद्ध संतो के मार्गदर्शन में श्रीराम कथा और मारूति यज्ञ का हो रहा आयोजन
मंडला महावीर न्यूज 29. सूर्यकुंड धाम में हिमालय एवं हरिद्वार के सिद्ध संतों के मार्गदर्शन में श्री मारूति महायज्ञ एवं श्रीराम कथा का भव्य आयोजन किया जा रहा है। इस धार्मिक कार्यक्रम में भक्त पहुंच रहे है। प्रति हो रहे महायज्ञ में भक्त आहूति देकर पुण्य लाभ अर्जित कर रहे है। धार्मिक कार्यक्रम में पहुंचने वाले भक्तों के लिए व्यवस्था भी समिति द्वारा की गई है। बताया गया कि यह धार्मिक आयोजन महायोगी पायलट बाबा योग समिति अंजनिया एवं श्री सूर्यकुण्ड धाम महाआरती भंडारा समिति मंडला द्वारा संतो के मार्गदर्शन में किया जा रहा है।
इसके साथ ही श्रीराम कथा का वाचन भी रोजाना शाम 4 बजे से हो रहा है। श्रीराम कथा के पांचवे दिन सूर्यकुंड धाम में श्रीराम विवाह का प्रसंग बताया गया। यह दिव्य कथा प्रतिदिन शाम 4 बजे से लेकर 7.30 बजे तक चल रही है। इसका समापन 12 अप्रैल को किया जाएगा। श्रद्धालु इस दौरान भगवान राम के विभिन्न प्रसंगों की मनमोहक कथा का श्रवण कथा व्यास सुश्री उमाकिशोरी द्वारा किया जा रहा है। बताया गया कि श्री मारूति महायज्ञ में सिद्ध संतों में हिमालय से पायलट बाबा के शिष्य डीके बाबा, ब्रम्हाचारी बाबा समेत अन्य सिद्ध संतो का आगमन हुआ है।
कथा व्यास सुश्री उमाकिशोरी ने श्रीराम कथा के पांचवे दिन प्रभु श्रीराम सीता विवाह का प्रसंग भक्तों को बताया। कथा में बताया कि भगवान राम विष्णु के अवतार माने जाते हैं। उनका जन्म अयोध्या नगरी के राजा दशरथ के सबसे बड़े पुत्र के रूप में हुआ था। वहीं सीता राजा जनक की पुत्री थीं। सीता जी का जन्म धरती से हुआ था। राजा जनक हल चला रहे थे उस समय उन्हें एक नन्ही सी बच्ची मिली थी, जिसका नाम उन्होंने सीता रखा था। इसी कारण सीता जी को जनक नंदिनी के नाम से भी जाना जाता है। कथा में कथा व्यास उमाकिशोरी ने आगे बताया कि एक बार माता सीता ने शिव जी का धनुष उठा लिया था, जिसे परशुराम के अलावा और कोई नहीं उठा सकता था। ऐसे में राजा जनक ने यह निर्णय लिया कि जो भी शिव जी का धनुष उठा पाएगा सीता का विवाह उसी से होगा। इसके बाद सीता के स्वयंवर के लिए घोषणा कर दी गईं।
भगवान राम अपने छोटे भाई लक्ष्मण और गुरु विश्वामित्र के साथ स्वयंवर में पहुचे और देवी सीता के स्वयंवर में भाग लिया। स्वयंवर में कई राजकुमार आए हुए थे पर कोई भी शिव जी के धनुष को नहीं उठा सका। यहां पहुंचे सभी वीरों ने अपनी ताकत लगाई पर धनुष को अपनी जगह से हिला भी नहीं पाए, जिसके बाद गुरु विश्वामित्र की आज्ञा से भगवान श्री राम ने शिव का धनुष उठाया और जब उन्होंने प्रत्यंचा चढ़ाने की कोशिश की तो वह टूट गया। वहां मौजूद हर कोई हैरान रह गया। इसके बाद विधि के अनुसार मां सीता का विवाह मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम के साथ संपन्न हुआ। सूर्यकुंड धाम में चल रहे इन दोनों ही धार्मिक आयोजनों को लेकर श्रद्धालुओं में भारी उत्साह देखने को मिल रहा है।