59 लाख के तालाब में बूंद भर पानी नहीं

59 लाख के तालाब में बूंद भर पानी नहीं

  • गुणवत्ताविहीन कार्य का आरोप
  • ग्राम पथरी के समूह को किया गया था आवंटित
  • गुणवत्ताविहीन कार्य के जांच की मांग

मंडला महावीर न्यूज 29. जिले में शासकीय निर्माण कार्यो में हद दर्जे की लापरवाही बरती जा रही है। जिसका खामियाजा जिले के वंशिदों को भुगतना पड़ता है। यदि शासन की राशि का सद्उपयोग लोगों को ना मिल सके तो, ऐसे में शासकीय योजनाओं का क्रियान्वयन कैसे संभव होगा। शासकीय अधिकारी, कर्मचारी, जनप्रतिनिधि, ग्राम पंचायत शासकीय राशि का ऐसे बंदरबांट करते नजर आते है, जिसका लाभ तो क्षेत्रवासियों को नहीं मिलता, लेकिन यह लाभ उनके हित में जरूर होता है। ऐसे ही अनेक मामले जिले में देखने मिल जाएगे। जहां शासकीय निर्माण कार्यो में जमकर गुणवत्ताविहीन, औचित्यहीन और अनुपयोगी कार्य कर शासकीय राशि की होली खेली जाती है।

जानकारी अनुसार लापरवाही और गुणवत्ताविहीन कार्य की भेंट चढ़े कार्य का एक ऐसा ही मामला एक बार फिर मंडला जिले के नारायणगंज की ग्राम पंचायत बरबटी के ग्राम पथरी का सामने आया है। जहां क्षेत्र के लोगों के लिए विगत वर्ष 2022-23 में 59 लाख रूपए की लागत से अमृत सरोवर तालाब बनाया गया था, जिससे इस तालाब से सिंचाई, मछली पालन और सिंघाड़े लगाकर आर्थिक उन्नति कर सके, लेकिन गुणवत्ताविहीन कार्य के कारण इस अमृत सरोवर तालाब कोई काम नहीं आ रहा है। इस तालाब में एक बूंद पानी नहीं है। जिससे लाखों खर्च कर बनाया गया यह अमृत सरोवर तालाब कोई काम का नहीं है। गुणवत्ताविहीन बनाए गए अमृत सरोवर तालाब पर प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है।

ग्राम पथरी के ग्रामीणों ने बताया कि बनाए गए अमृत सरोवर तालाब में बूंद भर पानी नहीं है। बनाए गए इस तालाब से ग्रामीण दैनिक उपयोग के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है। शासन के लाखों खर्च करने के बाद भी इस अमृत सरोवर तालाब में बूंद भर पानी नहीं है। इस तालाब का ग्रामीणों को कोई फायदा नहीं मिल रहा है। इस निर्माण कार्य में विभागीय अधिकारियों और ठेकेदार से सांठगांठ के चलते अमृत सरोवर तालाब का घटिया निर्माण कार्य किया गया है।

लाखों के तालाब का अधूरा काम 

बताया गया कि ग्राम पथरी में वर्ष 2022-23 में अमृत सरोवर का निर्माण कराया गया था। जिसमें समूह के माध्यम से तालाब में मछली पालन और सिंघाड़े की खेती की जानी थी, इसके साथ इस अमृत सरोवर का लाभ क्षेत्र के किसानों को सिंचाई समेत अन्य दैनिक उपयोग के लिए होता, लेकिन इस तालाब को ऐसा बनाया गया कि इसमें एक बूंद पानी आज नहीं है। शासन के लाखों खर्च करने के बाद ग्राम के विकास पर प्रश्र चिन्ह लग गया है। ग्रामीणों का कहना है कि इस तालाब में पानी होने से ग्राम के पशुओं को पानी मिल जाता, लेकिन सरोवर का घटिया निर्माण कार्य कराया गया है। जिससे पानी नही रूक रहा हैं। किसानों को सिंचाई एवं दैनिक उपयोग के पानी के लिए अब भी ग्रामीणों को परेशान होना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि इस अमृत सरोवर तालाब निर्माण के लिए गांव में जो सूचना बोर्ड लगाया है, उसमें सरोवर 59 लाख की लागत से बनाया जाना था, जिसमें सामग्री के लिए 34.14 लाख रूपये खर्च किए जाने थे और मजदूरी के लिए 24.86 लाख रूपए थे। निर्माण एजेंसी आरईएस और ठेकेदार ने मिली भगत से सरोवर के नाम पर होली खेलकर काम भी पूरा नहीं किया है।

समूह के नाम से आवंटित हुआ था तालाब 

समिति के सदस्य रतन सिंह ने बताया कि अमृत सरोवर तालाब निर्माण ग्राम पथर्री में समूह के अघनूसिंह धुर्वे, रतनसिंह मरावी, गंगाराम मसराम, सुपालसिंह धुर्वे, सुक्खूसिंह धुर्वे, चैनसिंह धुर्वे, सुम्मतसिंह धुर्वे, शाहमेन धुर्वे, प्रभुसिंह, बबलू, लम्मूसिंह मार्को, रम्मूलाल धुर्वे समेत अन्य सदस्यों के समूह को मछलीपालन एवं सिंचाई के लिए आवंटन में दिया गया था, लेकिन इस तालाबा में पानी के न रूकने के कारण तालाब सूखा पड़ा है। मौके में तालाब के नाम से एक मेढ डाल दी गई है, जिसमें एक बंूद पानी नही है।

फर्जी मस्टररोल से निकाल ली राशि 

ग्रामीणों ने आरोप लगाए है कि तालाब निर्माण कार्य के दौरान वनग्राम कुई के ग्रामीणों के नाम पर फर्जी मस्टर रोल भरा गया है। यहां निर्माण कार्य में सिर्फ पथरी के ग्रामीणों ने ही काम किया है लेकिन फर्जी मस्टररोल भरकर राशि का आहरण किया गया है। ग्राम पंचायत के सरपंच भगतसिंह कुशरे, उपसरपंच हरिलाल धुर्वे पंच ओमबाई, लम्मूसिंह सैयाम, रूकमणी सैयाम सुरेश कुसरे, प्रीति धुर्वे ने अमृत सरोवर में हुई लीपापोती की जांच की मांग की है।



 

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