ज्ञान देने वाली है श्री शिव पुराण की पावन कथा
- दिव्य ग्रंथ है श्री शिव महापुराण
- नीम वाली माता प्रांगण महाराजपुर में शिव महापुराण प्रारंभ
मंडला महावीर न्यूज 29. नीम वाली माता मंदिर महिला मंडल समिति द्वारा आयोजित नीमवाली माता मंदिर हनुमान जी वार्ड महाराजपुर प्रांगण में गुरुवार से शिव पुराण का आयोजन प्रारंभ हुआ। कथा का वाचन पंडित दिवाकर चौबे के मुखारबिंद से किया जा रहा है। कथा प्रारंभ होने के पूर्व मंदिर प्रांगण से भव्य कलश व शोभायात्रा गाजे बाजे के साथ निकाली गई। जो उपनगर महाराजपुर के प्रमुख मार्गों से विभिन्न मंदिरों में देवी देवताओं के पूजन के बाद मंगलेश्वर मंदिर पहुंची। जहां पूजन भगवान भोलेनाथ का पूजन किया गया। जिसके बाद पुराने आरटीओ कार्यालय के सामने से होते हुए मुख्य मार्ग थाने के सामने से गाजे बाजे के साथ नृत्य करते हुए महिलाएं वापस नीमवाली मंदिर प्रांगण पहुंची। जहां व्यासपीठ देवताओं का पूजन के बाद शिव महापुराण की कथा का शुभारंभ हुआ।
कथा का प्रारंभ करते हुए पंडित दिवाकर चौबे ने कहा कि श्री शिव महापुराण दिव्य ग्रंथ है। श्री शिवपुराण की पावन कथा ज्ञान की देने वाली है। शिवपुराण के श्रवण करने से धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है। शिवजी भगवान ऐसे देवता है,जिनकी आराधना करने मात्र से अभिष्ट फल की प्राप्ति होती है। ये काशी के मुख्य देवता हैं और कैलाश जिनका वास है। ऐसे शिव महापुराण का आयोजन नीमवाली महिला मंडल महाराजपुर के तत्वावधान में किया जा रहा है।
आज के समय में कथा का अर्थ मनोरंजन
कथा के प्रथम दिवस शिव पुराण क्या है, इसके बारे में विस्तार से बताया। पुराण क्रम में यह पांचवी कथा है। जब वेदव्यास जी ने इसे रचा। उन्होंने कहा कि शिव महापुराण अन्य चरित्रों से हटकर मिलेगा। आज के समय में कथा का अर्थ मनोरंजन हो गया है। कथा का मूल उददेश्य को हमें नहीं भूलना चाहिए। यह संकल्प करके हम पूरे नौ दिवस कथा ध्यान पूर्व सुनें। कथा से हमें क्या प्राप्ति हो रही है, हमें लाभ क्या मिल रहा है। हमारा ध्यान कहीं भटके नहीं। कहीं हम अपने आप को इस चरित्र से दूर न कर लें। इस कथा में केवल शिवजी की भक्ति लिखी हुई है। ऐसे चरित्र हुए हैं। जिन्हें हम कभी जानते ही नहीं हैं। एक मात्र पुराण जो भोग और मोक्ष देता है वह शिव महापुराण है। हाथ के दो भाग हैं, अग्र भाग और पृष्ठ भाग। मगर जब आप देखों तो सामने वाला भाग दिखेगा, पीछे वाला भाग नहीं दिखेगा। इसी तरह एक तरफ भोग है और एक तरफ मोक्ष है। जब आप भोग के तरफ देखोगे तो मोक्ष नहीं दिखेगा। यानि आप संसाररत रहोगे, जब आप मोक्ष की ओर देखोगे तो आपको सुध नहीं होगी केवल परमात्मा के दर्शन होंगे।