मकर सक्रांति पर बिखरेगी गुड़ और तिल की खुशबू

  • मकर सक्रांति पर बिखरेगी गुड़ और तिल की खुशबू
  • पारंपरिक व्यंजनों के साथ सेलिब्रेट होगा पर्व, महिलाओं की तैयारियां पूर्ण
  • शुभ मुर्हूत में लगाएंगे नर्मदा में डूबकी

मंडला महावीर न्यूज 29. मकर संक्रांति पर सूर्य अपनी स्थिति बदलता है और मौसम में बदलाव का समय शुरू होता है। फसलों के लिहाज से भी इस दिन का महत्व है लेकिन मकर संक्रांति पर तिल, गुड़ और खिचड़ी खाने का चलन भी है। बता दे कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होता है। कालगणना के मुताबिक जब सूर्य मकर से मिथुन राशि की ओर भ्रमण करता है तो इस वक्त को उत्तरायण माना जाता है। ये वक्त छह महीने का होता है, इसके बाद सूर्य कर्क से धनु राशि की ओर जाता है, जिसे दक्षिणायन कहा जाता है।

पंडित विजयानंद शास्त्री ने बताया कि वैदिक पंचांग के अनुसार माघ माह की प्रतिपदा तिथि पर मकर संक्रांति मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में गोचर करेंगे। आज 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी। इस दिन पुण्य काल प्रात: काल 09 बजकर 03 मिनट से लेकर संध्याकाल 05 बजकर 46 मिनट तक है। इस अवधि में स्नान, ध्यान, पूजा, जप तप और दान कर सकते हैं। इसके साथ ही महा पुण्य काल सुबह 09 बजकर 03 मिनट से लेकर 10 बजकर 48 मिनट तक है। इस दौरान पूजा और दान करने से सूर्य देव की विशेष कृपा प्राप्त होगी।

जानकारी अनुसार सूर्य का उत्तरायण होना काफी शुभ होता है और इसी वजह से सारे शुभ कामों की शुरुआत इसी दौरान की जाती है। माना जाता है कि इस दौरान किसी पुण्य या सेहत की दिशा में किए गए किसी काम का फल 100 गुना होकर मिलता है। मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी और तिल खाना वैज्ञानिक महत्व भी रखता है। संक्रांति के आसपास सभी क्षेत्रों में ठंड होती है और सूर्य का एक से दूसरी राशि में जाना मौसम में बदलाव लाता है। इसकी वजह से बीमारियों का डर बढ़ जाता है। बता दे कि तिल और खिचड़ी में वे सभी पोषक तत्व होते हैं जो शरीर को गर्मी देते है और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाती है। यही कारण है कि इस त्योहार पर तिल-गुड़ की चीजें और दाल-सब्जी वाली खिचड़ी खाई जाती है।

पर्व मनाने की तैयारियां पूर्ण 

मकर संक्रांति पर्व पर गुड़ और तिल का अपना महत्व है, सनातन काल से चली आ रही यह परंपरा पर तरह तरह के व्यंजनों जैसे तिल के लड्डू, गुजिया, बरफी, मूँग दाल की खिचङी, गुड़ से बने व्यंजन, तिल की लाई आदि व्यंजनों को बनाने की तैयारी में जुट गए हैं। वैसे तो इस पर्व को लेकर महाराष्ट्रीयन समाज के लोगों में तैयारियों को लेकर काफी उत्साह रहता है, इसमें हल्दी कुमकुम के रिवाजों को निभाते हुए तिल की मिठाई वितरण करते हैं। इसके अलावा भी काफी समाज इस पर्व की तैयारियों को लेकर काफी उत्साहित हैं। मान्यता है कि मकर सक्रांति पर सूर्य देव उत्तरायण होते हैं, पुन: शुभ मुहूर्त की शुरूआत होती है और मांगलिक कार्यों के लिए रूपरेखा तैयार हो जाती है, देश के विभिन्न प्रांतों में इस पर्व को अलग अलग रूपों में मनाते हैं।

इनका कहना है

मकर संक्रांति पर महाराष्ट्रीयन रिवाज के अनुसार तिल गुड़ की रोटी, तिल की गुजिया और तिल के लड्डू जैसे उत्सव के व्यंजन तैयार किए जाते हैं। हम लोगों मे परिवार और दोस्तों को तिल के लड्डू या तिलची बर्फी की पेशकश करते हुए अभिवादन के रूप में कहते हैं तिल गुड़ घ्या, आनी गोड़ गोड़ बोला जिसका अर्थ है तिल और गुड़ खाएं और अच्छा बोलें, इस खास दिन हम लोग मूंग दाल से बनी खिचड़ी और तिल से बनी चीजें खाते है। हम लोग हल्दी कुंकुम कर तिल की मिठाई ओर उपहार देते हैं।


रानी यादव

मकर संक्रांति शीत ऋतु का गमन एवं बसंत ऋतु के आगमन का समय होता है, इस दिन प्रात: जल्दी उठ कर नर्मदा जी में डुबकी लगाकर अपने परिवार और सभी परिजनों हेतु मंगलकामना करते हैं, तिलगुङ के लड्डू खिलाकर शुभकामनाऐं देंगे, खिचड़ी का दान करेंगे, शाम को महिलाऐं हल्दी कुंकुम का कार्यक्रम करते हैं, इस दिन मुख्य रूप से गुड़ की रोटी, खिचड़ी आदि का भोजन करते हैं। तीळ गूळ खा आणि गोड गोड बोला, यानी तिलगुड खाओ और मीठा मीठा बोलो।


सोनिका उइके

इस दिन हम महिलाएं विशेषकर काले वस्त्र पहन कर सूर्य भगवान के पूजन के पश्चात सुहागन महिलाओं को घर बुलाकर उन्हें कोई वस्तु भेंट कर हल्दी कुमकुम के साथ सम्मान देते हैं. इस दिन एक दूसरे को तिल एवं गुड़ से बने विभिन्न पकवान देकर बोला जाता है कि तिल गुड़ लीजिए और मीठा मीठा बोलिए मान्यता है कि चूंकि सक्रांति ठंड में आती है और तिल गुड़ की प्रकृति गरम होती है,इसीलिए उत्तम स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है. तिल गुड़ खिलाकर आपसी कड़वी यादों को भी भुलाया जाता है।


वर्षा तेकाम

मकर संक्रांति के त्यौहार में पतंग उड़ाने का विशेष महत्व है तो हम अपने बच्चों के उत्साहवर्धन के लिए रंग बिरंगी पतंग और सुरक्षित मांझा खरीद रहे हैं, आसमान पर पतंग उङाएंगे और इस त्यौहार में तिल गुड़ का खास महत्व होने के कारण हम तिल गुड़ खरीद कर इसके लड्डू बनाने की तैयारी कर रहे हैं, इसके साथ मूँग दाल से बनी खिचङी की अलग पहचान है,और भी पारंपरिक व्यंजन तैयार कर रहे हैं जिसको लेकर हमेशा की तरह काफी उत्साहित हैं।


जानकी कुड़ापे



 

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