जलाऊ के लिए हरे भरे वृक्षों की चढ़ा दी बलि

  • जलाऊ के लिए हरे भरे वृक्षों की चढ़ा दी बलि
  • जंगलों की सुरक्षा पर निवास के जिम्मेदार अमले पर उठ रहे सवाल
  • निवास पश्चिम सामान्य वन मंडल से लगे राजस्व क्षेत्र का मामला

मंडला महावीर न्यूज 29. इस संसार में पशु, पक्षी समेत मनुष्य के लिए ऑक्सीजन कितनी महत्व रखता है, इसे हम विगत चार वर्ष पीछे देखे तो इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। कोरोना काल में ऑक्सीजन लोगों के जीवन के लिए अमृत तुल्य हो गया था, लोग पर्यावरण के प्रति सजग हो गए थे। शुद्ध वातावरण का महत्व लोगों को समझ आने लगा था, बावजूद इसके उस दौर को लोग फिर भूलते जा रहे है। बात यहां किसी राजस्व क्षेत्र या वन विभाग की नहीं है, बात है कि पृथ्वी को हरा भरा रखना हम सबकी जिम्मेदारी है, जिसे सहजने मात्र से हम अपनी आने वाली पीढ़ी को जीवनदान दे सकते है, लेकिन लोग हरे भरे जंगलों को साफ करने से परहेज नहीं कर रहे है। धड़ल्ले से हरे भरे वृक्ष काट कर जंगल को विरान बनाने में तुले है।

जानकारी अनुसार जिले के विकासखंड निवास के पश्चिम सामान्य वन मंडल क्षेत्र से लगे राजस्व क्षेत्र के हरे भरे वृक्षों को अपने निजी उपयोग के लिए अंधाधुंध कटा गया। सूत्रों ने बताया कि विगत दिवस रात्रि में पाठा देवगांव, थानम गांव मार्ग से लगे जंगल के करीब वृक्षों की बेधड़क कटाई की गई है। यदि जंगल से लगे क्षेत्र में वृक्षों का कत्लेआम किया गया है, तो जंंगल कैसे सुरक्षित है। इस क्षेत्र का वन अमला लापरवाही बरत रहा है। यह मामला निवास पश्चिम सामान वन मंडल का है। जहां ग्रामीण अंचलों से जंगल का क्षेत्र लगा हुआ है। लेकिन जंगलों में लगे हरे भरे वृक्ष अब अनदेखी का शिकार हो रहे है। वहीं इनकी सुरक्षा कर रहे वनकर्मी अपनी जिम्मेदारी में लापरवाही बरत रहे हैं।

जिम्मेदार बरत रहे लापरवाही 

बताया गया कि निवास से चंद दूरी पर बसे पाठा देवगांव मार्ग से लगा जंगल है। इस जंगल में ज्यादातर बांस लगे हुए है। लेकिन जंगल के अंदर हरे भरे वृक्षों की भी भरमार है। जहां संबंधित विभाग की लापरवाही के कारण जंगल से लगे क्षेत्र से जलाऊ लकड़ी के लिए हरे भरे वृक्षों की बलि चढ़ाई जा रही है। लोगों का कहना है कि जब वन परिक्षेत्र से लगे क्षेत्र से हरे भरे वृक्षों को काटा गया है, तो दूरांचल क्षेत्र के जंगलों के क्या हाल होंगे इसका अंदाजा यहां काटे गए हरे भरे वृक्षों को देखकर लगाया जा सकता है। पूरे जंगल में तो छोटे बड़े सभी तरह के वृक्ष है, जो जलाऊ लकड़ी के नाम पर बलि चढ़ रहे हैं। लेकिन यह जिम्मेदारों के लिए अपने आप को बचाने प्रयोग किया जाने वाला एक सीधा सा जवाब है कि छोटी डाल या झाडिय़ां काटी गई, लेकिन बात यह है कि छोटे वृक्षों में कुछ बेहद कीमती है। देखा जाए तो हर एक वृक्ष कीमती है। क्योंकि जंगल सभी से बनते हैं, न की कीमतें पौंधो से। क्योंकि छोटे पौधे ही बड़े वृक्षों का रूप लेते है। लेकिन यहां जलाऊ के नाम पर जंगलों में कटते छोटे बड़े सभी पेड़ पौधों पर लोगों की नजर लग गई है।

जलाऊ के लिए काटे वृक्ष 

बताया गया कि निवास पश्चिम सामान्य वन मंडल के पाठा देवगांव, थानम गांव मार्ग से लगे जंगल पिपरिया व मलहेरी के कक्ष क्रमांक 0.835, कुसमी बीट कक्ष क्रमांक 0.842 है। इस क्षेत्र के जंगल के पीछे की तरफ वृक्षों की बेधड़क कटाई की गई। निवास पश्चिम सामान्य वन मंडल के रेंज अधिकारी प्रवेश वराडे ने बताया कि यह पूरा मामला वन क्षेत्र से लगे हुए राजस्व क्षेत्र के खसरा क्रमांक 17 का है। जहां भूमि स्वामी द्वारा राजस्व क्षेत्र से ठंड में जलाऊ के लिए कुछ वृक्षों को कटा गया है।

विभाग कर रहा लापरवाही 

शासन ने भले ही सौ दिन रोजगार देने के लिये रोजगार गांरटी योजना चला रहा है। लेकिन इस योजना से ग्रामीण इलाकों में काम करने वाले मजदूरों का मोह भंग हो चुका है। इस योजना में उच्च अधिकारियों से लेकर सरपंच सचिव ही मालामाल हुए है। मजदूरों का हमेशा शोषण हुआ है। इसलिए जंगलों से बेसकीमती लकड़ी काटकर मंहगे दामों में बेच कर अपनी जीविका का साधन सुलभ करते है। जंगलों की अंधाधुधं कटाई वन अमले की लापरवाही भी दिखाती है। क्षेत्र में तैनात अमला समय पर गस्ती नहीं कर रहे है। जिसके चलते अत्याधिक मात्रा में बड़े वृक्षों के साथ जंगलों से बेसकीमती वृक्षो की कटाई बेखौफ की जा रही है।

इनका कहना है

वृक्षों की कटाई का मामला संज्ञान में आया है, लेकिन यह निवास पश्चिम सामान्य वन मंडल के लगे जंगल के पास राजस्व क्षेत्र का मामला है। जहां भूमि स्वामी द्वारा ठंड में जलाऊ के लिए कुछ वृक्षों को काटा गया है।
प्रवेश वराडे , रेंज अधिकारी
निवास पश्चिम सामान्य वन मंडल



 

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