माता सावित्री बाई फुले की जीवनशैली का बखान

  • मरार माली महासभा ने मनाई क्रांति ज्योति माता सावित्रीबाई फुले की जयंती
  • माता सावित्री बाई फुले की जीवनशैली का बखान

मंडला महावीर न्यूज 29.  मरार समाज धर्मशाला महराजपुर संगम घाट में क्रांति ज्योति माता सावित्रीबाई फुले की 194 वीं जयंती मनाई गई। कार्यक्रम में उपस्थित सभी पददाधिकारियों, सामाजिक कार्यकर्ता, महिलाओं का स्वागत तिलक लगाकर पुष्पों की माला से किया गया। उपस्थित सभी ने माता सावित्री बाई फुले की जीवनशैली का बखान करते हुए समाज को शिक्षा का मार्ग अपनाने की बात कही।

इस दौरान जिला मरार माली महासभा मंडला के जिला अध्यक्ष अशोक भाँवरें, भागवत भाँवरें, जिला पूर्व अध्यक्ष बाजारी लाल भाँवरें, अनिल भाँवरें, जिला मरार माली महासभा जिला मंडला के महामंत्री नीलकंठ भाँवरें, उपाध्यक्ष संतोष कुमार भाँवरें, कर्मचारी प्रकोष्ठ जिलाध्यक्ष जानकी कांवरे, महामंत्री परमानंद भाँवरें, लखन भाँवरें,इमहिला प्रकोष्ठ जिलाध्यक्ष श्रीमती कृष्णा भाँवरें, महामंत्री श्रीमती अनुसूईया भाँवरें, श्रीमती सीमा भाँवरें, युवा प्रकोष्ठ ईश्वर प्रसाद भाँवरें, ग्राम अध्यक्ष, सर्किल अध्यक्ष, सिवनी जिले के जिला उपाध्यक्ष भरत लाल कांवरे मौजूद रहे।

संक्षिप्त परिचय

देश की प्रथम महिला शिक्षिका, विधवा-विवाह,नारी मुक्ति आंदोलन की प्रणेता,सती प्रथा की विरोधी, कवियत्री, महान समाजसेविका,दलित उत्थान,छुआ-छूत व सामाजिक कुप्रथाओं का अंत करने वाली माता सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के नायगांव में हुआ था। सावित्रीबाई ने अपने पति महात्मा ज्योतिराव फुले से विवाह पश्चात शिक्षा पाकर दोनों ने मिलकर 40 स्कूलों को खोलकर शिक्षा की मिसाल जलाई।
कार्यक्रम की समापन बेला में गोधन कांवरे द्वारा उपस्थित सभी का धन्यवाद के साथ आभार व्यक्त किया।

प्रमुख योगदान

1. महिला शिक्षा का प्रचार
1848 में पुणे में भारत का पहला बालिका विद्यालय स्थापित किया। यह कदम उस समय के लिए क्रांतिकारी था, क्योंकि महिलाओं की शिक्षा को समाज में स्वीकार नहीं किया जाता था।
2. विधवा पुनर्विवाह और सती प्रथा का विरोध
उन्होंने विधवाओं के पुनर्विवाह और उनके अधिकारों के लिए आवाज उठाई।
3. सत्यशोधक समाज की स्थापना
सावित्रीबाई और ज्योतिराव ने मिलकर 1873 में “सत्यशोधक समाज” की स्थापना की, जो जाति-भेद, पितृसत्ता और अन्य सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ काम करता था।
4. महिला अधिकार और दलित उत्थान
उन्होंने दलित और पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए शिक्षा और समानता का संदेश दिया।
5. बीमारों की सेवा।
1897 में प्लेग महामारी के दौरान, उन्होंने रोगियों की सेवा की और इसी दौरान संक्रमित होकर 10 मार्च 1897 को उनका निधन हो गया।


 

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