- श्रीमद् भागवत पुराण में श्री राधे श्री राधे की धुन में झूम उठे श्रृद्धालु
- श्रीकृष्ण-सुदामा, माँ नर्मदा, भामासुर के प्रसंग का किया विस्तार से वर्णन
- श्री सिद्धेश्वर धाम सुरंगदेवरी में चल रही संगीतमय श्रीमद् भागवत महापुराण
मंडला महावीर न्यूज 29. जीव कल्याण सेवा संस्थान सांई दरबार द्वारा सिद्धेश्वर धाम सुरंगदेवरी में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा का वाचन कथावाचक पंडित ललित मिश्रा एवं आचार्य पंडित सनद महाराज द्वारा किया जा रहा है। पुराण का श्रवण करने दूर-दूर से भक्त पहुंच रहे है। सिद्धेश्वर धाम सुरंगदेवरी में चल रही श्रीमद् भागवत महापुराण के सातवें दिन सुदामा और भगवान श्रीकृष्ण की मित्रता, भामासुर और श्रीकृष्ण की कथा, माँ नर्मदा का बखान श्रीमद् भागवत कथा के दौरान पंडित ललित मिश्रा द्वारा बताया गया। कथा के दौरान श्रीराधे की धुन में उपस्थित भक्तों को थिरकने से कोई रोक ना सका। श्रीकृष्ण और माता राधा की भक्ति में श्रीमद् भागवत पुराण का पंडाल और पूरा क्षेत्र भक्तिमय हो गया। संगीतमय कथा में उपस्थित श्रृद्धालु भक्ति में लीन नजर आए।
श्रीमद भागवत कथा के सातवें दिन यजमान ने कथा पुराण और व्यास गद्दी का पूजा-अर्चना किया। कथावाचक पंडित ललित मिश्रा ने भगवान श्रीकृष्ण की की लीलाओं का वर्णन के साथ माँ नर्मदा के विषय में उपस्थित श्रृद्धालुओं को विस्तार से बताया। श्रीकृष्ण की लालीओं का बखान से पहले माँ नर्मदा के प्रति लोगों की आस्था क्यों है, माँ नर्मदा कहां, कैसे और कहां-कहां से होकर गुजरती है, इसका वर्णन श्रृद्धालुओं को विस्तार से बताया। पंडित ललित मिश्रा ने बताया कि ऐसी कई नदियां हैं, जिन्हें भारतीय संस्कृति में पवित्र और पूजनीय माना जाता है। इन नदियों को मां कहा जाता है। सात पवित्र नदियों में से एक नर्मदा नदी भी है। जिसे सनातनी माँ का दर्जा देते है और उनकी श्रृद्धा, भक्ति से पूजा अर्चना करते है। श्री मिश्रा जी ने कहां कि माँ नर्मदा के सिर्फ दर्शन करने से सारे पापों से मुक्ति मिल जाती है।
सुदामा और श्रीकृष्ण की मित्रता
कथा का वाचन करते हुए पंडित ललित मिश्रा ने भगवान श्री कृष्ण के तमाम गुणों के साथ उनके प्रेम और स्नेह की अनेक कथाएं बताई। जहां ब्रज की गोपियों के साथ उनका प्रेम, अपने मित्रों के लिए उनका समर्पण को श्रोताओं के समक्ष रखा। उन्होंने श्री कृष्ण और सुदामा की मित्रता के बारे में बताते हुए कहा कि दोनों ही गुरुकुल में एक साथ पढ़ते थे। एक दिन उन्हें जंगल में लकडियां लेने भेज दिया गया। वहां पर सुदाना की दोस्ती देखकर श्री कृष्ण भी हैरान थे। हमें श्री कृष्ण और सुदामा जैसी दोस्ती रखनी चाहिए। वहीं आपस में प्यार प्रेम से रहना चाहिए।
दुनियां जिन्हें त्याग देती है, भगवान स्वयं करते है उनका वरण
श्रीमद् भागवत कथा में आगे पंडित ललित मिश्रा ने भामासुर और श्रीकृष्ण की प्रसिद्ध पौराणिक कथा का प्रसंग सुनाया। जिसमें भगवान श्री कृष्ण की शक्ति और उनकी भक्तों की रक्षा करने की क्षमता को दर्शाती है। उन्होंने बताया कि भामासुर एक शक्तिशाली राक्षस था, जो भगवान शिव का भक्त था। कथा में आगे बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने भामासुर राक्षस द्वारा अपहृत की गई सौलह हजार एक सौ कन्याओं को युद्ध करके छुड़ाया। समाज द्वारा उनका तिरस्कार न हो इसलिए भगवान ने उनके साथ विवाह किया। भगवान से बड़ा दयालु और कौन होगा, जिसकों दुनियां वाले त्याग देते हैं, भगवान स्वयं उनका वरण कर लेते हैं। कथा में आगे बताया कि अगर कोई श्रीमद् भागवत महाकथा का आयोजन नहीं कर सकता तो उसे कथा सुनने जरूर आना चाहिए। इस कथा से बहुत पुण्य लाभ प्राप्त होता है। बिगड़े काम बन जाते हैं। कथा के दौरान बीच बीच में भजन सुनाकर कथा व्यास ने महिलाओं को भगवान की भक्ति में झूमने को मजबूर कर दिया।