- श्रीकृष्ण की रासलीला, विवाह व कंस वध के प्रसंग में भाव विभोर हुए भक्त
- श्री सिद्धेश्वर धाम सुरंगदेवरी में चल रही संगीतमय श्रीमद् भागवत महापुराण
मंडला महावीर न्यूज 29. जीव कल्याण सेवा संस्थान सांई दरबार धार्मिक एवं सामाजिक कार्यक्रमों की श्रृंखला के दसवें वर्ष के प्रवेश पर सिद्धेश्वर धाम सुरंगदेवरी में कथावाचक पंडित ललित मिश्रा एवं आचार्य पंडित सनद महाराज की उपस्थिति में सम्पूर्ण श्रीमद् भागवत महापुराण का आयोजन किया जा रहा है। जिसका श्रवण करने दूर-दूर से भक्त पहुंच रहे है। सिद्धेश्वर धाम सुरंगदेवरी में चल रही श्रीमद् भागवत महापुराण के छटवे दिन रासलीला, कृष्ण-रुक्मिणी विवाह व कंस वध का प्रसंग पंडित ललित मिश्रा द्वारा सुनाया गया।
श्रीमद भागवत गीता के छठवें दिन यजमान ने कथा पुराण और व्यास गद्दी की पूजा-अर्चना की। कथावाचक पंडित ललित मिश्रा ने भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला, रुक्मिणी विवाह और कंस वध का प्रसंग सुनाया। कथा सुनकर उपस्थित श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। भगवान श्री कृष्ण की रासलीला का विस्तार से वर्णन किया। कथावाचक पंडित ललित मिश्रा ने कथा का रसपान कराते हुए आगे कंस वध एवं कृष्ण-रुक्मिणी विवाह के प्रसंगों का वर्णन किया। जिसमें बताया कि भगवान विष्णु के पृथ्वी लोक में अवतरित होना का एक प्रमुख कारण था, जिसमें एक कारण कंस वध भी था। कंस के अत्याचार से पृथ्वी जब त्राहि-त्राहि करने लगी तब लोग भगवान से गुहार लगाने गए।
कंस वध की कथा में आगे बताया कि गुहार लगाने के बाद भगवान कृष्ण अवतरित हुए। 11 वर्ष की अल्प आयु में कंस ने अपने प्रमुख अकरूर के द्वारा मल्ल युद्ध के बहाने कृष्ण और बलराम को मथुरा बुलवाकर शक्तिशाली योद्धा और पागल हाथियों से कुचलवाकर मारने के प्रयास भी किया, लेकिन वे सभी लोग कृष्ण और बलराम के हाथों मारे गए। अंत में कृष्ण ने अपने मामा कंस का वध कर मथुरा नगरी को कंस के अत्याचारों से मुक्ति दिला दी।
कृष्ण-रुक्मिणी विवाह प्रसंग में उन्होंने बताया कि रुक्मिणी विदर्भ साम्राज्य के राजा भीष्मक की पुत्री थी, जो भगवान कृष्ण से विवाह करने इच्छुक थी, लेकिन रुक्मिणी के पिता और भाई इससे सहमत नहीं थे, जिसके चलते उन्होंने रुक्मिणी के विवाह जरासंध और शिशुपाल को भी विवाह में आमंत्रित किया। जैसे ही यह खबर रुक्मिणी को पता चला तो उन्होंने दूत के माध्यम से प्रेम पत्र में अपने दिल की बात कृष्ण तक पहुंचाई। इसके बाद काफी संघर्ष और युद्ध के बाद अंतत: कृष्ण-रुक्मिणी का विवाह हुआ।