11 माह में मिले 1563 टीबी पॉजिटिव, 1900 मरीज तलाशने का लक्ष्य

  • 11 माह में मिले 1563 टीबी पॉजिटिव, 1900 मरीज तलाशने का लक्ष्य
  • लक्ष्य से 36 प्रतिशत अधिक की जांच, परीजनो को भी दी जाती है दवा
  • 2025 तक जिले को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य

मंडला महावीर न्यूज 29. जिले टीबी मुक्त बनाने कवायद तेज हो गई है। 2025 तक जिले को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है। जिसके लिए टीबी मुक्त पंचायत होने पर संबंधित संस्था को गांधी जी की प्रतिमा से भी पुरस्कृत किया जा रहा है। इस साल कांस्य प्रतिमा दी गई है। इसके साथ ही निक्षय पोषण योजना में दिए जाने वाली हर माह 500 रुपए का लाभ जिले के सैंकड़ों टीबी के मरीजों को मिल रहा है। लगातार जांच से मरीजों को तलाश करने और उपचार कराने में साहूलित हो रही है। इस साल 19 सौ मरीजों के तलाश करने का लक्ष्य रखा गया था, जिसमें जनवरी से नवंबर तक 1563 मरीज पाये गए हैं।

जिला क्षय अधिकारी सुमित सिंगौर ने टीबी के लक्षण बताते हुए कहां कि टीबी होने पर मरीज का वजन कम होने लगता है, उसे लगातार बुखार रहता है और खांसी के साथ खून आने लगता है। ऐसे में मरीज को बिना डरे तुरंत अपने नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर जाकर जांच करानी चाहिए ताकि समय पर उसका इलाज हो सके। उन्होंने बताया कि जिले के ज्यादातर स्वास्थ्य केन्द्रों पर टीबी की जांच के लिए नि:शुल्क व्यवस्था है। इसके साथ ही रोगी को इलाज शुरु होने से लेकर स्वस्थ होने तक प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है। उन्होंने बताया कि चूंकि टीबी रोग मरीज के संपर्क में आने से फैलता है इसलिए लोग इससे छिपाने का प्रयास करते हैं लेकिन ऐसा करने की बजाय मरीज को अपना इलाज कराना चाहिए और उसके परिजनों को मरीज से दूरी बनाने की बजाय अपनी जांच कराने के बाद सावधानी बरतनी चाहिए। मरीज के परिजनों को भी केन्द्र से दवा दी जाती है जिसका सेवन करना चाहिए।

निक्षय मित्र भी कर रहे मदद 

टीबी के मरीजों को सरकार की तरफ से दवाई गोलियां और इलाज मुफ्त में देने के साथ ही हर माह पांच सौ रुपए के मान से राशि देने की योजना लागू की गई है। वहीं ३६० समाज सेवी निक्षय मित्र बन कर टीबी मरीजों को पोषण आहार कीट दे रहे हैं ताकी जल्द स्वस्थ्य हो सकें। एक रिसर्च के अनुसार टीबी के मरीजों को पौष्टिक आहार मिले तो उनकी टीबी की बीमारी में काफी फायदा पहुंच सकता है। सरकार ने इसी को ध्यान में रखते हुए हर मरीज के लिए उनके खाते में हर माह पांच सौ रुपए देने की योजना लागू की है। जैसे ही कोई टीबी का मरीज डिटेक्ट होता है और उसका रजिस्ट्रेशन होता है तो बैंक खाता नंबर लेकर उसके खाते में सीधे दो माह की राशि पहली किस्त के रूप में जारी कर दी जाती है। बाद में फालोअप के साथ ही अगले माह के मान से दी जाती है।

लक्ष्य से अधिक जांच, औसत से कम मरीज 

टीबी मरीजों का पता लगाने के लिए जांच की रफ्तार भी बढ़ गई है। जनवरी से नवंबर तक 41 हजार 789 का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। जिसमें लक्ष्य से 37 प्रतिशत अधिक 57 हजार 320 मरीजों की जांच कर की गई।
प्रति लाख जनसंख्या के मान से 253 टीबी के मरीज सामने आना चाहिए। यह मानक औसत कहा जाता है। जिले में इस औसत से कम ही है। पिछले साल की अपेक्षा 30 प्रतिशत मरीज कम हुए हैं। प्रदेश के 32 जिलों में शामिल मंडला को भी टीबी मुक्त बनाने पर कार्य किया जा रहा है। हाल ही में 100 दिवसीय निक्षय शिविर शुरू किया गया है। जिसमें गांव-गांव पहुंचकर टीम टीबी मरीजों की तलाश करेगी। जिला क्षय अधिकारी का कहना है कि टीबी होने पर डरें नहीं, इलाज कराएं।

तीन केटेगरी में मरीज 

जिला क्षय अधिकारी सुमित सिंगौर ने बताया कि टीबी के मरीजों की तीन कैटेगरी होती है। फेफड़ों के एक्सरे की जांच में प्रारंभिक रूप से जिन्हें टीबी होना पाई जाती है। उन्हें पहले चरण में रखा जाता है। जिन्हें दोबारा होती है उन्हें दूसरे और जिन्हें दवाइयों का असर नहीं होने से बार-बार टीबी हो जाती है उन्हें तीसरे चरण में रखकर एमडीआर कहा जाता है। लगातार उपचार दिया जाता है।

इनका कहना है

जिला का टीबी मुक्त बनाने स्वास्थ्य अमला मैदानी स्तर पर काम कर रहा है। इसके लिए 100 दिवसीय निक्षय शिविर का भी आयोजन किया जा रहा है। गांव-गांव हमारी स्वास्थ्य टीम टीबी मरीज को ढूंढ रही है। मरीज मिलने पर तत्काल उपचार शुरू किया जा रहा है।


डॉ. सुमित सिंगौर
जिला क्षय अधिकारी, मंडला


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