जागरूकता से बचाव
- एड्स से संक्रमित व्यक्ति के छूने, हाथ मिलाने से नहीं फैलती बीमारी
- जागरूकता से ही बचा जा सकता है एड्स से
- एक्सपर्ट ने बताई सावधानियां और उपाए, निम्न आय वर्ग में अधिक रोगी
मंडला महावीर न्यूज 29. एक्वायर्ड इम्युनो डेफिशियेन्सी सिन्ड्रोम (एड्स) के बारे में आज शायद ही कोई अनभिज्ञ हो। सरकार और समाजसेवी संस्थाओं द्वारा समय-समय पर विभिन्न तरीकों से एड्स के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाता है पर विडंबना यह है कि लोग जानकर भी अनजान बने हुए हैं। प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया गया। जिसके अंतर्गत लोगों को विविध गतिविधियों के माध्यम से जागरूक करने का प्रयास किया गया, लेकिन एक सच यह भी है कि आज भी हमारे देश में, हमारे शहर में एड्स के चक्रवात में फँसे लोगों की स्थिति बेहतर नहीं है। आखिर इसकी क्या वजह है, स्थिति में कितना सुधार है और संस्थाओं द्वारा इस क्षेत्र में कितना बेहतर कार्य किया जा रहा है, यह भी सोचनीय है। आज हम एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. सुमित सिंगौर से इस विषय में बात करेंगे।
एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. सुमित सिंगौर ने बताया कि भारत में आज भी जिन्हें एड्स है वे यह बात स्वीकारने से कतराते हैं। इसकी वजह है घर में, समाज में होने वाला भेदभाव। कहीं न कहीं आज भी एचआईवी पॉजीटिव व्यक्तियों के प्रति भेदभाव की भावना रखी जाती है। यदि उनके प्रति समानता का व्यवहार किया जाए तो स्थिति और भी सुधर सकती है। बात अगर जागरूकता की करें तो लोग जागरूक जरूर हुए हैं इसलिए आज इसके प्रति काउंसलिंग कराने वालों की संख्या बढ़ी है। पर यह संख्या शहरी क्षेत्र के और मध्यम व उच्च आय वर्ग के लोगों तक ही सीमित है। निम्न वर्ग के लोगों में अभी भी जानकारी का अभाव है। इसलिए भी इस वर्ग में एचआईवी पॉजीटिव लोगों की संख्या अधिक है। जबकि बहुत सी संस्थाएँ निम्न आय वर्ग के लोगों में इस बात के प्रति जागरूकता अभियान चला रही हैं। लोग कारण को जानने के बाद भी सावधानियाँ नहीं बरतते। जिन कारणों से एड्स होता है उससे बचने के बजाए अनदेखा कर जाते हैं। इसमें अधिकांश लोग असुरक्षित यौन संबंध और संक्रमित रक्त के कारण एड्स की चपेट में आते हैं।
युवा वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित
आंकड़ो की माने तो जिले में एड्स से पीडि़त लोगों में सबसे ज्यादा युवा वर्ग ही शामिल है। जिसके बाद भी लोग कारण को जानने के बाद भी सावधानियाँ नहीं बरतते। जिन कारणों से एड्स होता है उससे बचने के बजाए अनदेखा कर जाते हैं। इसमें अधिकांश लोग असुरक्षित यौन संबंध और संक्रमित रक्त के कारण एड्स की चपेट में आते हैं। यही वजह है कि जिले में एड्स रोगियों में सबसे ज्यादा युवा वर्ग है।
एचआईवी के बचने के उपाय
एचआईवी से बचने के लिए लोगों को कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। जिससे इस रोग की चपेट में आने से बचा जा सके। इस रोग से बचने के लिए अपने साथी के साथ वफादारी रखें। यौन संबंध के दौरान कंडोम का सही और सतत् इस्तेमाल करे, केवल लाइसेंस प्राप्त रक्त बैंक से जांच किये गये खून का इस्तेमाल करे, हर बार नई या उबली हुई और सीरिंज का इस्तेमाल करे, गर्भावस्था के दौरान एचआईवी की जांच और उपयुक्त इलाज जरूर कराएं।
एचआईवी, एड्स संक्रमण कैसे नहीं फैलता
एचआईवी, एड्स संक्रमण संक्रमित व्यक्ति के छूने से नहीं फैलता है, एचआईवी व्यक्ति के साथ खाना खाने से, सामान्य सामाजिक व्यवहार जैसे हाथ मिलाने, गले मिलने से, खाने के बर्तन, कपड़े, बिस्तर शौचालय टेलीफोन आदि के उपयोग से नहीं होता। खांसने, छींकने या हवा से, मच्छरों के काटने, या घरों में पाये जाने वाले कीड़े -मकोड़ों के काटने से एड्स का संक्रमण नहीं होता।
इनसे होता है एचआईवी संक्रमण
- संक्रमित रक्त।
- संक्रमित सुई एवं सीरिंज।
- असुरक्षित यौन संबंध।
- संक्रमित माँ से शिशु को।
ये है तथ्य
- भारत में लाखों एड्स पीडि़त हैं।
- जिले में 721 लोगों को एड्स है।
- अधिकांश रोगी निम्नवर्ग के होते हैं।
- घर से दूर रहने वाले लोगों में एड्स का खतरा बढ़ जाता है।
- नशे के लिए सुइयों की साझेदारी कर भी दावत दी जाती है एड्स को।