- तीन दिवसीय सीतारपटन मड़ई में उमड़ा जन सैलाब
- दूर-दूर से पहुंचे लोग, तीसरे दिन हुआ समापन
मंडला महावीर न्यूज 29. जिला मुख्यालय से करीब 20 किमी दूर धार्मिक व पर्यटन स्थल सीता रपटन का स्थान है। इस क्षेत्र का धार्मिक और ऐतिहासिक नजरिए से बड़ा ही महत्व है लेकिन जिला प्रशासन की अनदेखी के चलते इस स्थान का अस्तित्व भी संकट में नजर आ रहा है। इतिहासकारों एवं स्थानीय लोगों का मानना है कि सीतारपटन लव कुश की जन्मस्थली भूमि है। इसी स्थान पर बाल्मीकि ऋषि ने संस्कृत भाषा में रामायण की रचना की थी। इस स्थान में लवकुश, सीता और बाल्मीक ऋषि के होने के प्रमाण मिलते है। इसी आस्था के चलते यहां मेले का आयोजन विगत कई वर्षो से किया जा रहा है।
प्रति वर्ष कार्तिक मास की पूर्णिमा से भरने वाली तीन दिवसीय सीतारपटन मड़ई में तीन दिन जन सैलाब उमड़ा। मड़ई के पहले दिन यादव समाज के लोगों नें पूजा के बाद चंडी ब्याही। मड़ई में आसपास गांव के साथ जबलपुर, कवर्धा, सिवनी समेत अन्य जिलो के व्यापारियों ने तरह-तरह की दुकानें लगाई। ठंड को लेकर लोगो ने गर्म कपड़ो और कंबल की खरीदी की। मड़ई के तीनों दिन झूले में लोगों की भीड़ अधिक देखी गई। सीतारपटन मड़ई के समापन में भी जन सैलाब उमड़ पड़ा।
जानकारी अनुसार अंजनिया के समीपी ग्राम सीतारापटन में तीन दिवसीय मड़ई का आयोजन किया गया। मड़ई के तीसरे दिन रविवार को मौसम साफ रहने और अवकाश रहने के कारण आसपास क्षेत्र के साथ शहर से पहुंचे लोगों ने मड़ई मेले का आनंद लिया। मड़ई में पहुंचे बच्चों की रुचि मेले में आए खिलौने खरीदने में रही। वहीं सडक़ के दोनों ओर दुकानें लगाए जाने से थोड़ा-बहुत आवागमन प्रभावित हुआ। दिन भर मड़ई में भीड़ रही है। शाम ढालने के बाद भी युवाओं की भीड़ मड़ई स्थल पर बढ़ गई रही। पंचायत ने मड़ई स्थल में पर्याप्त विद्युत व्यवस्था भी की है।
तरह-तरह की लगी दुकानें
मड़ई में अंजनियां, नारा, करिया गांव, ककैया, सिलगी, केवलारी, झिगराघाट सहित दर्जनो गांव से ग्रामीण पहुंचे और अपनी पंसद की वस्तुओं की खरीददारी की। वर्षों से भर रही इस मड़ई का अपना अलग ही महत्व है। यहां कपड़े से लेकर सस्ते गहने जूते-चपल, सब्जी और खेल-खिलौने, मोबाइल से सबंधित समाग्रियों की दुकानें सजाई गई। आसपास गांव से पहुंचे युवाओं ने झुलों का जमकर आनंद लिया। बच्चों के लिए पहुंचे झूले में भी भीड़ लगी रही। मिठाईयों की दुकान, सिघंड़े, चाट फुल्की, सोंदर्य सामग्री की दुकानों में ज्यादा भीड़ देखने को मिली। लोगों का रुझान गर्म कपड़ों में देखने को मिला कंबल, ऊनी कपड़े, स्कार्प आदि को पंसद करने के लिए दुकानों में जमघट लगा रहा।
चौकस रही पुलिस
सीतारपटन ग्राम में आयोजित होने वाली मढ़ई पूरे क्षेत्र की सबसे बड़ी मड़ई मानी जाती है। जिसके कारण यहां होने वाले मेले के आयोजन में चौकसी रखने के लिए अंजनिया पुलिस बल तैनात रहता है। यहां सुरक्षा की दृष्टि से अंजनिया, हिरदेनगर और बोकर की ओर से आने वाले मार्गों पर अंजनिया पुलिस की पैनी नजर रही। तीन दिवसीय मेले में कोई भी अप्रिय घटना सामने नहीं आई। बताया गया कि सीतारपटन की मड़ई पूरे क्षेत्र की बड़ी मड़ई मानी जाती है। जिसमें समस्त क्षेत्र के व्यापारी और ग्रामीण आते हैं। सीतारपटन पर्यटक स्थल है और सुरपन नदी के किनारे बसा हुआ है। यहां प्राचीन मंदिर भी स्थित हैं। जिससे यहां बड़ी संख्या में लोग आते हैं। मड़ई स्थल से कुछ ही दूरी पर बाल्मीकि मंदिर आश्रम में धार्मिक कार्यक्रम भी आयोजित किये गए। जिसमें बड़ी संख्या में आसपास ग्रामों के श्रृद्धालुओं ने सहभागिता की।
लव-कुश का हुआ था जन्म
स्थानीय लोगों के अनुसार सीतारपटन में ही लव और कुश का जन्म हुआ था। यहीं बाल्मीकि ऋषि का आश्रम था और इसी स्थान पर महर्षि वाल्मीकि ने रामायण की रचना की थी। कहा जाता है सीता रपटन में माता सीता जी सुरपन नदी से पानी लेकर आ रही थीं और इसी स्थान पर फिसलकर गिर गई थीं। फिसलने को स्थानीय भाषा में रपट भी कहा जाता है, तभी से इस स्थान को सीता रपटन कहा जाने लगा है। यहाँ चट्टानों के बीच में फिसल पट्टी बनी है। पास ही में चट्टान नुमा पत्थरों को बजाने से नगाड़ों की आवाज आती है, माना जाता है की लव-कुश के जन्म के समय नगाड़े बजाये गए थे जो अब पत्थर में बदल चुके हैं। यहाँ एक विशेष प्रजाति का पेड़ मौजूद है जिसे अनजान पेड़ के नाम से जाना जाता है, यहाँ कई वनस्पति शास्त्री भी आये पर इस पेड़ का नाम जानने में कामयाबी नहीं मिली। माना जाता है की इसी पेड़ के नीचे महर्षि वाल्मीकि ने रामायण की रचना की थी।