- 784 बच्चों ने लिया प्रकृति के प्रहरी बनने का संकल्प
- नदी घाटी संरक्षण और प्रकृति संरक्षण की एक पहल
- नदियों से जुड़ा प्रकृति और मानव का गहरा संबंध
- नेचर वॉक-बच्चों को प्रकृति से जोडऩे का प्रयास
मंडला महावीर न्यूज 29. बिछिया विचार मंच, निवास ग्रामीण विकास मंच और फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी (एफईएस) ने जिले के बिछिया और निवास ब्लॉक के अलग अलग गांवों में एक प्रेरणादायक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस पहल में नदी घाटी दृष्टिकोण को शामिल करते हुए बच्चों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक किया गया। कार्यक्रम में कुल 784 बच्चों ने भाग लिया, जो न केवल प्रकृति के प्रति संवेदनशील बने बल्कि संरक्षण का संकल्प भी लिया।
कार्यक्रम का फोकस माटियारी, हलोन, सुरपन, बंजार, और गोर नदियों की घाटियों से जुड़े प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा पर रहा। यह कार्यक्रम नदी घाटी संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बच्चों की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह पहल आने वाली पीढिय़ों को प्रकृति के प्रति जिम्मेदार नागरिक बनाने और एक हरित, स्थायी भविष्य की नींव रखने की ओर अग्रसर है।
बताया गया कि निवास शासकीय महाविद्यालय में छात्रों को प्रकृति और मानव के बीच गहरे संबंधों की जानकारी दी गई। जल, जंगल, जमीन और जीव-जंतु के बीच हर एक कड़ी का महत्व समझाया गया। विशेष रूप से नदियों और उनके जलग्रहण क्षेत्रों की दैनिक जीवन में भूमिका और उनकी सुरक्षा की आवश्यकता पर चर्चा की गई। कार्यक्रम की शुरुआत नेचर वॉक से हुई, जिसमें बच्चों ने मिट्टी, पत्थर, पत्ते, और पानी जैसी प्राकृतिक वस्तुएं एकत्रित किये और उनके महत्व को समझा। धागों के माध्यम से यह बताया गया कि नदियों, जंगलों, और जीव-जंतुओं का आपसी संबंध कितना महत्वपूर्ण है। बच्चों ने नदियों और उनके आसपास के प्राकृतिक संसाधनों की भूमिका को गहराई से महसूस किया।
प्रकृति संरक्षण की ली शपथ
बच्चों ने पेड़ों और पक्षी प्रजातियों की पहचान की और उनकी सुरक्षा का संकल्प लिया। प्रत्येक बच्चे ने एक पौधे की देखभाल का वादा किया, ताकि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सक्रिय योगदान दे सकें। इसके अलावा बच्चों ने पत्तों, रंगों, और पत्थरों का उपयोग करके सुंदर कलाकृतियां बनाईं, जो उनकी रचनात्मकता और प्रकृति के प्रति प्रेम को दर्शाती हैं।
नदी घाटी संरक्षण की दिशा में पहल
माटियारी, हलोन, सुरपन, बंजार और गोर नदियों की घाटियों में बसे गांवों के 784 बच्चों ने इस कार्यक्रम में भाग लेकर प्रकृति के साथ गहरा जुड़ाव महसूस किया। बिछिया विचार मंच, निवास ग्रामीण विकास मंच, और एफईएस ने इस पहल को सफल बनाकर न केवल बच्चों में जागरूकता बढ़ाई, बल्कि उन्हें प्रकृति के प्रहरी बनने के लिए प्रेरित किया।