चार माह बाद जागे देव, मनाई छोटी दीवाली

  • चार माह बाद जागे देव, मनाई छोटी दीवाली
  • महिलाओं ने किया गन्ने के मंडप में पूजन

मंडला महावीर न्यूज 29. जिले में देव उठनी ग्यारस के साथ ही मांगलिक कार्यों का सिलसिला शुरू हो जाएगा। इस पर्व की तैयारियों के लिए शहर में खासी चहल पहल रही। चार माह पहले देव शयनी एकादशी के बाद से बंद हुए मांगलिक कार्य अब शुरू हो जाएंगे। लोग घरों में रंगोली बना कर बेर, फली, आंवला, चना भाजी, गन्ना, घुंघरू के साथ देवताओं का पूजन, पाठ कर इनको उठाएं। बताया गया कि इस वर्ष नवंबर माह में 9 दिन और दिसंबर माह में 10 दिन शादियों के शुभ मुहूर्त है। इस वर्ष नवंबर और दिसंबर में 19 शुभ विवाह मुहूर्त रहेंगे। पंडित विजया नंद शास्त्री ने बताया कि ग्रह नक्षत्र व योग के आधार पर विवाह का अनुक्रम इस बार देव उठनी ग्यारस के बाद नवंबर और दिबंसर में है। मंगलवार को भगवान शालिगराम व तुलसी का विवाह कराया गया। इसके साथ ही शुभ कार्य भी शुरू हो जाएंगे।

जानकारी अनुसार देव उठनी ग्यारस पर्व पर सोए देव जाग जाते है। ऐसा हिन्दू धर्म की मान्यता है और ग्यारस से ही शुभ मुर्हुत शुरू होते है। जिसमें मांगलिक कार्याे का आयोजन शुरू हो जाता है। एकादशी के बाद सभी शुभ मुर्हुत की शुरूआत होती है। दीपावली के बाद से ही महिलाएं ग्यारस की तैयारी शुरू कर देती है। जिसके चलते महिलाओं ने एकादशी का व्रत रखा। इस व्रत में शाम को तुलसी व भगवान सालिगराम की पूजा अर्चना की गई। जिसमें गन्ने के मंडप बनाए गए और माता तुलसी को लाल पीली चुनरी ओ$ढाकर भगवान शालिगराम के साथ पूजा कर फेरे करवाए गए। सुबह से ही घरों में बच्चियों व युवतियों के द्वारा आकर्षक रंगोली बनाई गई। घरों में विद्युत साज सज्जा की गई और प्रतिष्ठानों में विद्युत साज सज्जा की गई और छोटी दीपावली का पर्व मनाया गया। अब तुलसी विवाह के साथ ही शहनाईयों की गूंज सुनाई देगी।

बाजारों में रही रौनक 

ग्यारस के चलते बाजार में चहल पहल देखी गई। सुबह से ही लोग गन्ने फू ल मालाएं मिठाईयां, रंगोलियां व पूजन की सामग्री की खरीददारी की। शुभ मुर्हुत के चलते जो लोग दीपावली धन तेरस में वाहन, जेवर, इलेक्ट्रॉनिक सामान नहीं खरीद पाए उनके द्वारा इस पर्व पर खरीददारी की गई। जिसके चलते बाजार में चहल पहल बनी रही। ग्यारस के शुभ मुर्हुत पर लोगों ने जमीनों की खरीददारी की गई और रजिस्ट्री कार्यालय में दिन भर चहल पहल बनी रही। वहीं बड़े वाहनों की खरीदी भी जमकर की गई।

रंगोली से सजा आंगन

सुबह की शुरूआत घरों के आंगन की साफ सफाई के साथ आकर्षक रंगोलियां को डालने का क्रम चलता रहा। तुलसी विवाह के उपलक्ष्य में रंगोली के चौक , गन्ने के मंडप के नीचे डाले गए। रंगोली को सुखशांति का प्रतीक माना जाता है। जिसमें माता लक्ष्मी का वास होता है। माता तुलसी व शालिगराम के स्वागत में घरों प्रतिष्ठानों में रंगोलियां सजाई गई।

रही गन्ने की बहार

भगवान शालिगराम के विवाह के चलते गन्ने का मंडप शुभ माना जाता है। भोर होते ही ग्रामीण क्षेत्रों से शहर में गन्ने की आवक शुरू हुई। सुबह लगभग 7 बजे से ही गन्ने की ब्रिकी शुरू हुई। शहर में चारो तरफ गन्ने के मंडप खूब बिके। पूजन के चलते लोगों ने जमकर गन्ने की खरीददारी की। जिन घरों में पूजन नहीं होता वे भी गन्ने खरीदने से पीछे नहीं रहे।

बिकी पूजन सामग्री

कुछ लोगों का मानना है ग्यारस के बाद से ही मौसमी सब्जियों को खाना चाहिए। जिसके चलते गेंदे के फूल, मूली, चना भाजी, गोभी, भटा, मटर, जैसी सब्जियां पूजन सामग्री के साथ बिकी। माता तुलसी को अर्पित करने सोलह श्रृंगार की सामग्री बाजार में बिकी। लोगों ने कपड़ों की खरीददारी की। जिसे पहले सालिगराम व तुलसी माता को अर्पित करने के बाद लोग अपने उपयोग में लाए।

मनाई गई छोटी दीपावली

शाम 6 बजे के बाद से ही घर व प्रतिष्ठान दीपों से जगमगा उठे। पूजन के बाद जमकर आतिशबाजी हुई। ग्यारस का प्रसाद लोग एक दूसरे को भेंट करते रहे। शाम 6 बजे के बाद से देर रात तक दीपावली का माहौल ग्यारस पर्व में दिखा। जिन लोगों ने खरीददारी की, उनकी पूजा अर्चना भी की गई। जिससे वह वस्तु लोगों के लिए हमेशा शुभ साबित हो। ग्यारस को लोग छोटी दीपावली मानते है। जिसमें दीपावली के जैसे ही पूजा अर्चना की जाती है।


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