- आज आंवला के पेड़ का पूजन कर पेड़ के नीचे महिलाएं करेंगी भोजन
- आंवले के वृक्ष को साक्षात श्री विष्णु भगवान का माना जाता है स्वरूप
मंडला महावीर न्यूज 29. हिन्दू धर्म पर प्रकृति पूजन को काफी मान्यता दी गई है, चाहे वन्यजीव हों या फिर पेड़-पौधे इन्हें धर्म से जोड़कर एक तरह से इनके संरक्षण का संदेश देने का प्रयास किया गया है। दीपावली के बाद दूसरे दिन जहां गाय-बैल का पूजन किया जाता है तो वहीं आज आंवला नवमी का त्यौहार मनाया जाएगा। जिसमें आंवला के पेड़ का पूजन किया जाएगा।
आंवला नवमी के दिन विशेषकर आंवले के समीप स्नान, दान, जप, यज्ञ, हवन पूजन एवं उसके नीचे भोजन करने से अनंत गुना एवं अक्षय पुण्य प्राप्त होता है। अक्षय पुण्य का अर्थ है जो पुण्य कभी नष्ट ना हो अन्य सामान्य पुण्य अपना एक बार फल देकर समाप्त हो जाते हैं, लेकिन अक्षय पुण्य हर एक जन्म में अपना फल देते रहते हैं। ज्यों के त्यों बने रहते हैं। आंवला नवमी का त्यौहार कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है जिसमें आंवले के वृक्ष का पूजन एवं इसके नीचे भोजन करने का महत्व है।
आंवला के पेड़ की परिक्रमा कर किया जाता है भोजन
पंडित विजयानंद शास्त्री ने बताया कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी आंवला शरीर के लिए काफी पौष्टिक माना गया है, जिससे शरीर के लिए जरूरी विटामिन सी सबसे अधिक मात्रा में पाया जाता है। वहीं धार्मिक दृष्टि से देखें तो आंवले के वृक्ष को साक्षात विष्णु भगवान का स्वरूप माना गया है। विशेषकर कार्तिक मास में इसका महत्व और बढ़ जाता है, क्योंकि कार्तिक मास में विष्णु भगवान सहित 33 कोटि देवता आंवले के वृक्ष के नीचे रहते हैं। इसके साथ ही समस्त तीर्थ गंगादि पवित्र नदियां भी कार्तिक मास में आंवले के वृक्ष के नीचे रहती हैं। पंडित विजयानंद शास्त्री ने बताया कि आंवले के वृक्ष के चारों ओर की भूमि अत्यंत पवित्र एवं सभी तीर्थों से युक्त रहती है। अक्षय नवमी के दिन आंवले का पूजन उसकी परिक्रमा एवं उसमें सूत्र (धागा) लपेटने का महत्व है।