आज से नहाय-खाय के साथ छठ पर्व की शुरुआत

  • नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय छठ पर्व की शुरुआत आज से
  • आखिरी दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर परिवार की मंगलकामना का लेते है आशीवार्द

मंडला महावीर न्यूज 29. छठ पूजा का पर्व पूर्वांचल यानी पूर्वोत्तर भारत के बड़े हिस्से में बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार बिहार, उत्तर प्रदेश व नेपाल में मुख्य रूप से प्रचलित है। बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र दरभंगा में इस पर्व का बड़ा महत्व है। अब यह त्यौहार देश के बड़े हिस्से में मनाया जाता है। इसी के अंतर्गत मंडला नगर में भी छठ का पर्व मनाया जाता है। छठ के तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य की पूजा फिर आखिरी दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता हैं। संध्या अर्घ्य के लिए बांस की टोकरी में अध्र्य की सामग्री सूप में सजाई जाती है और इस सामग्री को लेकर व्रत रखने वाले परिवार अस्त हो रहे सूर्य को अर्घ्य देने के लिए नदी, तालाब या घाट पर जाते हैं। सूर्य को जल और दूध का अर्घ्य समर्पित किया जाता है और छठी मैया की प्रसाद भरे सूप से पूजा की जाती है।

बताया गया कि उषा अर्घ्य में उदय हो रहे सूर्य को अध्र्य समर्पित किया जाता है। व्रति उसी जगह पर फिर से एकत्र होते हैं, जिस जगह पर उन्होंने पूर्व संध्या को अध्र्य दिया था। संध्या अर्घ्य की सारी प्रक्रिया को फिर से दोहराया जाता है। पूजा के बाद व्रत रखने वाले कच्चे दूध का शरबत पीकर व्रत का पारायण करते हैं।

चार दिवसीय और छठ पूजा का पर्व

पहला दिन (नहाय-खाय)-

छठ पर्व बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को नहाय-खाय के साथ होती है। इस दिन व्रत रखने वाले स्नान कर और नये कपड़े पहनकर लौकी आदि से तैयार शाकाहारी भोजन लेते हैं। पहला दिन आज मंगलवार को है।

दूसरा दिन (खरना)-

अगले दिन यानी पंचमी तिथि को व्रत रखा जाता है। इसे खरना (खाली पेट) कहा जाता है। इस दिन निर्जला उपवास रखा जाता है। शाम को चावल और गुड़ से खीर खाया जाता है। चावल का पिठ्ठा और घी लगी रोटी भी खाई प्रसाद के रूप में परिवार में वितरीत की जाती है। दूसरा दिन बुधवार को है।

तीसरा दिन (सूर्य षष्ठी)-

सूर्य षष्ठी पर सूर्य देव की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन बांस की टोकरी में प्रसाद और फल सजाए जाते हैं। इस टोकरी सभी व्रती सूर्य को अर्घ्य देने के लिए तालाब, नदी या घाट आदि पर जाते हैं। स्नान कर डूबते सूर्य की अर्घ्य देकर आराधना की जाती है। तीसरा दिन गुरूवार को है।

चौथा दिन (समापन)-

कार्तिक शुक्ल पक्ष की सप्तमी को उगते सूर्य भगवान की पूजा कर अर्घ्य दिया जाता है। भगवान भास्कर से परिवार के मंगलकामना के लिए आशीवार्द मांगकर घाट पर प्रसाद बांट कर छठ पूजा संपन्न की जाती है। चौथा दिन शुक्रवार को है।


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