भाई बहन के पवित्र बंधन का उदाहरण है भाई दूज

  • भाई बहन के पवित्र बंधन का उदाहरण है भाई दूज
  • भाई की लंबी उम्र के लिए की प्रार्थना, लगाया तिलक

मंडला महावीर न्यूज 29. दीपावली के तीसरे दिन रविवार को भाईदूज का पर्व मनाया गया। हिन्दू धर्म के अनुसार तिलक व प्रार्थना का बड़ा महत्व है। जिसके चलते बहनों ने सुबह से ही स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान की पूजा के बाद घर में गोबर से बनाए गए गोबरर्धन पर्वत की पूजा अर्चना की। दूज माता से भाई की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना की। भाईयों को तिलक लगाया और उन्हें नारियल भेंट कर मिठाई खिलाई और भगवान से प्रार्थना की कि उनके भाई हंसते खेलते बाधाओं से सुरक्षित रहे और अच्छे स्वास्थ्य के साथ रहे।

बहनों ने अपने भाई की रक्षा एवं उन्हें हर समस्या को सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना यम द्वितीया माता से की। यह क्रम सुबह से लेकर शाम तक प्रत्येक घरों में चलता रहा। जहां भाई नहीं पहुंच पाए। वहां बहनें पहुंची और जहां बहनों का आना नहीं हो सका, वहां भाई पहुंचे। भाई बहिनों के इस पवित्र बंधन का उदाहरण भाई दूज में देखने को मिला।

शास्त्रों के अनुसार भैयादूज अथवा यम द्वितीया में मृत्यु के देवता यमराज का पूजन किया जाता है। इस दिन बहनें भाई को अपने घर आमंत्रित कर या शाम को उनके घर जाकर उन्हें तिलक करती हैं और भोजन कराती हैं। ब्रजमंडल में इस दिन बहनें भाई के साथ यमुना स्नान करती हैं, जिसका विशेष महत्व बताया गया है। भाई के कल्याण और वृद्धि की इच्छा से बहने इस दिन कुछ अन्य मांगलिक विधान भी करती हैं। यमुना तट पर भाई-बहन का समवेत भोजन कल्याणकारी माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन भगवान यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने जाते हैं। उन्हीं का अनुकरण करते हुए भारतीय भ्रातृ परम्परा अपनी बहनों से मिलती है और उनका सम्मान पूजनादि कर उनसे आशीर्वाद रूप तिलक प्राप्त कर कृतकृत्य होती हैं।

बहनों ने इस दिन नित्य कृत्य से निवृत्त होकर अपने भाई के दीर्घ जीवन, कल्याण एवं उत्कर्ष के लिए और स्वयं के सौभाग्य के लिए अक्षत, कुंकुमादि से अष्टदल कमल बनाकर इस व्रत का संकल्प कर मृत्यु के देवता यमराज की विधि पूर्वक पूजा की। इसके बाद यमभगिनी यमुना, चित्रगुप्त और यमदूतों की पूजा की। भाई को तिलक लगाकर भोजन कराया।


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